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आजाद भारत का 'मानक समय' शुरू हुआ था आज - Standard Time - STANDARD TIME

Standard Time : आजादी से पूर्व भारत में समय का मानकीकरण बड़ी चुनौती थी. आजादी के बाद लंबे प्रयास के बाद देश में समय का मानकीकरण संभव हो पाया. पढ़ें पूरी खबर..

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इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (Getty Images)
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By IANS

Published : Sep 1, 2024, 5:45 PM IST

नई दिल्ली: आजादी के 16 दिन बाद यानि 1 सितंबर 1947 को देश का समय एक हो गया. उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम हम समय के एक सूत्र में बंध गए. भारत को अपना मानक समय मिल गया. विविधता पूर्ण देश की भारतीय मानक समय की परिकल्पना भी अद्भुत थी. इसका क्रेडिट काफी हद तक भारत के लौह पुरुष यानि वल्लभ भाई पटेल को जाता है.

इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को दुनिया के कॉर्डिनेटेड समय (यानी यूटीसी) से साढ़े पांच घंटे आगे वाला टाइम जोन माना गया। इससे पहले समस्या तो थी और वो भी गंभीर! आखिर विविधता पूर्ण देश को कैसे एक समय में बांध दिया जाए. समय और भारतीय स्टैंडर्ड टाइम को लेकर बहस हुईं क्योंकि बॉम्बे और कलकत्ता (कोलकाता) का अपना टाइम जोन था.

अंग्रेजों ने 1884 में इस टाइम जोन को तब तय किया जब अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टाइम जोन तय किए जाने की बैठक हुई. ग्रीनविच मीनटाइम यानी जीएमटी से चार घंटे 51 मिनट आगे का टाइम जोन था बॉम्बे टाइम. 1906 में जब आईएसटी का प्रस्ताव ब्रिटिश राज में आया, तब बॉम्बे टाइम की व्यवस्था बचाने के लिए फिरोजशाह मेहता ने पुरजोर वकालत की और बॉम्बे टाइम बच गया.

दूसरा था कलकत्ता टाइम जोन. साल 1884 वाली बैठक में ही भारत में दूसरा टाइम जोन था कलकत्ता टाइम. जीएमटी से 5 घंटे 30 मिनट 21 सेकंड आगे के टाइम जोन को कलकत्ता टाइम माना गया. 1906 में आईएसटी प्रस्ताव नाकाम रहा, तो कलकत्ता टाइम भी चलता रहा. देबाशीष दास ने अपने एक लेख में इसकी ऐतिहासिकता को लेकर कई किस्से शेयर किए.

भारतीय मानक समय का परिचय: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण में उन्होंने इसका जिक्र किया है. लिखा है- "जुलाई 1947 में, स्वतंत्रता से ठीक पहले, सरदार वल्लभभाई पटेल से बंगाल के समय को समाप्त करने का अनुरोध किया गया. कहा गया- जब पूरे भारत में, विशेष रूप से बंगाल में, एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक मामले को संबंधित अधिकारियों द्वारा अनदेखा किया जा रहा है, यानि बंगाल का समय जो भारतीय मानक समय से एक घंटा आगे है और केवल बंगाल में ही इसका पालन किया जाता है जो नागरिकों के हितों के लिए हानिकारक है. हम बंगाली समय के एक रूप यानी भारतीय मानक समय का पालन करना चाहते हैं जिसका पालन अन्य सभी प्रांतों में किया जाता है."

बंबई के संबंध में भी ऐसा ही अनुरोध किया गया था. गृह विभाग ने सुझाव दिया कि इस मामले पर संबंधित राज्य सरकार विचार करें. अंततः दोनों शहर सहमत हो गए, कलकत्ता ने लगभग तुरंत और बॉम्बे ने ढाई साल बाद इसे स्वीकार कर लिया. कलकत्ता और पश्चिम बंगाल प्रांत ने 31 अगस्त/1 सितंबर 1947 की मध्यरात्रि को IST को अपना लिया.

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जानें भारतीय मानक समय का इतिहास और कैसे हुई इसकी शुरुआत - Indian Standard Time

नई दिल्ली: आजादी के 16 दिन बाद यानि 1 सितंबर 1947 को देश का समय एक हो गया. उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम हम समय के एक सूत्र में बंध गए. भारत को अपना मानक समय मिल गया. विविधता पूर्ण देश की भारतीय मानक समय की परिकल्पना भी अद्भुत थी. इसका क्रेडिट काफी हद तक भारत के लौह पुरुष यानि वल्लभ भाई पटेल को जाता है.

इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को दुनिया के कॉर्डिनेटेड समय (यानी यूटीसी) से साढ़े पांच घंटे आगे वाला टाइम जोन माना गया। इससे पहले समस्या तो थी और वो भी गंभीर! आखिर विविधता पूर्ण देश को कैसे एक समय में बांध दिया जाए. समय और भारतीय स्टैंडर्ड टाइम को लेकर बहस हुईं क्योंकि बॉम्बे और कलकत्ता (कोलकाता) का अपना टाइम जोन था.

अंग्रेजों ने 1884 में इस टाइम जोन को तब तय किया जब अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टाइम जोन तय किए जाने की बैठक हुई. ग्रीनविच मीनटाइम यानी जीएमटी से चार घंटे 51 मिनट आगे का टाइम जोन था बॉम्बे टाइम. 1906 में जब आईएसटी का प्रस्ताव ब्रिटिश राज में आया, तब बॉम्बे टाइम की व्यवस्था बचाने के लिए फिरोजशाह मेहता ने पुरजोर वकालत की और बॉम्बे टाइम बच गया.

दूसरा था कलकत्ता टाइम जोन. साल 1884 वाली बैठक में ही भारत में दूसरा टाइम जोन था कलकत्ता टाइम. जीएमटी से 5 घंटे 30 मिनट 21 सेकंड आगे के टाइम जोन को कलकत्ता टाइम माना गया. 1906 में आईएसटी प्रस्ताव नाकाम रहा, तो कलकत्ता टाइम भी चलता रहा. देबाशीष दास ने अपने एक लेख में इसकी ऐतिहासिकता को लेकर कई किस्से शेयर किए.

भारतीय मानक समय का परिचय: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण में उन्होंने इसका जिक्र किया है. लिखा है- "जुलाई 1947 में, स्वतंत्रता से ठीक पहले, सरदार वल्लभभाई पटेल से बंगाल के समय को समाप्त करने का अनुरोध किया गया. कहा गया- जब पूरे भारत में, विशेष रूप से बंगाल में, एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक मामले को संबंधित अधिकारियों द्वारा अनदेखा किया जा रहा है, यानि बंगाल का समय जो भारतीय मानक समय से एक घंटा आगे है और केवल बंगाल में ही इसका पालन किया जाता है जो नागरिकों के हितों के लिए हानिकारक है. हम बंगाली समय के एक रूप यानी भारतीय मानक समय का पालन करना चाहते हैं जिसका पालन अन्य सभी प्रांतों में किया जाता है."

बंबई के संबंध में भी ऐसा ही अनुरोध किया गया था. गृह विभाग ने सुझाव दिया कि इस मामले पर संबंधित राज्य सरकार विचार करें. अंततः दोनों शहर सहमत हो गए, कलकत्ता ने लगभग तुरंत और बॉम्बे ने ढाई साल बाद इसे स्वीकार कर लिया. कलकत्ता और पश्चिम बंगाल प्रांत ने 31 अगस्त/1 सितंबर 1947 की मध्यरात्रि को IST को अपना लिया.

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