बस्तर: 22 नवंबर का दिन डीआरजी की संयुक्त टीम रुटीन सर्चिंग अभियान पर निकली. किस्टाराम और भेज्जी के जंगल में जब फोर्स भंडरापदर गांव के पास पहुंची तो नक्सलियों के बैठक करने की सूचना मिली. नक्सली इलाके की सबसे ऊंची पहाड़ की चोटी पर जमा थे. जवानों ने बड़ी सावधानी के साथ पहाड़ के नीचे से इलाके की घेरबंदी शुरु की. जवान बड़ी सतर्कता के साथ ऊपर चढ़ने लगे. जैसे जैसे जवान माओवादियों के करीब पहुंचते गए. जवानों ने सतर्कता बरतनी शुरु कर दी. जवान जब नक्सलियों के करीब पहुंच गए तब सभी ने अपना अपना पोजिशन ले लिया.
भंडारपदर एनकाउंटर की फुल स्टोरी: माओवादियों को भी जवानों के आने की भनक लग चुकी थी. माओवादियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग जवानों पर शुरु कर दी. फोर्स जिस पोजिशन पर थी वो पोजिशन पहाड़ से थोड़ी नीचे थी. माओवादी ऊंचाई पर मौजूद थे. मुश्किल हालात में भी जवानों ने माओवादियों को चारों ओर से घेरकर गोलियां बरसानी शुरु कर दी. चौतरफा हुए हमले के बाद नक्सलियों के बीच भगदड़ मच गई. नक्सली जंगल में जान बचाने के लिए भागने लगे. माओवादियों को चारों ओर से घेरे जवानों ने उनको भागने का मौका नहीं दिया. एक एक कर कुल 10 नक्सली ढेर हो गए. मुठभेड़ के दौरान जंगल घंटों गोलियों और बमों के धमाकों से गूंजता रहा.
सुकमा मुठभेड़ में मारे गए 10 नक्सली: जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ वहां पर आज भी गोलियों के निशान और माओवादियों के सामान बिखरे पड़े हैं. AK-47, इंसास, एसएलआर और भरमार बंदूकों के खोखे पूरे जंगल में फैले हैं. जंगल में बिखरे पड़े कारतूस के खोखे को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुठभेड़ कितनी भयानक रही होगी. मौके पर बीजीएल सेल और हैंड ग्रेनड जिनका इस्तेमाल हुआ और जो नहीं फटे वो भी जंगल में बिखरे पड़े हैं. एनकाउंटर के बाद मौके से AK-47, इंसास, एसएलआर और भरमार बंदूकों का जखीरा बरामद हुआ.
2 DVCM रैंक का माओवादी हुआ ढेर: एनकाउंटर में डीवीसीएम रैंक के दो खतरनाक नक्सली भी ढेर हुए. मारे गए दोनों नक्सलियों पर सरकार ने भारी भरकम इनाम रखा था. भंडारपदर के जिस पहाड़ पर एनकाउंटर हुआ वो 4 बड़े बड़े पहाड़ों से घिरा हुआ इलाका था. माओवादी फोर्स के खतरे को भांपते हुए भंडारपदर के सबसे ऊंची चोटी वाले पहाड़ पर जमा थे. जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ वो जगह जिला मुख्यालय बस्तर से करीब 220 किमी की दूरी पर है. जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ वहां पर मोबाइल नेटवर्क भी मिल रहा था. मोबाइल नेटवर्क होने की वजह से जवानों को एनकाउंटर के दौरान बड़ा फायदा हुआ.
गोलियों से छलनी हो गए पेड़: जहां पर माओवादियों के साथ एनकाउंटर हुआ वहां पर ज्यादातर पेड़ गोलियों से छलनी हो गए हैं. हर पेड़ के तने और टहनियों पर गोलियों के आठ से दस निशान मौजूद हैं. मुठभेड़ वाली जगह पर खून के धब्बे भरे पड़े हैं. खाली कारतूस पूरे इलाके में बिखरे हैं. ग्राउंड जीरो पर जो हालात नजर आए उसे देखकर लगता है कि नक्सलियों को हिलने तक का मौका नहीं मिला होगा. जंगल में नक्सलियों के झोले, चप्पल और रोजाना इस्तेमाल में आने वाले सामान बिखरे पड़े हैं.
2026 तक नक्सलियों को खत्म करने का लक्ष्य: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने साल 2026 तक माओवादियों के खात्मे की बात कही है. फोर्स सरकार के उसी आदेश के तहत अब आगे बढ़ रही है. साल 2024 में अबतक 207 नक्सलियों के शव फोर्स ने बरामद किए हैं. अबतक 787 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 789 नक्सली अबतक सरेंडर पुलिस के सामने कर चुके हैं. नक्सलियों के पास से 262 घातक हथियार और बरामद किया जा चुका है. फोर्स अपनी सफलता से गदगद है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और सीएम साय ने भी फोर्स की सफलता पर उनको बधाई दी है.