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उत्तराखंड वनाग्नि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, कहा- कीमती जंगलों को बचाया जाना चाहिए - Uttarakhand Forest Fire Cases

Supreme Court on Forest Fire of Uttarakhand उत्तराखंड वनाग्नि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आग से कीमती जंगलों को बचाया जाना चाहिए. इसके लिए स्थायी समाधान निकाला जाए. अब इस मामले में अगली सुनवाई सितंबर महीने में होगी.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार- एएनआई)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2024, 10:47 PM IST

देहरादून/दिल्ली: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को कई दिशा निर्देश दिए. साथ ही वनाग्नि रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर संतुष्टि जाहिर कर कीमती जंगलों को बचाने को कहा. साथ ही जंगल की आग से बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने के भी आदेश दिए.

उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को जंगल की आग को रोकने और नियंत्रित करने, वन विभाग में रिक्तियों को भरने और अग्निशमन के लिए उपकरणों की उपलब्धता के लिए धनराशि के उपयोग के बारे में जानकारी दी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कीमती जंगलों को आग से बचाने के मुद्दे को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करेंगे. साथ ही जंगलों को आग से बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने की कोशिश करेंगे. जिस पर न्यायमूर्ति गवई ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता की ओर से दायर मामले पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें उत्तराखंड में जंगलों में लगी भीषण आग का मुद्दा उठाया गया था. न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हर किसी की दिलचस्पी केवल जंगल की रक्षा करने में है और सभी को इसमें शामिल होना चाहिए. सभी स्टेक होल्डर्स को एक साथ बैठकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका अनुपालन हो.

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वनकर्मियों की तस्वीरें और साक्षात्कार भी आई हैं, जिसमें वो पत्तों से आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक ऐसा तथ्य है, जिसे कोई भी नकार नहीं सकता. पीठ ने कहा कि हमने जो रिपोर्ट पढ़ी, उसमें आग लगने और बुझाने की तस्वीरों के साथ रिपोर्ट छपी थी, उसके आधार पर सवाल उठ रहे हैं.

जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो मीडिया में छपी बातों को कमतर नहीं आंक रहे हैं, लेकिन कभी-कभी उन पर पूरी तरह से विश्वास करना थोड़ा खतरनाक हो सकता है. मेहता ने कहा कि रिपोर्ट में दिखाई गई कुछ तस्वीरें कैलिफोर्निया में लगी जंगल की आग की हैं. तुषार मेहता ने कहा कि उत्तराखंड में 1,429 क्रू स्टेशनों की फील्ड क्रू टीमों को 40,184 विभिन्न उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं.

पीठ ने कहा कि अग्निशमन उपकरणों का स्टॉक नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें पहले ही वितरित किया जाना चाहिए. गौर हो की बीती 15 मई को सुप्रीम कोर्ट मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से यह बताने के लिए कहा था कि कैंपा फंड से वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केवल 3.4 करोड़ रुपए ही क्यों जारी किए गए? जबकि केंद्र ने 9.12 करोड़ रुपए मंजूर किए थे.

तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि इसका पूरा उपयोग किया गया. वन विभाग में रिक्तियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले साल 1 जुलाई तक फील्ड स्टाफ के कुल रिक्त पद 1,709 थे. पिछले एक साल के दौरान 1,252 फ्रंट लाइन फील्ड स्टाफ की नियुक्ति की गई है.

सुनवाई के अंत में तुषार मेहता ने कहा कि वो उत्तराखंड के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और मामले में एमिकस क्यूरी अधिवक्ता के परमेश्वर एक साथ बैठकर इन मुद्दों पर रणनीति तैयार करेंगे. उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी अदालत में मौजूद थीं.

मेहता के साथ राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी भी पेश हुए. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सितंबर में तय की. इस दौरान कोर्ट में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और अतिरिक्त प्रधान वन संरक्षक आदि मौजूद रहे.

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उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को जंगल की आग को रोकने और नियंत्रित करने, वन विभाग में रिक्तियों को भरने और अग्निशमन के लिए उपकरणों की उपलब्धता के लिए धनराशि के उपयोग के बारे में जानकारी दी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कीमती जंगलों को आग से बचाने के मुद्दे को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करेंगे. साथ ही जंगलों को आग से बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने की कोशिश करेंगे. जिस पर न्यायमूर्ति गवई ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता की ओर से दायर मामले पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें उत्तराखंड में जंगलों में लगी भीषण आग का मुद्दा उठाया गया था. न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हर किसी की दिलचस्पी केवल जंगल की रक्षा करने में है और सभी को इसमें शामिल होना चाहिए. सभी स्टेक होल्डर्स को एक साथ बैठकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका अनुपालन हो.

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वनकर्मियों की तस्वीरें और साक्षात्कार भी आई हैं, जिसमें वो पत्तों से आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक ऐसा तथ्य है, जिसे कोई भी नकार नहीं सकता. पीठ ने कहा कि हमने जो रिपोर्ट पढ़ी, उसमें आग लगने और बुझाने की तस्वीरों के साथ रिपोर्ट छपी थी, उसके आधार पर सवाल उठ रहे हैं.

जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो मीडिया में छपी बातों को कमतर नहीं आंक रहे हैं, लेकिन कभी-कभी उन पर पूरी तरह से विश्वास करना थोड़ा खतरनाक हो सकता है. मेहता ने कहा कि रिपोर्ट में दिखाई गई कुछ तस्वीरें कैलिफोर्निया में लगी जंगल की आग की हैं. तुषार मेहता ने कहा कि उत्तराखंड में 1,429 क्रू स्टेशनों की फील्ड क्रू टीमों को 40,184 विभिन्न उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं.

पीठ ने कहा कि अग्निशमन उपकरणों का स्टॉक नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें पहले ही वितरित किया जाना चाहिए. गौर हो की बीती 15 मई को सुप्रीम कोर्ट मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से यह बताने के लिए कहा था कि कैंपा फंड से वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केवल 3.4 करोड़ रुपए ही क्यों जारी किए गए? जबकि केंद्र ने 9.12 करोड़ रुपए मंजूर किए थे.

तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि इसका पूरा उपयोग किया गया. वन विभाग में रिक्तियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले साल 1 जुलाई तक फील्ड स्टाफ के कुल रिक्त पद 1,709 थे. पिछले एक साल के दौरान 1,252 फ्रंट लाइन फील्ड स्टाफ की नियुक्ति की गई है.

सुनवाई के अंत में तुषार मेहता ने कहा कि वो उत्तराखंड के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और मामले में एमिकस क्यूरी अधिवक्ता के परमेश्वर एक साथ बैठकर इन मुद्दों पर रणनीति तैयार करेंगे. उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी अदालत में मौजूद थीं.

मेहता के साथ राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी भी पेश हुए. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सितंबर में तय की. इस दौरान कोर्ट में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और अतिरिक्त प्रधान वन संरक्षक आदि मौजूद रहे.

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