रांचीः नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर आयोजित मुख्य समारोह में झारखंड की झांकी ने सभी का मन मोह लिया. प्रदेश में तसर सिल्क के उत्पादन को इस झांकी में दिखाया गया. इस झांकी में तसर सिल्क उत्पादन से जुड़ी महिलाओं को काम करते हुए इस झांकी में दिखाया गया. कर्तव्य पथ पर झारखंड की झांकी का कई लोगों ने खड़े होकर अभिवादन किया और इसे खूब सराहा.
गणतंत्र दिवस में झारखंड की झांकी की थीम 'झारखंड का तसर' रही. झारखंड की झांकी बेहद ही आकर्षक नजर आई. इस झांकी को सोहराय और कोहबर पेंटिंग से संवारा और सजाया गया. इसमें झारखंड की जनजातीय शक्ति के बारे में दर्शाया गया. बता दें कि साल 2023 की झांकी में देवघर मंदिर का प्रारूप दर्शाया गया था. जबकि उससे पहले दुमका के मंदिरों के नगर मलूटी को 26 जनवरी की झांकी में शामिल हुआ था.
तसर उत्पादन में झारखंड अग्रणीः झारखंड तसर उत्पादन में अग्रणी राज्य है. देश के 62 फीसदी तसर का उत्पादन झारखंड में होता है. झारखंड का मयूराक्षी नाम का ब्रांड पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. विश्व के कई देशों में झारखंड का तसर सिल्क भेजा जाता है. प्रदेश में जनजातीय समुदाय के लगभग डेढ़ लाख लोग तसर उत्पादन से रोजगार पा रहे हैं. इसमें ज्यादातर आदिवासी और जनजातीय महिलाएं शामिल हैं. प्रत्येक वर्ष औसतन लगभग 20 हजार पांच सौ मीट्रिक टन तसर का उत्पादन झारखंड से होता है.
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दुमका के मयूराक्षी नदी के नाम पर बना ब्रांडः मयूराक्षी सिल्क आज एक बड़ा ब्रांड बन गया है, जिसकी मांग दूर-दूर तक फैली हुई है. यह झारखंड की उपराजधानी दुमका में बहने वाली मयूराक्षी नदी के नाम पर लिया गया है. वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में बने तसर सिल्क के कपड़ों की ब्रांडिंग शुरू की और इसका नाम मयूराक्षी सिल्क रखा. यहां सिल्क की साड़ी, सलवार सूट, जैकेट, बंडी, कुर्ता और भी बहुत सारी ड्रेस उपलब्ध हैं. हजारों किसान कोकून उत्पादन से जुड़े हैं जबकि करीब तीन सौ महिलाएं तसर का सूत निकालने और पोशाक तैयार करने के काम से जुड़ी हैं.
दुमका में कोकून का उत्पादनः दुमका के सभी 10 प्रखंडों में रेशम निर्माण के लिए कोकून का उत्पादन होता है. काठीकुंड, गोपीकांदर, शिकारीपाड़ा, रानीश्वर, मसलिया और सरैयाहाट प्रखंड में गांव-गांव में रेशम के लिए कोकून उत्पादन की इकाइयां चल रही हैं. तसर सिल्क की खेती, उत्पादन और कारोबार में पूरे देश में 3.5 लाख लोग जुड़े हैं. इनमें से 2.2 लाख लोग अकेले झारखंड के हैं. यहां का तसर सिल्क देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा लगभग 10 देशों में पहुंचता है. वर्ष 2022-23 में राज्य में 872 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन किया गया था. जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 2,250 मीट्रिक टन रेशम उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है.
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