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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा के लिए मंच तैयार, अनुष्ठान कार्यक्रम को दिया गया अंतिम रूप - Puri Jagannath Rath Yatra

ओडिशा में पुरी जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के लिए मंच तैयार है. इस काम में सैकड़ों पारंपरिक बढ़ई और चित्रकार तीन विशाल रथों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं.

Puri Jagannath Rath Yatra
पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 6, 2024, 2:09 PM IST

पुरी: ओडिशा के पवित्र तटीय शहर पुरी में रविवार को शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की भव्य वार्षिक रथ यात्रा या रथ उत्सव के लिए मंच तैयार है. सैकड़ों पारंपरिक बढ़ई और चित्रकार भगवान के तीन विशाल रथों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं.

जगन्नाथ संस्कृति शोधकर्ता, भास्कर मिश्रा ने कहा कि 'हर साल हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाई जाने वाली रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जब पवित्र त्रिदेव अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर (यज्ञ वेदी या भगवान का उद्यान) की ओर वार्षिक नौ दिवसीय प्रवास पर निकलते हैं, जो जगन्नाथ मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है.'

Puri Jagannath Rath Yatra
पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

उन्होंने कहा कि 'सभी संप्रदायों और पंथों से ऊपर उठकर आने वाले भक्तों को रथ यात्रा के दौरान दिव्य भाई-बहनों के दर्शन होते हैं.' परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा तीनों को हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन (जिसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन माना जाता है) स्नान यात्रा के दौरान सुगंधित जल से भरे 108 घड़ों से स्नान कराने के बाद वे बीमार पड़ जाते हैं.

देवता एकांत में रहते हैं और भक्तों को 15 दिनों तक पवित्र त्रिदेवों के दर्शन की अनुमति नहीं होती है, जिसे 'अनासार' अवधि के रूप में जाना जाता है, जब 'दैतापति' नामक सेवकों के एक विशेष समूह द्वारा कुछ गुप्त अनुष्ठान किए जाते हैं. पवित्र भाई-बहनों को आमतौर पर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, फल आदि चढ़ाए जाते हैं. ताकि वे पवित्र स्नान के कारण होने वाले बुखार से जल्दी ठीक हो जाएं.

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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

पूरी तरह से ठीक होने के बाद देवता भक्तों को दर्शन देते हैं जिसे लोकप्रिय रूप से 'नव यौवन दर्शन' कहा जाता है जो आमतौर पर रथ यात्रा से एक दिन पहले मनाया जाता है. हालांकि, इस वर्ष 53 वर्षों के अंतराल के बाद नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव (पुजारियों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान) और रथ यात्रा एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिससे पुजारियों और प्रशासन के सामने सभी अनुष्ठानों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है, ताकि 7 जुलाई को शाम 5 बजे तक रथों को खींचना शुरू हो सके.

राज्य सरकार ने रथ यात्रा के अगले दिन भी अवकाश घोषित किया है, क्योंकि रथ खींचने का काम अगले दिन भी जारी रहेगा. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंगलवार को इसकी घोषणा की कि 'यह एक अनोखी और दुर्लभ रथ यात्रा है, जो दो दिन (7-8 जुलाई) तक मनाई जाएगी. इसलिए, रथ यात्रा के अगले दिन अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया गया है.'

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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

मंगलवार को पुरी में रथ यात्रा पर समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मांझी ने रथ यात्रा उत्सव के सुचारू और परेशानी मुक्त संचालन के लिए सेवकों, जिला प्रशासन और स्थानीय जनता सहित सभी हितधारकों से सहयोग मांगा. वरिष्ठ दैतापति सेवक बिनायक दास महापात्रा ने बताया कि 'ऐसी स्थिति पिछली बार 1971 में करीब 53 साल पहले बनी थी, जब नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव और रथ यात्रा एक ही दिन पड़े थे.'

महापात्रा ने बताया कि 'पिछली बार पहांडी बिजे, 12वीं सदी के मंदिर से अन्य देवताओं के साथ पवित्र भाई-बहनों की औपचारिक शोभायात्रा, उनके संबंधित रथों तक दोपहर 2 बजे शुरू हुई थी, जबकि अनुष्ठान के लिए रथों को खींचने का काम शाम 7 बजे शुरू हुआ था.'

Puri Jagannath Rath Yatra
पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

उन्होंने आगे कहा कि 'हालांकि, इस बार हम मंदिर के अंदर सभी अनुष्ठान दोपहर 1 बजे से एक घंटे पहले पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे, जो 7 जुलाई को पहांडी अनुष्ठान के लिए निर्धारित समय है. यह भी उम्मीद है कि रथ यात्रा पर अधिक भक्त इकट्ठा होंगे क्योंकि वे नव यौवन दर्शन पर भगवान के दर्शन करने में असफल रहेंगे.'

