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12 वर्षीय रेप पीड़िता को 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने की हाईकोर्ट से अनुमति - Rape Victim Abortion

Rape Victim Abortion: तेलंगाना हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने की अनुमति दी है. अदालत ने गांधी अस्पताल के अधीक्षक को 48 घंटे के भीतर गर्भपात की प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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By PTI

Published : Jul 6, 2024, 1:37 PM IST

Telangana HC
तेलंगाना हाईकोर्ट (ETV Bharat)

हैदराबाद : तेलंगाना हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय रेप पीड़िता को 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति दे दी है. अदालत ने सरकारी गांधी अस्पताल के अधीक्षक को गर्भावस्था को समाप्त करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि गर्भावस्था को समाप्त करना या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया, जैसा भी मामला हो, अस्पताल के एक वरिष्ठतम स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा और डीएनए और अन्य परीक्षण करने के लिए भ्रूण के ऊतक और रक्त के नमूने एकत्र किए जाएंगे.

जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि यदि पीड़ित लड़की या उसकी मां चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सहमति देती है, तो प्रतिवादी संख्या 4 - गांधी अस्पताल, हैदराबाद के अधीक्षक, पीड़ित लड़की को तुरंत भर्ती करेंगे, चिकित्सा जांच करेंगे. इसके साथ ही सभी आवश्यक सावधानियां बरतते हुए, पीड़ित लड़की का गर्भावस्था को 48 घंटे के भीतर चिकित्सकीय रूप से या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से समाप्त करेंगे.

इससे पहले, गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़िता की मां (याचिकाकर्ता) को सूचित किया कि चूंकि लड़की का गर्भ 24 सप्ताह से अधिक हो चुका है, इसलिए उसे चिकित्सा गर्भपात (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रावधानों के तहत समाप्त नहीं किया जा सकता है, जिसके बाद उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

जस्टिस रेड्डी ने गुरुवार को गांधी अस्पताल के अधीक्षक को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और पीड़ित लड़की की गर्भ अवधि, गर्भावस्था को समाप्त करने की व्यवहार्यता के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही जस्टिस रेड्डी ने लड़की की पहचान का खुलासा किए बिना एक सीलबंद लिफाफे में इस अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता की वकील वसुधा नागराज ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ कई लोगों ने यौन शोषण किया है. अगर उसे गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इससे उसे मानसिक पीड़ा होगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि न केवल पीड़िता, बल्कि जन्म लेने वाले बच्चे को भी शारीरिक और मानसिक आघात का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर गर्भावस्था जारी रखी जाती है और अंततः बच्चे का जन्म होता है तो मां और भ्रूण का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.

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हैदराबाद : तेलंगाना हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय रेप पीड़िता को 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति दे दी है. अदालत ने सरकारी गांधी अस्पताल के अधीक्षक को गर्भावस्था को समाप्त करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि गर्भावस्था को समाप्त करना या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया, जैसा भी मामला हो, अस्पताल के एक वरिष्ठतम स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा और डीएनए और अन्य परीक्षण करने के लिए भ्रूण के ऊतक और रक्त के नमूने एकत्र किए जाएंगे.

जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि यदि पीड़ित लड़की या उसकी मां चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सहमति देती है, तो प्रतिवादी संख्या 4 - गांधी अस्पताल, हैदराबाद के अधीक्षक, पीड़ित लड़की को तुरंत भर्ती करेंगे, चिकित्सा जांच करेंगे. इसके साथ ही सभी आवश्यक सावधानियां बरतते हुए, पीड़ित लड़की का गर्भावस्था को 48 घंटे के भीतर चिकित्सकीय रूप से या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से समाप्त करेंगे.

इससे पहले, गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़िता की मां (याचिकाकर्ता) को सूचित किया कि चूंकि लड़की का गर्भ 24 सप्ताह से अधिक हो चुका है, इसलिए उसे चिकित्सा गर्भपात (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रावधानों के तहत समाप्त नहीं किया जा सकता है, जिसके बाद उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

जस्टिस रेड्डी ने गुरुवार को गांधी अस्पताल के अधीक्षक को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और पीड़ित लड़की की गर्भ अवधि, गर्भावस्था को समाप्त करने की व्यवहार्यता के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही जस्टिस रेड्डी ने लड़की की पहचान का खुलासा किए बिना एक सीलबंद लिफाफे में इस अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता की वकील वसुधा नागराज ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ कई लोगों ने यौन शोषण किया है. अगर उसे गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इससे उसे मानसिक पीड़ा होगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि न केवल पीड़िता, बल्कि जन्म लेने वाले बच्चे को भी शारीरिक और मानसिक आघात का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर गर्भावस्था जारी रखी जाती है और अंततः बच्चे का जन्म होता है तो मां और भ्रूण का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.

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