नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और उनकी अलग रह रही पत्नी पायल अब्दुल्ला को समझौते की संभावना तलाशने के लिए मध्यस्थता के लिए उपस्थित होने को कहा. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट जमा होने के बाद 4 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगी.
शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि पक्ष मध्यस्थता का प्रयास करें. उमर अब्दुल्ला का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने और पायल अब्दुल्ला का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने किया. वे दोनों मध्यस्थता प्रस्ताव पर सहमत हुए. सिब्बल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल मध्यस्थता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसका उद्देश्य विवाह को फिर से जोड़ना नहीं, बल्कि मामले को सुलझाना होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि दंपति पिछले 15 वर्षों से अलग-अलग रह रहे हैं.
पीठ ने कहा कि यह समझौता करने का प्रयास है, हालांकि यह समझा जाता है कि कुछ विवाहों में सामंजस्य नहीं हो सकता है, जबकि अगली सुनवाई नवंबर में निर्धारित की गई है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. हाई कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर अपनी पत्नी से तलाक की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. वहीं 15 जुलाई को सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने पायल अब्दुल्ला को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह के भीतर उनसे जवाब मांगा है. शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में उमर ने क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की.
दिसंबर 2023 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला की तलाक की मांग वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी अपील में कोई दम नहीं है. वहीं 2016 में, एक पारिवारिक अदालत ने अब्दुल्ला को तलाक का आदेश देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि पायल अब्दुल्ला के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे, और यह भी कहा कि वह क्रूरता या परित्याग के दावों को साबित नहीं कर सके. हाई कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा था. हालांकि उमर और पायल अब्दुल्ला अपने दो बेटों की संयुक्त कस्टडी रखते हैं.
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