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पिता की विरासत को कामयाब रखने चुनाव मैदान में उतरी यशस्विनी सहाय, जानिए रांची सीट पर चुनाव क्यों हुआ दिलचस्प - Lok Sabha Election 2024

Yashaswini Sahay, Subodhkant Sahay. कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए तैयार है. कांग्रेस ने उन्हें रांची लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. लेकिन क्या रांची जैसे बीजेपी के गढ़ में यशस्विनी परचलम लहरा पाएंगी?

Ranchi Lok Sabha Seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 23, 2024, 5:07 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 5:12 PM IST

चुनावी मैदान में सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय

रांची: रांची लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव दिलचस्प होनेवाला है. बीजेपी ने एक बार फिर संजय सेठ को चुनाव मैदान में उतारा है जिसके सामने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय कांग्रेस की ओर से होंगी. अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए चुनाव मैदान में उतर रहीं यशस्विनी सहाय पेशा से एडवोकेट हैं.

मानव अधिकार और चाइल्ड राइट पर काम करनेवाली यशस्विनी इस चुनाव में पूरी जोश खरोश के साथ मैदान में उतरीं हैं. पिता का अनुभव और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति का लाभ मिलने की उम्मीद लिए चुनाव मैदान में उतरी यशस्विनी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने ईटीवी भारत संवाददाता भुवन किशोर झा से खास बात चीत में खुलकर बात की.

अधिवक्ता से राजनीति का सफर से कोई आश्चर्य नहीं- यशस्विनी

अधिवक्ता से राजनीति का सफर तय करने में जुटी यशस्विनी सहाय का मानना है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जब से मैंने होश संभाला घर में राजनीतिक माहौल ही देखा. राजनीतिक माहौल में पलने बढ़ने के बाद मैंने लॉ सेक्टर को चुना और कॉरपोरेट ज्वाइन नहीं किया बल्कि झारखंड की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिकिंग पर काम करती रही. चाइल्ड राइट और ह्यमैन राइट को मैंने मिशन बनाया और काम करती रही.

उन्होंने कहा कि रांची को बेहतर बनाने का ख्वाब लेकर चुनाव मैदान में उतरी हूं क्योंकि आज भी रांची में जो राजधानी जैसी सुविधा होनी चाहिए वो नहीं है. हम राहुल गांधी के विजन और संकल्प को पूरा करने की कोशिश करेंगे. जिस उम्मीद से पार्टी ने हमें यह जिम्मेदारी दी है उसे पूरा करने की कोशिश करूंगी. अपनी बेटी की जीत सुनिश्चित कराने में जुटे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का मानना है कि सोनिया गांधी का निर्णय का हम स्वागत करते हैं. यशस्विनी महज 27 वर्ष की सबसे युवा प्रत्याशी होंगी जो चुनाव मैदान में उतर रहीं हैं. मुझे उम्मीद है कि पार्टी के हर कार्यकर्ता एकजुट होकर जीत सुनिश्चित कराने का काम करेंगे.

रांची के सभी 6 विधानसभा सीट पर बदलता रहा है समीकरण

रांची लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया, कांके और ईचागढ़ शामिल है. प्रशासनिक लिहाज से इस लोकसभा क्षेत्र में 15 प्रखंड, 252 पंचायत और 2256 गांव आता है. यदि शहरी क्षेत्र की बात करें तो रांची शहर में 55 वार्ड हैं जिसमें राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं. 06 विधानसभा में रांची, हटिया, कांके और सिल्ली एनडीए के कब्जे में है. ईचागढ़ झामुमो और खिजरी में कांग्रेस 2019 के विधानसभा में जीती थी.

शहरी क्षेत्र जहां भाजपा का वोटबैंक माना जाता है पिछले चुनाव में कमजोर होता दिखा. हालत यह कि रांची सीट पर सीपी सिंह चुनाव कम मार्जिन से जीते. हालांकि कांके बीजेपी के लिए बेहतर रहा. सिल्ली में आजसू के सुदेश महतो जीतने में सफल रहे थे. कांग्रेस का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र में हमारा दबदबा है और अब शहरी क्षेत्र के मतदाताओं का मूड भी बदल रहा है. ऐसे में इस बार का रांची सीट पर होनेवाला लोकसभा चुनाव परिणाम चौकाने वाला होगा.

