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परमार्थ निकेतन की गंगा आरती वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल होने पर स्वामी चिदानंद खुश, देश और भक्तों का बताया सम्मान - Ganga Aarti

Ganga Aarti Parmarth Niketan Rishikesh ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन की गंगा आरती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किए जाने से खुशी का माहौल है. परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया भर के लोग इस गंगा आरती में शामिल हो रहे हैं. उन्होंने इस सम्मान को देश के लोगों और भक्तों को समर्पित किया.

Ganga Aarti Parmarth Niketan
फाइल फोटो
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 30, 2024, 9:08 AM IST

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किया गया है. इस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने खुशी जताई है. स्वामी चिदानंद ने वर्ष 1997 में गंगा आरती शुरू की थी. करीब 28 वर्षों से गंगा आरती प्रतिदिन अनवरत जारी है. ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट पर समय-समय पर देश-विदेश से कई सेलिब्रिटी और राजनेता गंगा आरती के लिए पहुंचते रहते हैं.

परमार्थ निकेतन की गंगा आरती वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध: परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमें खुशी है कि परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर आयोजित गंगा आरती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किया गया है. इसमें देश भर से लाखों लोग शामिल होते हैं. दुनिया इस आरती में शामिल हो रही है. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम आना परमार्थ निकेतन का सौभाग्य है. यह सम्मान यहां आने वाले भक्तों और देश के लोगों को समर्पित है.

28 साल पहले सन 1997 में शुरू हुई थी गंगा आरती: ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर्ष 1997 में गंगा आरती की शुरुआत की थी. तब से यहां गंगा आरती होते करीब 28 वर्ष हो चुके हैं. गंगा आरती हर दिन सुबह और शाम जारी है. स्वामी चिदानंद ने कहा कि नदियां धरती की रुधिर वाहिकाएं हैं. नदियों के पानी में भारतीय संस्कृति का नाद (ध्वनि) गूंजता है.

जीवन और जीविका का आधार हैं नदियां: उन्होंने कहा कि हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नदियां जीवन और जीविका का आधार रही हैं. नदियां शांति और सद्गति दोनों ही देती हैं. इसलिए हमने गंगा आरती के माध्यम से जल के प्रति जागरण की शुरुआत की थी. प्रतिदिन शाम के समय भारत समेत विविध देशों के लोग भी ऑनलाइन गंगा आरती से जुड़ते हैं. अपने हाथों में आरती की थाली लेकर अपने घरों से ही आरती करके इस पुण्य कार्य में शामिल होते हैं. पूरे विश्व में मां गंगा के प्रति अद्भुत समर्पण है. इसलिए गंगा जी को संरक्षित रखना और भी महत्वपूर्ण है.
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  5. Watch Video: बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन पहुंची परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में लिया भाग

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किया गया है. इस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने खुशी जताई है. स्वामी चिदानंद ने वर्ष 1997 में गंगा आरती शुरू की थी. करीब 28 वर्षों से गंगा आरती प्रतिदिन अनवरत जारी है. ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट पर समय-समय पर देश-विदेश से कई सेलिब्रिटी और राजनेता गंगा आरती के लिए पहुंचते रहते हैं.

परमार्थ निकेतन की गंगा आरती वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध: परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमें खुशी है कि परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर आयोजित गंगा आरती को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध किया गया है. इसमें देश भर से लाखों लोग शामिल होते हैं. दुनिया इस आरती में शामिल हो रही है. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम आना परमार्थ निकेतन का सौभाग्य है. यह सम्मान यहां आने वाले भक्तों और देश के लोगों को समर्पित है.

28 साल पहले सन 1997 में शुरू हुई थी गंगा आरती: ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर्ष 1997 में गंगा आरती की शुरुआत की थी. तब से यहां गंगा आरती होते करीब 28 वर्ष हो चुके हैं. गंगा आरती हर दिन सुबह और शाम जारी है. स्वामी चिदानंद ने कहा कि नदियां धरती की रुधिर वाहिकाएं हैं. नदियों के पानी में भारतीय संस्कृति का नाद (ध्वनि) गूंजता है.

जीवन और जीविका का आधार हैं नदियां: उन्होंने कहा कि हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नदियां जीवन और जीविका का आधार रही हैं. नदियां शांति और सद्गति दोनों ही देती हैं. इसलिए हमने गंगा आरती के माध्यम से जल के प्रति जागरण की शुरुआत की थी. प्रतिदिन शाम के समय भारत समेत विविध देशों के लोग भी ऑनलाइन गंगा आरती से जुड़ते हैं. अपने हाथों में आरती की थाली लेकर अपने घरों से ही आरती करके इस पुण्य कार्य में शामिल होते हैं. पूरे विश्व में मां गंगा के प्रति अद्भुत समर्पण है. इसलिए गंगा जी को संरक्षित रखना और भी महत्वपूर्ण है.
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