नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति के जुड़े कथित घोटाला मामले में बीआरएस एमएलसी के. कविता को दी गई जमानत के संबंध में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई है. दरअसल, सीएम रेड्डी ने कविता को जमानत मिलने पर भाजपा और बीआरएस के बीच कथित सौदेबाजी की ओर इशारा किया था. उनकी इस टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि ऐसे बयान से लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकते हैं.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने रेवंत रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा, "क्या आपने अखबार में पढ़ा कि उन्होंने क्या कहा? बस यह पढ़िए कि उन्होंने क्या कहा है. एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री का यह कैसा बयान है? इससे लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकते हैं."
पीठ में जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि क्या एक मुख्यमंत्री को ऐसी टिप्पणी करनी चाहिए? संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कैसा ऐसी टिप्पणी कर सकता है. जस्टिस गवई ने कहा कि सीएम रेवंत रेड्डी का बयान अदालत पर संदेह पैदा कर रहा है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे राजनेताओं या किसी के द्वारा अदालत के आदेशों की आलोचना करने से कोई फर्क नहीं पड़ता. पीठ ने जोर देकर कहा, "हम अपने कर्तव्य का पालन विवेक और अपनी शपथ के अनुसार करते हैं." पीठ ने कहा, "उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में अदालत को क्यों घसीटना चाहिए? क्या हम राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने के बाद आदेश पारित करते हैं."
सीएम रेड्डी ने क्या कहा था...
बता दें, सीएम रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि बीआरएस एमएलसी कविता को पांच महीने में जमानत मिलने पर संदेह है, क्योंकि आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को 15 महीने बाद जमानत मिली और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब तक जमानत नहीं मिली है. उन्होंने आरोप लगाया था कि बीआरएस ने लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए काम किया था. उन्होंने कहा था, "ऐसी भी चर्चा है कि कविता को बीआरएस और बीजेपी के बीच डील के कारण जमानत मिली."
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