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रांची: रांची लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव दिलचस्प होनेवाला है. बीजेपी ने एक बार फिर संजय सेठ को चुनाव मैदान में उतारा है जिसके सामने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय कांग्रेस की ओर से होंगी. अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए चुनाव मैदान में उतर रहीं यशस्विनी सहाय पेशा से एडवोकेट हैं.

मानव अधिकार और चाइल्ड राइट पर काम करनेवाली यशस्विनी इस चुनाव में पूरी जोश खरोश के साथ मैदान में उतरीं हैं. पिता का अनुभव और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति का लाभ मिलने की उम्मीद लिए चुनाव मैदान में उतरी यशस्विनी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने ईटीवी भारत संवाददाता भुवन किशोर झा से खास बात चीत में खुलकर बात की.

अधिवक्ता से राजनीति का सफर से कोई आश्चर्य नहीं- यशस्विनी

अधिवक्ता से राजनीति का सफर तय करने में जुटी यशस्विनी सहाय का मानना है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जब से मैंने होश संभाला घर में राजनीतिक माहौल ही देखा. राजनीतिक माहौल में पलने बढ़ने के बाद मैंने लॉ सेक्टर को चुना और कॉरपोरेट ज्वाइन नहीं किया बल्कि झारखंड की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिकिंग पर काम करती रही. चाइल्ड राइट और ह्यमैन राइट को मैंने मिशन बनाया और काम करती रही.

उन्होंने कहा कि रांची को बेहतर बनाने का ख्वाब लेकर चुनाव मैदान में उतरी हूं क्योंकि आज भी रांची में जो राजधानी जैसी सुविधा होनी चाहिए वो नहीं है. हम राहुल गांधी के विजन और संकल्प को पूरा करने की कोशिश करेंगे. जिस उम्मीद से पार्टी ने हमें यह जिम्मेदारी दी है उसे पूरा करने की कोशिश करूंगी. अपनी बेटी की जीत सुनिश्चित कराने में जुटे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का मानना है कि सोनिया गांधी का निर्णय का हम स्वागत करते हैं. यशस्विनी महज 27 वर्ष की सबसे युवा प्रत्याशी होंगी जो चुनाव मैदान में उतर रहीं हैं. मुझे उम्मीद है कि पार्टी के हर कार्यकर्ता एकजुट होकर जीत सुनिश्चित कराने का काम करेंगे.

रांची के सभी 6 विधानसभा सीट पर बदलता रहा है समीकरण

रांची लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया, कांके और ईचागढ़ शामिल है. प्रशासनिक लिहाज से इस लोकसभा क्षेत्र में 15 प्रखंड, 252 पंचायत और 2256 गांव आता है. यदि शहरी क्षेत्र की बात करें तो रांची शहर में 55 वार्ड हैं जिसमें राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं. 06 विधानसभा में रांची, हटिया, कांके और सिल्ली एनडीए के कब्जे में है. ईचागढ़ झामुमो और खिजरी में कांग्रेस 2019 के विधानसभा में जीती थी.

शहरी क्षेत्र जहां भाजपा का वोटबैंक माना जाता है पिछले चुनाव में कमजोर होता दिखा. हालत यह कि रांची सीट पर सीपी सिंह चुनाव कम मार्जिन से जीते. हालांकि कांके बीजेपी के लिए बेहतर रहा. सिल्ली में आजसू के सुदेश महतो जीतने में सफल रहे थे. कांग्रेस का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र में हमारा दबदबा है और अब शहरी क्षेत्र के मतदाताओं का मूड भी बदल रहा है. ऐसे में इस बार का रांची सीट पर होनेवाला लोकसभा चुनाव परिणाम चौकाने वाला होगा.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 5:12 PM IST
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