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विदेश में छिपे आतंकियों-गैंगस्टरों की बढ़ेगी मुश्किल, उनकी गैर मौजूदगी में भी चलेगा मुकदमा - CHANDIGARH

चंडीगढ़ में कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने 1150 ऐसे अपराधियों को घोषित किया है जिन्होंने गंभीर अपराध किए हैं.

आतंकियों की  गौर मौजूदगी में भी चलेगा मुकदमा
आतंकियों की गौर मौजूदगी में भी चलेगा मुकदमा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2024, 4:12 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में लाए गए तीन नए कानूनों के तहत भारत में जन्मे कई आतंकवादी, आर्थिक अपराधी, ड्रग तस्कर, गैंगस्टर- जो विदेशी धरती पर शरण ले लेते हैं, उन्हें अब पकड़े जाने या प्रत्यर्पित किए जाने के बाद सीधे सजा का सामना करना पड़ेगा.

चंडीगढ़ पुलिस के महानिदेशक एसएस यादव ने रविवार को कहा, "1150 घोषित अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद, अब हम जांच करेंगे कि हम कितने लोगों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चला सकते हैं."

अपराधी की अनुपस्थिति में सुनवाई की अनुमति
अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 355 और 356 में शामिल किया गया है. बीएनएसएस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 का स्थान ले लिया है. यह कुछ मामलों में अनुपस्थिति में सुनवाई की अनुमति देता है, जबकि सीआरपीसी केवल अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य दर्ज करने की अनुमति देता है.

यादव ने कहा, "हम विदेश में शरण लेने वाले किसी भी अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला सकते हैं और एक बार पकड़े जाने के बाद, उन्हें सजा मिलेगी." यादव ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कई खालिस्तानी आतंकवादी, गैंगस्टर, ड्रग माफिया भारत में जघन्य अपराध करने के बाद वर्तमान में कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसी विदेशी धरती पर छिपे हुए हैं.

चंडीगढ़ के पुलिस थानों में टैबलेट वितरित
उन्होंने कहा कि नए कानूनों में एक समय सीमा तय की गई है, जिसके भीतर हमें एफआईआर दर्ज करनी है, चार्जशीट दाखिल करनी है और दोषियों को सजा देनी है. यादव ने कहा, "हमने अब तक चंडीगढ़ के पुलिस थानों में 170 टैबलेट वितरित किए हैं. इन टैबलेट के माध्यम से सभी पुलिस अधिकारियों को नई व्यवस्थाओं के बारे में जागरूक किया गया है." यादव ने कहा, "हमने चंडीगढ़ में नए कानूनों की सभी धाराओं को लागू करना शुरू कर दिया है."

यूपी में जागरूकता अभियान
उन्होंने कहा कि इस तरह के जागरूकता अभियान से निश्चित रूप से कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ-साथ नागरिकों को भी नए कानूनों और उनके लाभों के बारे में जानने में मदद मिलेगी." यादव ने कहा, "हम उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले में भी इस तरह का जागरूकता अभियान आयोजित करने के लिए तैयार हैं."

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा आयोजित नई दिल्ली से आए पत्रकारों के दौरे के दौरान चंडीगढ़ पुलिस की विशेष अधीक्षक कंवरदीप कौर ने नए आपराधिक कानूनों और उनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी. कौर ने कहा, "हमारे पास एक आपराधिक डेटा नेटवर्क सिस्टम है, जिसके माध्यम से हम कहीं भी छिपे अपराधियों की पहचान कर सकते हैं. वास्तव में, आर्टिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भी फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान के माध्यम से फरार अपराधियों और अपराधियों का पता लगाने में हमारी मदद करता है."

उन्होंने कहा कि नेशनल ऑटोमैटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) और चित्रखोज फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान की मदद से अपराधियों का पता लगाने में हमारी मदद करेंगे. पुलिस अधिकारी ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली की पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो गई है. ई-समन, अभियोजन, घटनास्थल की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग से लेकर सब कुछ डिजिटल हो गया है.

नए कानून के तहत 1179 एफआईआर दर्ज
उन्होंने बताया कि नए तीन आपराधिक कानूनों के तहत 1179 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि 245 आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं और चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है. नए आपराधिक कानूनों के तहत शिकायत के 90 दिनों के भीतर पीड़ित को मामले की प्रगति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए.

कौर ने अपराध और महिलाओं और बच्चों से संबंधित मामलों पर विशेष जोर देने के लिए कानूनों की सराहना की. कौर ने कहा, "धारा 193 (2) के तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में शिकायत दर्ज होने के बाद जांच पूरी होनी चाहिए." कौर ने कहा कि रेप और पोस्को से संबंधित मामलों में पुलिस को 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना होगा.

