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1970 के बाद पहली बार हो रहा भेड़ियों का सर्वे, झारखंड में हैं 70 दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ - Survey of wolves - SURVEY OF WOLVES

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu. 1970 के बाद पहली बार भेड़ियों का सर्वे हो रहा है. झारखंड में देश के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी है, जहां 70 भेड़िए मौजूद हैं. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ मौजूद हैं.

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 8, 2024, 2:44 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 4:16 PM IST

पलामू: 1970 के बाद भारत में पहली बार भेड़ियों का सर्वे हो रहा है. यह सर्वे देश के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के इलाके में हो रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ (भेड़िया) हैं. ग्रे वुल्फ की संख्या पूरे विश्व में मात्र दो हजार के करीब है.

नेशनल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में सर्वे कर रही है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की टीम महुआडांड़ के इलाके में चार महीने तक रही. भेड़ियों से जुड़े डाटा का वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में आकलन किया जा रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का कॉरिडोर झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच जुड़ा हुआ है.

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
GFX (ETV BHARAT)

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी 70 की संख्या में हैं भेड़िया

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में 70 भेड़िया के होने के सबूत मिले हैं. यह भेड़िया चार झुंडों में बंटे हुए हैं. भेड़ियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच घूम रहा है. दरअसल महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी करीब 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पलामू टाइगर रिजर्व के एक हिस्से में मौजूद है. कहा जाता है कि यह एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी है जहां दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ पाए जाते हैं.

"वुल्फ सेंचुरी में सर्वे हो रहा है, कुछ फैक्ट निकले हैं. जिसका आकलन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रही है."- कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर

"महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में 70 के करीब भेड़िया मौजूद है. भेड़िया के व्यवहार उनके हैबिटेट के बारे में विस्तृत सर्वे किया जा रहा है. 1970 के बाद यह पहला मौका है जब इस तरह के सर्वे की शुरुआत की गई है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में महीनों तक कैम्प किया. इस दौरान कई चौंकाने वाली जानकारी भी निकाल कर सामने आई है."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के ट्रैपिंग कैमरे में कैद भेड़िए के बच्चे (ईटीवी भारत)

खतरा होने के बाद जीवन भर मांद में वापस नहीं लौटते हैं भेड़िया

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में यह बात निकाल कर सामने आई है कि एक बार खतरा महसूस होने के बाद जीवन भर भेड़िया मांद में वापस नहीं लौटते हैं. भेड़िया आमतौर पर बकरी का शिकार करते हैं जिससे ग्रामीणों को नुकसान होता है. ग्रामीण भेड़ियों के मांद में जाल लगा देते हैं. एक बार भेड़िया को इसका एहसास होता है तो दोबारा उस इलाके में भेड़िया नहीं जाते हैं. यही कारण है कि झारखंड से निकलकर भेड़िया छत्तीसगढ़ के इलाके में चले जाते हैं. भेड़िया की याददाश्त काफी मजबूत होती है.

"ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. पीटीआर प्रबंधन ने यह पहल की है कि भेड़िया द्वारा शिकार किए जाने के बाद बकरी या मवेशी मालिक को अविलंब मुआवजा का भुगतान किया जाएगा. ग्रामीणों के नुकसान की भरपाई तुरंत की जाएगी. ग्रामीणों को जागरूकता अभियान से जोड़ा जा रहा है ताकि भेड़ियों की संख्या बढ़ सके."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के ट्रैपिंग कैमरे में कैद भेड़िया (ईटीवी भारत)

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी देश का पहला वुल्फ सेंचुरी है, जिसका गठन 1976 में हुआ था. गठन से पहले 1970 में सर्वे हुआ था. 1979 में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की गिनती हुई थी, उस समय 49 भेड़िया मिले थे. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें से 63 वर्ग किलोमीटर में वुल्फ सेंचुरी है. यह सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. यहां पर दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं.

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पलामू: 1970 के बाद भारत में पहली बार भेड़ियों का सर्वे हो रहा है. यह सर्वे देश के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के इलाके में हो रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ (भेड़िया) हैं. ग्रे वुल्फ की संख्या पूरे विश्व में मात्र दो हजार के करीब है.

नेशनल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में सर्वे कर रही है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की टीम महुआडांड़ के इलाके में चार महीने तक रही. भेड़ियों से जुड़े डाटा का वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में आकलन किया जा रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का कॉरिडोर झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच जुड़ा हुआ है.

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
GFX (ETV BHARAT)

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी 70 की संख्या में हैं भेड़िया

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में 70 भेड़िया के होने के सबूत मिले हैं. यह भेड़िया चार झुंडों में बंटे हुए हैं. भेड़ियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच घूम रहा है. दरअसल महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी करीब 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पलामू टाइगर रिजर्व के एक हिस्से में मौजूद है. कहा जाता है कि यह एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी है जहां दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ पाए जाते हैं.

"वुल्फ सेंचुरी में सर्वे हो रहा है, कुछ फैक्ट निकले हैं. जिसका आकलन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रही है."- कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर

"महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में 70 के करीब भेड़िया मौजूद है. भेड़िया के व्यवहार उनके हैबिटेट के बारे में विस्तृत सर्वे किया जा रहा है. 1970 के बाद यह पहला मौका है जब इस तरह के सर्वे की शुरुआत की गई है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में महीनों तक कैम्प किया. इस दौरान कई चौंकाने वाली जानकारी भी निकाल कर सामने आई है."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के ट्रैपिंग कैमरे में कैद भेड़िए के बच्चे (ईटीवी भारत)

खतरा होने के बाद जीवन भर मांद में वापस नहीं लौटते हैं भेड़िया

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में यह बात निकाल कर सामने आई है कि एक बार खतरा महसूस होने के बाद जीवन भर भेड़िया मांद में वापस नहीं लौटते हैं. भेड़िया आमतौर पर बकरी का शिकार करते हैं जिससे ग्रामीणों को नुकसान होता है. ग्रामीण भेड़ियों के मांद में जाल लगा देते हैं. एक बार भेड़िया को इसका एहसास होता है तो दोबारा उस इलाके में भेड़िया नहीं जाते हैं. यही कारण है कि झारखंड से निकलकर भेड़िया छत्तीसगढ़ के इलाके में चले जाते हैं. भेड़िया की याददाश्त काफी मजबूत होती है.

"ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. पीटीआर प्रबंधन ने यह पहल की है कि भेड़िया द्वारा शिकार किए जाने के बाद बकरी या मवेशी मालिक को अविलंब मुआवजा का भुगतान किया जाएगा. ग्रामीणों के नुकसान की भरपाई तुरंत की जाएगी. ग्रामीणों को जागरूकता अभियान से जोड़ा जा रहा है ताकि भेड़ियों की संख्या बढ़ सके."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

Mahuadanr wolf sanctuary in Palamu
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के ट्रैपिंग कैमरे में कैद भेड़िया (ईटीवी भारत)

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी देश का पहला वुल्फ सेंचुरी है, जिसका गठन 1976 में हुआ था. गठन से पहले 1970 में सर्वे हुआ था. 1979 में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की गिनती हुई थी, उस समय 49 भेड़िया मिले थे. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें से 63 वर्ग किलोमीटर में वुल्फ सेंचुरी है. यह सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. यहां पर दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं.

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पलामू टाइगर रिजर्व में दिखे दुर्लभ प्रजाति के 100 भेड़िए, कैमरे में कैद हुआ बच्चों के साथ खेलने का VIDEO

Last Updated : Aug 8, 2024, 4:16 PM IST
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