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'विधायकों की अयोग्यता पर 4 हफ्ते के भीतर लें फैसला', पार्टी दल-बदल पर हाई कोर्ट का निर्देश - MLAs Disqualification

Telangana High Court: हाई कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर ऑफिस को निर्देश दिया कि वह पार्टी से अलग हुए विधायकों की अयोग्यता पर 4 सप्ताह के भीतर निर्णय ले. कोर्ट ने यह निर्देश बीआरएस और बीजेपी की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया है.

तेलंगाना हाई कोर्ट
तेलंगाना हाई कोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 9, 2024, 4:23 PM IST

हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस विजयसेन रेड्डी ने सोमवार को एक आदेश जारी कर राज्य में दलबदलू विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. उन्होंने स्पीकर ऑफिस को निर्देश दिया कि वह पार्टी से अलग हुए भारत राष्ट्र समिति (BRS) विधायकों की अयोग्यता पर 4 सप्ताह के भीतर निर्णय ले अन्यथा कोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेगा.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे लंबित अयोग्यता याचिकाओं को तत्काल अध्यक्ष के समक्ष रखें और उन पर चार हफ्ते के भीतर निर्णय लेने के लिए शेड्यूल प्राप्त करें. जज ने यह आदेश बीआरएस और बीजेपी की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया.

कब दायर की गई थीं याचिकाएं?
याचिका में बीआरएस विधायकों दानम नागेन्द्र, तेलम वेंकट राव और कडियम श्रीहरि को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी, जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हाई कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं अप्रैल में दायर की गई थीं. अभी तक, हमें याचिकाओं की स्थिति के बारे में पता नहीं है.

'याचिकाओं की स्थिति के बारे में सूचित करें'
जज ने स्पीकर को निर्देश देने से परहेज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इस अदालत से हस्तक्षेप करने का मामला बनाया है. हालांकि, न्यायाधीश ने विधानमंडल/अध्यक्ष के सचिव को निर्देश दिया कि वे चार हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को अयोग्यता याचिकाओं की स्थिति के बारे में सूचित करें.

जस्टिस विजयसेन ने बीआरएस और बीजेपी की याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि स्पीकर के सचिव द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले शेड्यूल में अदालत के सभी चरण शामिल होने चाहिए. इसमेंसुनवाई से लेकर स्पीकर के आदेश की घोषणा तक की प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए.

न्यायाधीश ने कहा कि अगर सचिवशेड्यूल पेश करने में विफल रहते हैं, तो अदालत स्वतः संज्ञान लेकर बीआरएस और भाजपा दोनों दलों की याचिकाओं को पर फिर से सुनवाई करेगी.

यह भी पढ़ें- 'अपराजिता विधेयक संवैधानिक रूप से अवैध', SC के पूर्व जज का दावा, CM ममता पर साधा निशाना

हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस विजयसेन रेड्डी ने सोमवार को एक आदेश जारी कर राज्य में दलबदलू विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. उन्होंने स्पीकर ऑफिस को निर्देश दिया कि वह पार्टी से अलग हुए भारत राष्ट्र समिति (BRS) विधायकों की अयोग्यता पर 4 सप्ताह के भीतर निर्णय ले अन्यथा कोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेगा.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे लंबित अयोग्यता याचिकाओं को तत्काल अध्यक्ष के समक्ष रखें और उन पर चार हफ्ते के भीतर निर्णय लेने के लिए शेड्यूल प्राप्त करें. जज ने यह आदेश बीआरएस और बीजेपी की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया.

कब दायर की गई थीं याचिकाएं?
याचिका में बीआरएस विधायकों दानम नागेन्द्र, तेलम वेंकट राव और कडियम श्रीहरि को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी, जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हाई कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं अप्रैल में दायर की गई थीं. अभी तक, हमें याचिकाओं की स्थिति के बारे में पता नहीं है.

'याचिकाओं की स्थिति के बारे में सूचित करें'
जज ने स्पीकर को निर्देश देने से परहेज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इस अदालत से हस्तक्षेप करने का मामला बनाया है. हालांकि, न्यायाधीश ने विधानमंडल/अध्यक्ष के सचिव को निर्देश दिया कि वे चार हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को अयोग्यता याचिकाओं की स्थिति के बारे में सूचित करें.

जस्टिस विजयसेन ने बीआरएस और बीजेपी की याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि स्पीकर के सचिव द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले शेड्यूल में अदालत के सभी चरण शामिल होने चाहिए. इसमेंसुनवाई से लेकर स्पीकर के आदेश की घोषणा तक की प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए.

न्यायाधीश ने कहा कि अगर सचिवशेड्यूल पेश करने में विफल रहते हैं, तो अदालत स्वतः संज्ञान लेकर बीआरएस और भाजपा दोनों दलों की याचिकाओं को पर फिर से सुनवाई करेगी.

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