बेंगलुरु: शहर पिछले कुछ समय से जलसंकट से जूझ रहा है. इसे समस्या को दूर करने के प्रयास किए गए हैं. बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष राम प्रसाद मनोहर वी ने कहा कि पानी की अनावश्यक बर्बादी को रोकने के लिए दुकानों, उद्योगों, अपार्टमेंटों, लग्जरी होटलों और रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर नल में एरेटर (वॉटर टैप मास्क) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. ये एरेटर बाजार में उपलब्ध है. यह कम लागत पर मिल जाता है. ये पानी के बिल को काफी कम करने में मदद करता है.
बोर्ड मुख्यालय में मंगलवार को बेंगलुरु सिटी प्लंबर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा, 'बिना एरेटर वाले नलों से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद होता है. इन नलों में एरेटर लगाने से 60 से 85फीसदी तक पानी की बचत संभव है. जिस तरह से कोविड-19 महामारी के दौरान एहतियात के तौर पर मास्क और सैनिटाइजर लगाए जाते हैं, उसी तरह वॉटर टैप मास्क का उपयोग करना आवश्यक है. इसे स्थापित करना एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है. लोग इसे स्वयं लगा सकते हैं. यदि आवश्यक हो तो ही वे ऐसा करें वरना प्लंबर की मदद लें.'
'21 मार्च से 31 मार्च तक स्वेच्छा से नलों में एरेटर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. एरेटर 10 दिन के भीतर नलों में लगाना होगा. जिन भवनों में समय सीमा के भीतर ये वाटर टैप मास्क नहीं लगाए जाएंगे उन्हें जल आपूर्ति बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त प्लंबरों की मदद से इसे लगवाए जाएंगे. इसके एवज में मकान मालिकों से लागत खर्च वसूला जाएगा.
लोगों को हाथ धोने, बर्तन धोने, शॉवर, वॉश बेसिन नल सहित उन जगहों पर एरेटर लगाना चाहिए जहां पानी अनावश्यक रूप से बहता है. यह उपकरण बाजार में 60 रुपये में उपलब्ध है. इससे लोगों के घरों में पानी की खपत काफी कम हो जायेगी. साथ ही पानी का बिल भी कम होगा. इससे लोगों के घरों में पानी की खपत काफी कम हो जायेगी. साथ ही पानी का बिल भी कम होगा. उन्होंने कहा, 'जल बोर्ड के केंद्रीय कार्यालय में नलों के लिए एरेटर लगाने का काम शुरू हो गया है. अन्य कार्यालयों में भी एरेटर लगाने के निर्देश दिए गए हैं.'