वाराणसी: देश में जाति धर्म और संप्रदाय के भेदभाव को खत्म करने के लिए एक बड़ा प्रयास होने जा रहा है. जिसके तहत चार एससी/एसटी संतों को महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया है. गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और अन्य राज्यों के विभिन्न शहरों में कई बैठकें और कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस बारे में स्वामीनारायण ट्रस्ट के मुखिया पुरुषोत्तम स्वामी और ट्रस्ट के बौद्धिक सलाहकार राजेश शुक्ला ने बताया, कि उन्होंने इस यात्रा को दिल्ली तक बढ़ाया. वर्तमान में वाराणसी (शिव की नगरी) में हैं, जहां वे अपने अभियान का विस्तार कर और अधिक लोगों से जुड़कर समाज को एक समतामूलक समाज के रूप में एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं. जहां जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सभी को शिक्षा का समान अधिकार मिले, और महिलाओं को पूरी तरह सशक्त बनाया जा सके.
राजेश शुक्ला ने बताया, कि उन्होंने अपने अभियान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई राज्य मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, संसद सदस्यों और कई नौकरशाहों से मुलाकात की है, ताकि देश को एक समतामूलक समाज बनाया जा सके. चार एससी/एसटी संतों को महामंडलेश्वर नियुक्त करने के बाद, राजेश शुक्ला ने कई प्रमुख मंत्रियों से मुलाकात की है. जिनमें शामिल हैं, प्रमोद सावंत गोवा के मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, मनोज तिवारी, दिल्ली से सांसद, सुनील भराला, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, डॉ. अवधेश सिंह, विधायक, वाराणसी और भी कई प्रमुख व्यक्तियों से उन्होंने मुलाकात की है.
राजेश शुक्ला ने पुरुषोत्तम शास्त्री के साथ मिलकर प्रतीकात्मक रूप से सतारा, छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि से चावल और बडौली, गुजरात, भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि से नमक उठाया. उन्होंने अशोक गर्ग, निदेशक पेटीएम, विकास श्रीमाली, राजस्थान के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता, श्री अनिल श्रीवास्तव, पूर्व पुलिस आयुक्त, अहमदाबाद, और कई मंत्रियों सहित सभी के लिए समानता को बढ़ावा देने और भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने की शपथ ली है. इस ऐतिहासिक प्रयास की सराहना करते हुए जिसमें एससी/एसटी समुदाय से महामंडलेश्वर की नियुक्ति की गई है, सभी ने उन्हें समर्थन देकर इस महान उद्देश्य के लिए अपनी सहायता प्रदान करने का वादा किया है.
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राजेश ने बताया, कि इससे बैठक में मुख्य रूप से जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें सभी के लिए समान अवसर की भावना को जोर दिया गया है. इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं, ताकि कम से कम 30 केंद्र IAS अभ्यर्थियों, IPS अभ्यर्थियों, बैंकिंग अभ्यर्थियों और न्यायिकी अभ्यर्थियों के लिए खोले जा सकें. राजेश शुक्ला ने पुरुषोत्तम शास्त्री और रविंद्रपुरी के साथ गोंडल से नशा मुक्ति अभियान की शुरुआत की और फिर सुरेंद्रनगर, भावनगर, लुधियाना, पटियाला, कोचीन और भारत के अन्य शहरों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया. इसके लिए, उन्होंने स्कूल और कॉलेज के प्राचार्यों, पुजारियों, और महामंडलेश्वरों सहित कई सामाजिक सुधारकों से मुलाकात की. समतामूलक समाज (एक समानाधिकारी समाज) की स्थापना पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, कि सभी मानव समान हैं, और 1300 वर्षों के बाद चार नए एससी/एसटी महामंडलेश्वरों की नियुक्ति एक नई शुरुआत का प्रतीक है.
राजेश शुक्ला ने ज्ञानवापी मस्जिद के 4 प्रार्थीयों की सराहना की और कहा, कि आज हमें समाज में ऐसी महिलाओं की आवश्यकता है जो किसी भी डर के बिना साहसी कदम उठा सकती हैं. राजेश ने सामाजिक सुधार और समानता के कार्यों के क्रियान्वयन के लिए आगामी कुछ समय में कम से कम 100 और दलित महामंडलेश्वरों की नियुक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया है. राजेश शुक्ला ने दलित महामंडलेश्वरों की 4 प्रमुख भूमिकाओं पर जोर दिया है.