चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सोमवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता यूरोप का कॉन्सेप्ट है, न कि भारतीय अवधारणा. उनके बयान बाद सत्तारूढ़ द्रमुक और कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और रवि से संविधान पढ़ने को कहा.
उन्होंने ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक कार्यक्रम में कहा, "धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है, न कि भारतीय... हमें भारत में ऐसी अवधारणा की जरूरत नहीं है. इसकी उत्पत्ति यूरोप से हुई है, क्योंकि चर्च और राजा के बीच लड़ाई हुई थी. भारत को धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता नहीं है."
देश के लोगों के साथ धोखे
राज्यपाल ने कहा कि इस देश के लोगों के साथ बहुत सारे धोखे किए गए हैं और उनमें से एक यह है कि उन्हें धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या दी गई है. मूल प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं था. इसे इमरजेंसी के दौरान एक असुरक्षित प्रधानमंत्री ने जोड़ा था, जो कुछ वर्गों को खुश करना चाहता था.
My views on the statement of Tamilnadu Governor Ravi. pic.twitter.com/S5CT7LUaer
— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) September 23, 2024
भारत धर्म का देश है
उन्होंने आगे कहा कि यूरोप में जो संघर्ष देखा गया, वैसा कोई संघर्ष नहीं हुआ है. संविधान सभा की चर्चाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहां इस बात पर विचार-विमर्श किया गया था कि भारत धर्म का देश है और धर्म के साथ संघर्ष कैसे हो सकता है? भारत धर्म से दूर कैसे हो सकता है?
रवि ने कहा कि यूरोप में धर्मनिरपेक्षता इसलिए आई, क्योंकि चर्च और राजा के बीच लंबे समय तक लड़ाई चली. धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय कॉन्सेप्ट है और इसे, वहीं छोड़ देना चाहिए. भारत में धर्मनिरपेक्षता की कोई आवश्यकता नहीं है.
राज्यपाल को संविधान पढ़ना चाहिए
राज्यपाल आरएन रवि के बयान पर डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, "राज्यपाल को भारत का संविधान पढ़ना चाहिए... अनुच्छेद 25 कहता है कि धर्म की स्वतंत्रता होनी चाहिए, जिसे वह नहीं जानते. उन्हें जाकर संविधान को पूरा पढ़ना चाहिए. हमारे संविधान में 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं."
#WATCH | Delhi: On Tamil Nadu Governor RN Ravi's statement on secularism, CPI(M) leader Brinda Karat says, " this governor has taken oath in the name of constitution i presume...secularism is very much part of our constitution...separation of religion from politics is very much… pic.twitter.com/4pFXB0wx1o
— ANI (@ANI) September 23, 2024
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने साधा निशाना
वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि विदेशों में धर्मनिरपेक्षता का विचार अलग हो सकता है, भारत में हम सभी अन्य धर्मों का सम्मान करते हैं, हम सभी अन्य परंपराओं का सम्मान करते हैं और हम सभी अन्य प्रथाओं का सम्मान करते हैं और यही भारत में धर्मनिरपेक्षता का विचार है... क्या राज्यपाल हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं?
'देश को संकट का सामना करना पड़ेगा'
मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर ने कहा था कि अगर हिंदू राष्ट्र वास्तविकता बन गया तो देश को संकट का सामना करना पड़ेगा.
नेता वृंदा करात ने बताया शर्मनाक
सीपीआईएम नेता वृंदा करात ने न्यूज एजेंसी से एएनआई से कहा, "राज्यपाल ने संभवतः संविधान के नाम पर शपथ ली है. धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान का अभिन्न अंग है और धर्म को राजनीति से अलग रखना भी इसके भीतर निहित है. कल, वह दावा कर सकते हैं कि भारत का संविधान ही एक विदेशी अवधारणा है. यह आरएसएस की समझ को दर्शाता है. यह शर्मनाक है कि ऐसे व्यक्ति को तमिलनाडु जैसे महत्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है."
यह भी पढ़ें- तिरुपति लड्डू विवाद, स्वास्थ्य मंत्रालय का 'घी' सप्लायर को कारण बताओ नोटिस