चेन्नई: तमिलनाडु के घने जंगलों से प्रेम, सम्मान और सह-अस्तित्व की एक अद्भुत कहानी सामने आई है. कुमकी हाथी, जो कभी जंगली और अनियंत्रित थे, अब सौम्य रक्षक बन गए हैं जो लोगों और जानवरों को लड़ने से रोकते हैं. प्रसिद्ध कुमकी हाथियों में कलीम, विल्सन और चिन्नाथम्बी शामिल हैं, जिन्हें उनके समर्पित महावतों द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है और पाला जाता है.
कलीम के महावत मणि कहते हैं, "आप हाथी के पैरों को जंजीर से बांध सकते हैं, लेकिन आप उसके चरित्र को नहीं बांध सकते. हाथी एक जंगली जानवर है और समय-समय पर अपना गुस्सा दिखाता है." नौकरी से रिटायर हो चुके कलीम को पूरे वन क्षेत्र में 'कुमकी राजा' के नाम से जाना जाता है.
मनुष्य-पशु संघर्ष
कुमकी हाथियों का उपयोग वन क्षेत्रों से सटे मानव बस्तियों में मनुष्य-पशु संघर्ष को रोकने के लिए किया जाता है. इन कुमकी हाथियों को अन्य हाथियों को पकड़ने और उन्हें रीलॉकेट करने के लिए विशेष रूप से ट्रेन किया जाता है.
तमिलनाडु के मुथुमलाई एलिफेंट सैंक्चुअरी में 29 कुमकी हाथियों और टॉपस्लिप में 26 कुमकी हाथियों सहित कम से कम 55 कुमकी हाथी तमिलनाडु वन विभाग के नियंत्रण में हैं. उनमें से, कलीम, विल्सन और चिन्नाथम्बी हाथी अपने विशेष चरित्र और व्यक्तित्व के कारण प्रसिद्ध हैं.
कुमकी कैसे बनते हैं हाथी
यह पूछे जाने पर कि हाथी कुमकी कैसे बन जाते हैं, मणि कहते हैं, "हम हाथियों को जंगल में वापस खदेड़ने की कोशिश करते हैं, जो आम तौर पर मानव बस्तियों में समस्याएं पैदा करते हैं, लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है, तो हम उन नर जंगली हाथियों को पकड़ने की कोशिश करेंगे जो ज़्यादा परेशानी पैदा कर रहे हैं और उन्हें कुमकी में बदल देंगे."
उन्होंने बताया कि वह इस तरह पकड़े गए हाथियों को पहले लकड़ी के पिंजरों में रखते हैं, जिन्हें करोल कहते हैं और इस दौरान उन्हें संतुलित मात्रा में खाना दिया जाता है. इसके बाद ही महावत हाथियों को आदेश देना शुरू करते हैं.
मणि कहते हैं, "जब भी वह हमारी बात सुनता है, हम हाथी को एक गन्ना देते हैं. धीरे-धीरे उसका आक्रामक व्यवहार कम हो जाता है और वह शांत हो जाता है और हमारी बात सुनने लगता है. उस एक गन्ने के टुकड़े में सब कुछ समाया हुआ है."
उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में हाथियों को अंकुशम (धारदार हथियार) का उपयोग करके प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन तमिलनाडु में हम हाथियों के करीब जाते हैं और प्यार और स्नेह के साथ बात करते हैं. अगर आपको इसकी आदत हो जाए तो आप इसे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे. यह हमारे बच्चों को लाड़-प्यार करने जैसा है.
हाथियों को ट्रेन करने की भाषा
हाथियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष भाषा है. यह भाषा तमिल, हिंदी, मलयालम और तेलुगु सहित 47 भाषाओं को मिलाकर बनाई गई है. महावत कहते हैं कि वे इस भाषा का उपयोग इसलिए करते हैं ताकि कोई और हाथियों को नियंत्रित न कर सके.
तमिलनाडु कुमकी ने केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में भी कई ऑपरेशन पूरे किए हैं. अभी भी तमिलनाडु के टॉपस्लिप से महावत केरल मुथांगी हाथी शिविर में रह रहे हैं.