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बिहार में वित्तीय सुधार के लिए याद किए जाएंगे सुशील मोदी! बतौर वित्त मंत्री रिकॉर्ड 11 बार पेश किया था बजट - Sushil Modi

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 14, 2024, 8:52 AM IST

Updated : May 14, 2024, 9:05 AM IST

Sushil Modi As Finance Minister: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उनको प्रदेश में बीजेपी के उत्थान के साथ ही विकास और वित्तीय मामलों में योगदान के लिए भी याद रखा जाएगा. उन्होंने बतौर वित्त मंत्री रिकॉर्ड 11 बार राज्य का बजट पेश किया था.

Sushil Modi Died
सुशील मोदी (ETV Bharat)

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में बजट पेश करने के मामले में रिकॉर्ड बनाया था. 2005 अक्टूबर में जब विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तब, वह डिप्टी सीएम बने. साथ ही उन्हें वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गयी थी. एनडीए की सरकार में सुशील मोदी जब तक रहे, वित्त विभाग का जिम्मा उन्होंने ही संभाला.

Sushil Modi Died
नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी (ETV Bharat)

2006 में पहली बार पेश किया था बजट: पहली बार सुशील मोदी ने वर्ष 2006 में विधानमंडल के दोनों सदनों में बजट पेश किया था. वित्तीय मामलों के वे काफी जानकार थे. वित्तीय मामलों में उनकी रुचि भी थी. 2006 से वर्ष 2013 तक उन्होंने लगातार 8 बार बिहार का बजट पेश किया. इसके बाद बिहार में राजनीतिक परिस्थिति ऐसी बनी कि जून 2013 से जुलाई 2017 तक बीजेपी सत्ता से बाहर रही. वर्ष 2017 में सुशील मोदी के प्रयास से ही नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हुए.

सुशील मोदी ने 11 बार बजट पेश किया: जब फिर से एनडीए की सरकार बनी, तब सुशील मोदी फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव तक इस पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने तीन बार बजट पेश किया. इस तरह कुल 11 बार उन्होंने बजट पेश किया था. 2020 में जब फिर से एनडीए सरकार बनी तो उसमें सुशील मोदी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.

बजट का आकार बढ़ाने में अहम योगदान: बिहार में राबड़ी देवी के शासन काल में आरजेडी का आखिरी बजट (2004-05) 23885 करोड़ रुपये का था. वहीं वर्ष 2020-21 का बजट 2,11,761 करोड़ रुपये का हो गया है. आरजेडी के शासन में 1990-91 से 2005-06 के बीच योजना आकार 35264 करोड़ रहा, जबकि वर्ष 2006-07 से 2019-20 के बीच योजना आकार 5 लाख 51 हजार 29 करोड़ रुपये रहा.

वित्तीय मामलों के जानकार थे सुशील मोदी: बजट आकार बढ़ाने में सुशील मोदी की बड़ी भूमिका रही. लालू-राबड़ी शासनकाल में पूर्ण बजट भी पेश नहीं हो रहा था, उस व्यवस्था को सुशील मोदी ने खत्म कर पूर्ण बजट पेश करना शुरू किया था. सुशील मोदी के बजट का ही कमाल था कि बिहार की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके और नीतीश कुमार अपनी योजनाओं को जमीन पर उतार सके. बजट को लेकर जब बहस होती थी और सुशील मोदी सत्ता में नहीं थे तो उस दौरान विरोधी दल के नेता भी उनकी काबिलियत को मानते थे और उनसे बहस करने से बचते थे.

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Sushil Modi Died
नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी (ETV Bharat)

2006 में पहली बार पेश किया था बजट: पहली बार सुशील मोदी ने वर्ष 2006 में विधानमंडल के दोनों सदनों में बजट पेश किया था. वित्तीय मामलों के वे काफी जानकार थे. वित्तीय मामलों में उनकी रुचि भी थी. 2006 से वर्ष 2013 तक उन्होंने लगातार 8 बार बिहार का बजट पेश किया. इसके बाद बिहार में राजनीतिक परिस्थिति ऐसी बनी कि जून 2013 से जुलाई 2017 तक बीजेपी सत्ता से बाहर रही. वर्ष 2017 में सुशील मोदी के प्रयास से ही नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हुए.

सुशील मोदी ने 11 बार बजट पेश किया: जब फिर से एनडीए की सरकार बनी, तब सुशील मोदी फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव तक इस पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने तीन बार बजट पेश किया. इस तरह कुल 11 बार उन्होंने बजट पेश किया था. 2020 में जब फिर से एनडीए सरकार बनी तो उसमें सुशील मोदी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.

बजट का आकार बढ़ाने में अहम योगदान: बिहार में राबड़ी देवी के शासन काल में आरजेडी का आखिरी बजट (2004-05) 23885 करोड़ रुपये का था. वहीं वर्ष 2020-21 का बजट 2,11,761 करोड़ रुपये का हो गया है. आरजेडी के शासन में 1990-91 से 2005-06 के बीच योजना आकार 35264 करोड़ रहा, जबकि वर्ष 2006-07 से 2019-20 के बीच योजना आकार 5 लाख 51 हजार 29 करोड़ रुपये रहा.

वित्तीय मामलों के जानकार थे सुशील मोदी: बजट आकार बढ़ाने में सुशील मोदी की बड़ी भूमिका रही. लालू-राबड़ी शासनकाल में पूर्ण बजट भी पेश नहीं हो रहा था, उस व्यवस्था को सुशील मोदी ने खत्म कर पूर्ण बजट पेश करना शुरू किया था. सुशील मोदी के बजट का ही कमाल था कि बिहार की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके और नीतीश कुमार अपनी योजनाओं को जमीन पर उतार सके. बजट को लेकर जब बहस होती थी और सुशील मोदी सत्ता में नहीं थे तो उस दौरान विरोधी दल के नेता भी उनकी काबिलियत को मानते थे और उनसे बहस करने से बचते थे.

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Last Updated : May 14, 2024, 9:05 AM IST
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