अमरावती: आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती की प्रतिष्ठित इमारतें, जो पांच साल से जलमग्न थीं, विशेषज्ञों की यह टीम सचिवालय, एचओडी, विधानसभा और उच्च न्यायालय की इमारत संरचनाओं की मजबूती पर अध्ययन कर रिपोर्ट देगी. दूसरी ओर, आईआईटी हैदराबाद के इंजीनियरों की एक टीम ने राजधानी क्षेत्र में सड़कों, नलिकाओं और अन्य संरचनाओं की जांच की.
आईआईटी मद्रास की टीम ने अमरावती का दौरा किया: आईआईटी मद्रास और आईआईटी हैदराबाद के विशेषज्ञों की टीमों ने राजधानी अमरावती का दौरा किया. आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञों की एक टीम ने प्रतिष्ठित टॉवर की राफ्ट नींव की जांच की, जो पांच साल से पूरी तरह पानी में डूबी हुई है, साथ ही उन संरचनाओं की भी जांच की जो पांच साल से धूप और मानसून की बारिश के संपर्क में हैं.
सचिवालय, एचओडी भवनों, उच्च न्यायालय और विधानसभा संरचनाओं के फाउंडेशन बेसमेंट का निरीक्षण किया गया. आईआईटी मद्रास के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मेहर प्रसाद के साथ, जंग विभाग के विशेषज्ञ प्रोफेसर राधाकृष्ण पिल्लई और फाउंडेशन और मैटेरियल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञ प्रोफेसर सुभादीप बनर्जी ने अमरावती में इन इमारतों की राफ्ट नींव की जांच की.
विशेषज्ञों की एक टीम एनडीआरएफ टीमों द्वारा व्यवस्थित नावों में सवार होकर जलमग्न सचिवालय, एचओडी प्रतिष्ठित टावरों के खंभों और राफ्ट फाउंडेशन क्षेत्र में गई. विशेषज्ञों ने पाया है कि जिस स्थान पर राफ्ट फाउंडेशन बनाया गया था, वह पूरा क्षेत्र पिछले पांच वर्षों से पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है. अनुमान है कि इस क्षेत्र में लगभग 0.7 टीएमसी जल संग्रहण की संभावना है.
विशेषज्ञों का माननाहै कि राफ्ट फाउंडेशन और बेसमेंट के निर्माण में इस्तेमाल किया गया लोहा, जो वर्तमान में पानी में डूबा हुआ है, पूरी तरह से जंग खा चुका है और इसकी मजबूती के लिए तकनीकी परीक्षण किए जाने चाहिए. साथ ही, प्राथमिक तौर पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि डूबे हुए क्षेत्रों में मिट्टी की क्षमता का परीक्षण किया जाना चाहिए.
चूंकि प्रतिष्ठित टावरों को लगभग 40 से 46 मंजिलों के साथ बनाने की योजना है, इसलिए मौजूदा क्षेत्र कितना भार सहन कर सकता है, इस पर परीक्षण किया जाएगा. दूसरी ओर, विधायकों, विधान पार्षदों और कर्मचारियों के आवासीय परिसरों में अधूरे निर्माणों में लोहे की छड़ें पूरी तरह से जंग खा चुकी हैं.
विशेषज्ञों का माननाहै कि आगे के निर्माण के लिए इन्हें पूरी तरह से हटाना पड़ सकता है. मूल रूप से अनुमान है कि इन्हें पूरी तरह से साफ करने के बाद ही काम शुरू करना होगा. विशेषज्ञों ने पाया कि विभागाध्यक्षों और मंत्रियों के आवासों में लोहे की छड़ें जंग खा चुकी हैं और कंक्रीट के खंभों में दरारें पड़ गई हैं.
विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि इमारतों की मजबूती का आकलन करने के लिए मिट्टी के परीक्षण के साथ-साथ गैर-विनाशकारी और कोर कटिंग परीक्षण भी किए जाने चाहिए. आईआईटी हैदराबाद के विशेषज्ञों की एक टीम ने क्षतिग्रस्त सड़कों, नालियों और सड़कों के किनारे स्थापित नलिकाओं की भी जांच की. गहन अध्ययन के बाद ये दोनों टीमें राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगी.