नई दिल्ली: बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर झूठे दावे करने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक्शन लेते हुए विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने 'भ्रामक और झूठे' विज्ञापन बताया और निष्क्रियता के लिए केंद्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा, 'पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, सरकार आंखें बंद किए बैठी है.'
पीठ ने केंद्र के वकील से कहा कि आप दो साल तक इंतजार करें, याचिका 2022 में दायर की गई थी, जब ड्रग्स अधिनियम कहता है कि यह निषिद्ध है. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार पर असंतोष व्यक्त किया. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि राज्य को पतंजलि विज्ञापनों के संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए.
न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि अदालत दो व्यक्तियों, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण, जिनकी तस्वीरें विज्ञापन में हैं, को कार्यवाही में पक्ष बनाएगी. पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील विपिन सांघी ने कहा कि जहां तक बात बाबा रामदेव की बात है तो वह एक संन्यासी हैं. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि अदालत इससे चिंतित नहीं हैं. न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि उन्हें आदेश की जानकारी है और प्रथम दृष्टया वे अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत एलोपैथी दवा को बदनाम करने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने पतंजलि के वकील से कहा कि कंपनी में नवंबर 2023 में अदालत के आदेश के बाद भी इनमें विज्ञापनों के साथ आने का साहस है. कंपनी अदालत को लुभा रही है.
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को तय की है. बता दें, इससे पहले नवंबर में, शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को कई बीमारियों के इलाज से संबंधित दवाओं के बारे में विज्ञापनों में 'झूठे' और 'भ्रामक' दावे करने के प्रति आगाह किया था. .
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