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'36 घंटे के अंदर जारी करें डिस्क्लेमर', घड़ी चुनाव चिह्न को लेकर अजित पवार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश - ALLOCATION OF CLOCK SYMBOL ISSUE

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में एनसीपी के 'घड़ी' चुनाव चिन्ह विवाद में अजित पवार गुट को डिस्क्लेमर प्रकाशित करने का निर्देश दिया है.

Ajit Pawar NCP
अजित पवार का नामांकन रोड शो (फाइल फोटो) (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : Nov 6, 2024, 8:40 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र में एनसीपी के चुनाव चिह्न 'घड़ी' को लेकर चल रहे विवाद के बीच अजित पवार गुट को निर्देश दिया कि, वह मराठी समेत प्रमुख समाचार पत्रों में एक डिस्क्लेमर प्रकाशित करें, जिससे यह स्पष्ट हो कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह डिस्क्लेमर अगले 36 घंटे के भीतर प्रकाशित होना चाहिए, ताकि जनता आसानी से और जल्दी समझ सकें. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है.

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया. शरद पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि शरद पवार पिछले तीन दशकों से घड़ी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह चुनाव चिन्ह उनसे बहुत करीब से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ अजित पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल 'घड़ी' चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिंह से पूछा, "आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए समय क्यों ले रहे हैं?......हम आपको दिन नहीं दे रहे हैं, हम पूछ रहे हैं कि आप कितने घंटों में यह कर सकते हैं?" सिंह ने जवाब दिया कि यह कुछ दिनों में किया जा सकता है. हालांकि, बेंच ने यह स्पष्ट किया कि डिस्क्लेमर अधिकतम 36 घंटों के भीतर समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटों द्वारा "घड़ी" चिह्न के कथित उपयोग और दुरुपयोग पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने दोनों समूहों को मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया. बेंच ने दोनों एनसीपी गुटों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से कहा, "अदालतों में अपनी ऊर्जा बर्बाद न करें. आप दोनों को मतदाताओं को लुभाने के लिए उनके पास जाना चाहिए."

शरद पवार ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अजित पवार गुट को 'घड़ी' चिह्न का उपयोग करने से रोकने के लिए एक आवेदन दायर किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी को सभी अभियान सामग्रियों में एक डिस्क्लेमर शामिल करने का निर्देश दिया था कि 'घड़ी' चिह्न का उपयोग अदालत के समक्ष लंबित है.

आज सुनवाई के दौरान सिंघवी ने तर्क दिया कि, अजित पवार गुट को उनके मुवक्किल का सहारा नहीं लेना चाहिए और आगामी चुनावों में घड़ी के अलावा किसी अन्य प्रतीक का उपयोग नहीं करना चाहिए. सिंघवी ने कहा, "अगर आपको लगता है कि घड़ी का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो क्या होगा, क्या मैं चुनावों के बीच में हर रोज आधिपत्य में आकर कहूंगा कि घड़ी का दुरुपयोग किया जा रहा है." बेंच ने कहा कि, वह दैनिक समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए दूसरे पक्ष को अधिकतम 36 घंटे का समय देगी.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में फिर पहुंची 'घड़ी' की लड़ाई, शरद पवार ने नई अर्जी दाखिल की; 15 अक्टूबर को होगी सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र में एनसीपी के चुनाव चिह्न 'घड़ी' को लेकर चल रहे विवाद के बीच अजित पवार गुट को निर्देश दिया कि, वह मराठी समेत प्रमुख समाचार पत्रों में एक डिस्क्लेमर प्रकाशित करें, जिससे यह स्पष्ट हो कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह डिस्क्लेमर अगले 36 घंटे के भीतर प्रकाशित होना चाहिए, ताकि जनता आसानी से और जल्दी समझ सकें. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है.

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया. शरद पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि शरद पवार पिछले तीन दशकों से घड़ी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह चुनाव चिन्ह उनसे बहुत करीब से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ अजित पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल 'घड़ी' चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिंह से पूछा, "आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए समय क्यों ले रहे हैं?......हम आपको दिन नहीं दे रहे हैं, हम पूछ रहे हैं कि आप कितने घंटों में यह कर सकते हैं?" सिंह ने जवाब दिया कि यह कुछ दिनों में किया जा सकता है. हालांकि, बेंच ने यह स्पष्ट किया कि डिस्क्लेमर अधिकतम 36 घंटों के भीतर समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटों द्वारा "घड़ी" चिह्न के कथित उपयोग और दुरुपयोग पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने दोनों समूहों को मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया. बेंच ने दोनों एनसीपी गुटों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से कहा, "अदालतों में अपनी ऊर्जा बर्बाद न करें. आप दोनों को मतदाताओं को लुभाने के लिए उनके पास जाना चाहिए."

शरद पवार ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अजित पवार गुट को 'घड़ी' चिह्न का उपयोग करने से रोकने के लिए एक आवेदन दायर किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी को सभी अभियान सामग्रियों में एक डिस्क्लेमर शामिल करने का निर्देश दिया था कि 'घड़ी' चिह्न का उपयोग अदालत के समक्ष लंबित है.

आज सुनवाई के दौरान सिंघवी ने तर्क दिया कि, अजित पवार गुट को उनके मुवक्किल का सहारा नहीं लेना चाहिए और आगामी चुनावों में घड़ी के अलावा किसी अन्य प्रतीक का उपयोग नहीं करना चाहिए. सिंघवी ने कहा, "अगर आपको लगता है कि घड़ी का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो क्या होगा, क्या मैं चुनावों के बीच में हर रोज आधिपत्य में आकर कहूंगा कि घड़ी का दुरुपयोग किया जा रहा है." बेंच ने कहा कि, वह दैनिक समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए दूसरे पक्ष को अधिकतम 36 घंटे का समय देगी.

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