पुरी: ओडिशा के पवित्र तटीय शहर पुरी में रविवार को शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की भव्य वार्षिक रथ यात्रा या रथ उत्सव के लिए मंच तैयार है. सैकड़ों पारंपरिक बढ़ई और चित्रकार भगवान के तीन विशाल रथों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं.

जगन्नाथ संस्कृति शोधकर्ता, भास्कर मिश्रा ने कहा कि 'हर साल हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाई जाने वाली रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जब पवित्र त्रिदेव अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर (यज्ञ वेदी या भगवान का उद्यान) की ओर वार्षिक नौ दिवसीय प्रवास पर निकलते हैं, जो जगन्नाथ मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है.'

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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

उन्होंने कहा कि 'सभी संप्रदायों और पंथों से ऊपर उठकर आने वाले भक्तों को रथ यात्रा के दौरान दिव्य भाई-बहनों के दर्शन होते हैं.' परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा तीनों को हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन (जिसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन माना जाता है) स्नान यात्रा के दौरान सुगंधित जल से भरे 108 घड़ों से स्नान कराने के बाद वे बीमार पड़ जाते हैं.

देवता एकांत में रहते हैं और भक्तों को 15 दिनों तक पवित्र त्रिदेवों के दर्शन की अनुमति नहीं होती है, जिसे 'अनासार' अवधि के रूप में जाना जाता है, जब 'दैतापति' नामक सेवकों के एक विशेष समूह द्वारा कुछ गुप्त अनुष्ठान किए जाते हैं. पवित्र भाई-बहनों को आमतौर पर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, फल आदि चढ़ाए जाते हैं. ताकि वे पवित्र स्नान के कारण होने वाले बुखार से जल्दी ठीक हो जाएं.

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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

पूरी तरह से ठीक होने के बाद देवता भक्तों को दर्शन देते हैं जिसे लोकप्रिय रूप से 'नव यौवन दर्शन' कहा जाता है जो आमतौर पर रथ यात्रा से एक दिन पहले मनाया जाता है. हालांकि, इस वर्ष 53 वर्षों के अंतराल के बाद नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव (पुजारियों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान) और रथ यात्रा एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिससे पुजारियों और प्रशासन के सामने सभी अनुष्ठानों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है, ताकि 7 जुलाई को शाम 5 बजे तक रथों को खींचना शुरू हो सके.

राज्य सरकार ने रथ यात्रा के अगले दिन भी अवकाश घोषित किया है, क्योंकि रथ खींचने का काम अगले दिन भी जारी रहेगा. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंगलवार को इसकी घोषणा की कि 'यह एक अनोखी और दुर्लभ रथ यात्रा है, जो दो दिन (7-8 जुलाई) तक मनाई जाएगी. इसलिए, रथ यात्रा के अगले दिन अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया गया है.'

Puri Jagannath Rath Yatra
पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

मंगलवार को पुरी में रथ यात्रा पर समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मांझी ने रथ यात्रा उत्सव के सुचारू और परेशानी मुक्त संचालन के लिए सेवकों, जिला प्रशासन और स्थानीय जनता सहित सभी हितधारकों से सहयोग मांगा. वरिष्ठ दैतापति सेवक बिनायक दास महापात्रा ने बताया कि 'ऐसी स्थिति पिछली बार 1971 में करीब 53 साल पहले बनी थी, जब नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव और रथ यात्रा एक ही दिन पड़े थे.'

महापात्रा ने बताया कि 'पिछली बार पहांडी बिजे, 12वीं सदी के मंदिर से अन्य देवताओं के साथ पवित्र भाई-बहनों की औपचारिक शोभायात्रा, उनके संबंधित रथों तक दोपहर 2 बजे शुरू हुई थी, जबकि अनुष्ठान के लिए रथों को खींचने का काम शाम 7 बजे शुरू हुआ था.'

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पुरी जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा की तैयारियां (फोटो - ETV Bharat Odisha Desk)

उन्होंने आगे कहा कि 'हालांकि, इस बार हम मंदिर के अंदर सभी अनुष्ठान दोपहर 1 बजे से एक घंटे पहले पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे, जो 7 जुलाई को पहांडी अनुष्ठान के लिए निर्धारित समय है. यह भी उम्मीद है कि रथ यात्रा पर अधिक भक्त इकट्ठा होंगे क्योंकि वे नव यौवन दर्शन पर भगवान के दर्शन करने में असफल रहेंगे.'

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