यह भी पढ़ें- 'सिख गुरु ने जताया गुस्सा', नारायण चौरा के समर्थन में उतरे रवनीत बिट्टू

नई दिल्ली: हाल ही में लाए गए तीन नए कानूनों के तहत भारत में जन्मे कई आतंकवादी, आर्थिक अपराधी, ड्रग तस्कर, गैंगस्टर- जो विदेशी धरती पर शरण ले लेते हैं, उन्हें अब पकड़े जाने या प्रत्यर्पित किए जाने के बाद सीधे सजा का सामना करना पड़ेगा.

चंडीगढ़ पुलिस के महानिदेशक एसएस यादव ने रविवार को कहा, "1150 घोषित अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद, अब हम जांच करेंगे कि हम कितने लोगों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चला सकते हैं."

अपराधी की अनुपस्थिति में सुनवाई की अनुमति
अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 355 और 356 में शामिल किया गया है. बीएनएसएस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 का स्थान ले लिया है. यह कुछ मामलों में अनुपस्थिति में सुनवाई की अनुमति देता है, जबकि सीआरपीसी केवल अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य दर्ज करने की अनुमति देता है.

यादव ने कहा, "हम विदेश में शरण लेने वाले किसी भी अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला सकते हैं और एक बार पकड़े जाने के बाद, उन्हें सजा मिलेगी." यादव ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कई खालिस्तानी आतंकवादी, गैंगस्टर, ड्रग माफिया भारत में जघन्य अपराध करने के बाद वर्तमान में कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसी विदेशी धरती पर छिपे हुए हैं.

चंडीगढ़ के पुलिस थानों में टैबलेट वितरित
उन्होंने कहा कि नए कानूनों में एक समय सीमा तय की गई है, जिसके भीतर हमें एफआईआर दर्ज करनी है, चार्जशीट दाखिल करनी है और दोषियों को सजा देनी है. यादव ने कहा, "हमने अब तक चंडीगढ़ के पुलिस थानों में 170 टैबलेट वितरित किए हैं. इन टैबलेट के माध्यम से सभी पुलिस अधिकारियों को नई व्यवस्थाओं के बारे में जागरूक किया गया है." यादव ने कहा, "हमने चंडीगढ़ में नए कानूनों की सभी धाराओं को लागू करना शुरू कर दिया है."

यूपी में जागरूकता अभियान
उन्होंने कहा कि इस तरह के जागरूकता अभियान से निश्चित रूप से कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ-साथ नागरिकों को भी नए कानूनों और उनके लाभों के बारे में जानने में मदद मिलेगी." यादव ने कहा, "हम उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले में भी इस तरह का जागरूकता अभियान आयोजित करने के लिए तैयार हैं."

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा आयोजित नई दिल्ली से आए पत्रकारों के दौरे के दौरान चंडीगढ़ पुलिस की विशेष अधीक्षक कंवरदीप कौर ने नए आपराधिक कानूनों और उनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी. कौर ने कहा, "हमारे पास एक आपराधिक डेटा नेटवर्क सिस्टम है, जिसके माध्यम से हम कहीं भी छिपे अपराधियों की पहचान कर सकते हैं. वास्तव में, आर्टिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भी फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान के माध्यम से फरार अपराधियों और अपराधियों का पता लगाने में हमारी मदद करता है."

उन्होंने कहा कि नेशनल ऑटोमैटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) और चित्रखोज फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान की मदद से अपराधियों का पता लगाने में हमारी मदद करेंगे. पुलिस अधिकारी ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली की पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो गई है. ई-समन, अभियोजन, घटनास्थल की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग से लेकर सब कुछ डिजिटल हो गया है.

नए कानून के तहत 1179 एफआईआर दर्ज
उन्होंने बताया कि नए तीन आपराधिक कानूनों के तहत 1179 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि 245 आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं और चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है. नए आपराधिक कानूनों के तहत शिकायत के 90 दिनों के भीतर पीड़ित को मामले की प्रगति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए.

कौर ने अपराध और महिलाओं और बच्चों से संबंधित मामलों पर विशेष जोर देने के लिए कानूनों की सराहना की. कौर ने कहा, "धारा 193 (2) के तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में शिकायत दर्ज होने के बाद जांच पूरी होनी चाहिए." कौर ने कहा कि रेप और पोस्को से संबंधित मामलों में पुलिस को 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना होगा.

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