नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कथित अवैध रेत खनन को लेकर की जा रही धन शोधन जांच के संबंध में तमिलनाडु के पांच जिलाधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने ईडी के समन के खिलाफ तमिलनाडु और उसके अधिकारियों की याचिका को 'अजीब और असामान्य' बताया और पांच जिलाधिकारियों को राहत देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'रिट याचिका (तमिलनाडु और उच्च न्यायालय में अन्य लोगों की) पूरी तरह से गलत है. तदनुसार, लागू आदेश (उच्च न्यायालय के) के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई है और इस प्रकार जिलाधिकारी अगली तारीख पर प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होंगे.' इससे पहले, पीठ ने कहा कि राज्य मशीनरी को यह पता लगाने में ईडी की मदद करनी चाहिए कि क्या कोई अपराध हुआ है क्योंकि इसमें कोई नुकसान नहीं है.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कथित अवैध रेत खनन से संबंधित धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावुर और अरियालुर के जिला अधिकारियों को तलब किया था. ईडी ने कहा था कि अधिकारियों को गवाह के रूप में बुलाया गया था. राज्य सरकार ने नौकरशाहों के साथ उच्च न्यायालय का रुख किया था जिसने ईडी द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी थी. जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.
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