छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) : वर्तमान समय में बदलती जीवनशैली के कारण सिंगल परिवार का चलन बढ़ता जा रहा है. खासकर बच्चों में अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने की मानसिकता कम हो रही है. घरेलू विवादों के कारण माता-पिता के अलग होने या वृद्धाश्रम भेजे जाने के मामले बढ़ रहे हैं.
माता-पिता के लिए यह देखना दुखद है कि जिन बच्चों को उन्होंने पालकर बड़ा किया है, वे उन्हें बुढ़ापे में अकेला छोड़ रहे हैं. हालांकि, अब डिविजनल कमिश्नर मधुकर अरदड ने ऐसे लोगों के लिए सर्कुलर जारी किया है जो अपने माता-पिता को बुढ़ापे में अकेला छोड़ देते हैं.
डिविजनल कमिश्नर ने सर्कुलर जारी कर कहा है कि माता-पिता का ख्याल रखें या उनकी संपत्ति भूल जाएं. पारिवारिक विवादों के कारण बुजुर्गों को गुस्सा न आए और बुढ़ापे में परेशानी न हो, इसके लिए यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने ये भी चेतावनी दी है कि अगर संपत्ति बच्चों के नाम पर दर्ज है, तो उसे रद्द कर दोबारा माता-पिता के नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इस संबंध में मराठवाड़ा संभाग में संभागीय आयुक्त मधुकर राजे अरदड ने सर्कुलर जारी किया है.
इस संबंध में मराठवाड़ा संभाग में संभागीय आयुक्त मधुकर राजे अरदड ने सर्कुलर जारी किया है कि जिन माता-पिता ने पहले ही अपने बच्चों के नाम संपत्ति कर दी है, और यदि माता-पिता शिकायत करते हैं, तो संपत्ति वापस माता-पिता के नाम पर स्थानांतरित कर दी जाएगी.
मंडलायुक्त ने कहा है कि ये सभी फैसले कोर्ट के दायरे में हैं और वह तरीका भी कोर्ट का आदेश है. तो सबसे पहले शिकायत तलाठी तहसील कार्यालय में की जाएगी. अरदड ने यह भी कहा कि यह फैसला बुजुर्ग माता-पिता को उनका अधिकार दिलाने और बेहतर जीवन जीने के लिए है.
राज्य स्तर पर लिया जाए निर्णय : वर्तमान समय में हर जगह संपत्ति विवाद बढ़ रहे हैं. खासकर माता-पिता बड़े अरमानों से बच्चों के नाम संपत्ति बनाते हैं, लेकिन बाद में उनकी देखभाल कौन करेगा? इसको लेकर विवाद है. इसका खामियाजा माता-पिता को भुगतना पड़ता है, यदि कोई उनकी देखभाल नहीं करता तो उन्हें वृद्धाश्रम में एकाकी जीवन व्यतीत करना पड़ता है. माता-पिता की देखभाल करना हर किसी की जिम्मेदारी है.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि उनके अवकाश को देखना और उसका ख्याल रखना भी जरूरी है. हालांकि, ऐसा नहीं होने के कारण, कई स्थानों पर ग्राम पंचायत स्तर माता-पिता की संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है. यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि इससे बच्चों को देखभाल करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. संभागीय आयुक्त मधुकर ने जानकारी दी है कि मराठवाड़ा संभाग में इस निर्णय को लागू करने के लिए एक परिपत्र जारी किया गया है और राज्य स्तर पर यह निर्णय लेने का प्रयास किया जा रहा है.