नई दिल्ली: गुरुवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक से पहले रायबरेली से प्रियंका गांधी वाड्रा और अमेठी संसदीय सीट से राहुल गांधी की उम्मीदवारी को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. माना जा रहा है कि अपनी मां और मौजूदा सांसद सोनिया गांधी के राज्यसभा में चले जाने के बाद प्रियंका रायबरेली से लोकसभा में पदार्पण कर सकती हैं, जबकि 2004 से 2019 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल फिर से इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
यूपी के एआईसीसी प्रभारी अविनाश पांडे ने ईटीवी भारत को यह बात कही कि देखिए, इस मामले में अंतिम फैसला गांधी परिवार को लेना है, लेकिन राज्य भर के कार्यकर्ताओं की भारी मांग है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को क्रमशः रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ना चाहिए.
दो संसदीय सीटों की जिला कांग्रेस समितियों द्वारा प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद प्रियंका और राहुल से क्रमशः रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया. क्षेत्र के बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता पिछले कुछ दिनों से पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में डेरा डाले हुए हैं और मांग कर रहे हैं कि दोनों गांधी भाई-बहनों को आगामी लोकसभा चुनाव पारंपरिक गांधी परिवार के गढ़ से लड़ना चाहिए.
यूपी के पूर्व एमएलसी और अमेठी के वरिष्ठ नेता दीपक सिंह ने कहा कि 'बेशक, हम सभी चाहते हैं कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ें. हम चाहते हैं कि दोनों सीटों पर केवल गांधी परिवार के सदस्य ही चुनाव लड़ें.' स्थानीय नेताओं के मुताबिक, सोनिया गांधी के पक्ष में भारी सहानुभूति कारक को देखते हुए, जहां रायबरेली में प्रियंका के लिए संभावनाएं उज्ज्वल हैं, वहीं अमेठी में मौजूदा भाजपा सांसद स्मृति ईरानी की सत्ता विरोधी लहर के आधार पर एक नई रणनीति बनानी होगी.
सिंह ने कहा कि 'राहुल गांधी की न्याय यात्रा और अमेठी में रैली को जनता से भारी प्रतिक्रिया मिली. लोगों को यह एहसास हो गया है कि पिछले पांच वर्षों में उन्हें धोखा दिया गया है. वे अब इस सीट पर कांग्रेस की वापसी चाहते हैं. दोनों सीटों के लोगों का गांधी परिवार के साथ विशेष रिश्ता है.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, हालांकि सपा से गठबंधन का फायदा दो सीटों पर मिलेगा, लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान रायबरेली और अमेठी क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले तीन सपा विधायकों मनोज पांडे, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को स्थानांतरित करने पर चिंता थी.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि 'इन सपा विधायकों के भाजपा में जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वे मतदाताओं के सामने बेनकाब हो गए हैं और उन्हें मिल रहे महत्व ने भगवा पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है. इसके अलावा दोनों सीटों पर बीजेपी के खिलाफ काम करने के लिए कांग्रेस और एसपी कार्यकर्ता उत्साहित हैं. यह हमारे लिए फायदेमंद होगा.'
गांधी भाई-बहनों की मौजूदगी से यूपी में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन राहुल को केरल में अपनी वर्तमान लोकसभा सीट वायनाड की अपेक्षाओं और तेलंगाना व कर्नाटक में पार्टी इकाइयों की इसी तरह की मांगों को ध्यान में रखना होगा, जहां भाजपा की मजबूत उपस्थिति है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, तेलंगाना और कर्नाटक से मांग आ रही है, क्योंकि 2019 में राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने से केरल में कांग्रेस की संभावनाओं को मदद मिली.