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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला किया खारिज - कर्नाटक में मनी लॉन्ड्रिंग केस

Karnataka Deputy CM Shivkumar, Money Laundering Case in Karnataka, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सुप्रीम कोर्ट की ओर बड़ी राहत मिली है. साल 2018 के एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी डीके शिवकुमार पर दर्ज मामले को कोर्ट ने खारिज कर दिया.

Case registered against DK Shivkumar dismissed
डीके शिवकुमार पर दर्ज केस खारिज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 5, 2024, 3:23 PM IST

नई दिल्ली: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनके खिलाफ 2018 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता परमात्मा सिंह ने किया.

शीर्ष अदालत में शिवकुमार की याचिका में कहा गया कि 'याचिकाकर्ता धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत दंडनीय अपराध की जांच के लिए गलत तरीके से दर्ज ईसीआईआर/मुख्यालय/2018 में अधिकार क्षेत्र के बिना शुरू की गई अवैध कार्यवाही का सामना कर रहा है. इतना ही नहीं, पीएमएलए के तहत जांच शुरू करने का स्वीकृत आधार आयकर अधिकारियों द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत है, जिसमें आईपीसी की धारा 120बी के तहत दंडनीय आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है.'

याचिका में कहा गया है कि किसी अनुसूचित अपराध को अंजाम देने के लिए किसी साजिश के अभाव में, धारा 2 (यू) में परिभाषित अपराध की कोई भी आय अस्तित्व में नहीं है और प्रथम दृष्टया, पीएमएलए की धारा 3 लागू नहीं हो सकती है. शिवकुमार को इस मामले के सिलसिले में सितंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था.

अगले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. तब कांग्रेस नेता ने बीजेपी पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया था. कथित कर चोरी और करोड़ों रुपये के 'हवाला' लेनदेन के आरोप में बेंगलुरु की एक विशेष अदालत के समक्ष 2018 में आयकर विभाग द्वारा दायर आरोप पत्र पर मामला दर्ज किया गया था.

आईटी विभाग ने शिवकुमार और उनके कथित सहयोगी एस के शर्मा पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से 'हवाला' चैनलों के माध्यम से नियमित आधार पर बड़ी मात्रा में बेहिसाब धन के लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था.

नई दिल्ली: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनके खिलाफ 2018 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता परमात्मा सिंह ने किया.

शीर्ष अदालत में शिवकुमार की याचिका में कहा गया कि 'याचिकाकर्ता धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत दंडनीय अपराध की जांच के लिए गलत तरीके से दर्ज ईसीआईआर/मुख्यालय/2018 में अधिकार क्षेत्र के बिना शुरू की गई अवैध कार्यवाही का सामना कर रहा है. इतना ही नहीं, पीएमएलए के तहत जांच शुरू करने का स्वीकृत आधार आयकर अधिकारियों द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत है, जिसमें आईपीसी की धारा 120बी के तहत दंडनीय आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है.'

याचिका में कहा गया है कि किसी अनुसूचित अपराध को अंजाम देने के लिए किसी साजिश के अभाव में, धारा 2 (यू) में परिभाषित अपराध की कोई भी आय अस्तित्व में नहीं है और प्रथम दृष्टया, पीएमएलए की धारा 3 लागू नहीं हो सकती है. शिवकुमार को इस मामले के सिलसिले में सितंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था.

अगले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. तब कांग्रेस नेता ने बीजेपी पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया था. कथित कर चोरी और करोड़ों रुपये के 'हवाला' लेनदेन के आरोप में बेंगलुरु की एक विशेष अदालत के समक्ष 2018 में आयकर विभाग द्वारा दायर आरोप पत्र पर मामला दर्ज किया गया था.

आईटी विभाग ने शिवकुमार और उनके कथित सहयोगी एस के शर्मा पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से 'हवाला' चैनलों के माध्यम से नियमित आधार पर बड़ी मात्रा में बेहिसाब धन के लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था.

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