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हरियाणा कैबिनेट विस्तार में बीजेपी की जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण से साधा लोकसभा चुनाव - Nayab Saini Cabinet Social Equation

Nayab Saini Cabinet Social Equation: एक हफ्ते की कवायद के बाद हरियाणा में बीजेपी सरकार का कैबिनेट विस्तार आखिरकार हो गया. मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने मंत्रिमंडल में 8 नए मंत्रियों को शामिल किया. इनमें से 7 नये चेहरे हैं, जो पहली बार मंत्री बने हैं. लेकिन सबसे खास बात ये है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रियों के चयन में जातिवार और क्षेत्रीय समीकरण को विशेष तवज्जो दी गई है.

Nayab Saini Cabinet Social Equation
Nayab Saini Cabinet Social Equation
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 19, 2024, 8:58 PM IST

Updated : Mar 19, 2024, 9:13 PM IST

हरियाणा कैबिनेट विस्तार में बीजेपी की जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग.

चंडीगढ़: देश में लोकसभा का चुनाव का ऐलान हो चुका है. हरियाणा में 25 मई को वोटिंग है. इसी साल हरियाणा का विधानसभा चुनाव भी होना है, इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने नये मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है. माना जा रहा है कि क्षेत्र और जातिवार समीकरण को देखते हुए ही नये नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

चुनाव से ठीक पहले बीजेपी आलाकमान ने हरियाणा में सरकार का पूरा चेहरा बदल दिया. अचानक सीएम मनोहर लाल का इस्तीफा और नायब सैनी की शपथ ने सबको चौंका दिया. लेकिन राजनीति के जानकार समझते हैं कि बीजेपी ने ये बदलाव सियासी समीकरण और वोट बैंक को साधने के लिए किया है. लोकसभा चुनाव से पहले ये परिवर्तन करके बीजेपी ने विरोधी पार्टियों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. नायब सैनी की पूरी कैबिनेट को देखा जाए तो लोकसभा चुनाव के नजरिए से क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है.

  1. नायब सैनी, मुख्यमंत्री: हरियाणा में नई सरकार की बात करें तो मुख्यमंत्री नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं. बीजेपी के पुराने नेता है. हरियाणा में बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा कुरुक्षेत्र सीट से वो लोकसभा सांसद हैं. नायब सैनी अंबाला की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उन्हें अचानक सीएम की कुर्सी पर बैठाने का फैसला चुनावी नजरिए से ही लिया गया है.
  2. कंवर पाल गुर्जर: मुख्यमंत्री नायब सैनी के अलावा सरकार में पुराने चेहरे कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया है. कंवरपाल गुर्जर यमुनानगर की जगाधरी विधानसभा सीट से विधायक हैं और गुर्जर समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. शायद इसीलिए उन्हें सरकार में बरकरार रखा गया है. यमुनानगर अंबाला लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.
  3. रणजीत सिंह चौटाला: मनोहर लाल की सरकार में बिजली और जेल मंत्री रहे रणजीत चौटाला को भी नायब सैनी ने अपनी कैबिनेट में बरकरार रखा है. रणजीत चौटाला जाट समुदाय से आते हैं और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं. शायद यही वजह है कि उन्हें पार्टी ने तवज्जो दी है. रणजीत चौटाला सरकार में इकलौते निर्दलीय विधायक हैं, जिन्हें मंत्री बनाया गया है. रणजीत चौटाला रानिया विधानसभा सीट से विधायक हैं, जो सिरसा लोकसभा सीट में आती है.
  4. महिपाल ढांडा, जेपी दलाल: नायब सैनी की सरकार में रणजीत चौटाला के अलावा महिपाल ढांडा और जेपी दलाल को भी मंत्री बनाया गया है. जेपी दलाल मनोहर लाल की सरकार में भी मंत्री थे लेकिन महिपाल ढांडा जाट नेता हैं और पहली बार मंत्री बने हैं. पानीपत ग्राणीण सीट से वो विधायक हैं. पानीपत करनाल लोकसभा सीट का हिस्सा है. करनाल से मनोहर लाल लोकसभा उम्मीदवार हैं. इसके अलावा पानीपत जीटी रोड बेल्ट में आती है. वहीं भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से जेपी दलाल आते हैं. भिवानी में जाट मतदाता बड़ी संख्या में हैं.
  5. सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा: कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र की थानसेर सीट से विधायक सुभाष सुधा को पहली बार मंत्री बनाया गया है. वहीं फरीदाबाद के बड़खल से एमएलए सीमा त्रिखा को भी मंत्रिंडल में जगह दी गई है. सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा दोनों पंजाबी समुदाय से आते हैं. सीमा त्रिखा की विधानसभा सीट बड़खल फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.
  6. अभय सिंह यादव: अभय यादव महेंद्रगढ़ की नांगल चौधरी विधानसभा सीट से विधायक हैं. महेंद्रगढ़ अहीरवाल का हिस्सा है. यहां यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुरुग्राम तक फैले अहीरवाल से अभय यादव को मंत्री बनाकर बीजेपी ने कई समीकरण साधने की कोशिश की है. माना जा रहा है कि बीजेपी ने गुड़गांव सांसद राव इंद्रजीत से ज्यादा तवज्जो अभय यादव को दिया है. राजनीतिक के जानकार अभय यादव को अहीरवाल में बीजेपी के अंदर राव इंद्रजीत का विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. अभय यादव को राव इंद्रजीत के विरोधी खेमे का माना जाता है. एक तरफ भिवानी से जेपी दलाल के रूप में जाट मंत्री तो महेंद्रगढ़ से यादव नेता को कैबिनेट में जगह देकर बीजेपी ने दोनों समीकरण साधने की कोशिश की है.
  7. असीम गोयल, कमल गुप्ता: अनिल विज की नाराजगी के चर्चा के बीच आखिरकार उन्हें नायब सैनी की सरकार में जगह नहीं मिली. शायद इसीलिए उनके विकल्प के तौर पर अंबाला सिटी से विधायक असीम गोयल को मंत्री बनाया गया है. असीम गोयल बनिया समुदाय से आते हैं. वहीं हिसार से कमल गुप्ता की कैबिनेट स्तर बरकरार है. कमल गुप्ता भी समाजिक तौर पर व्यवसायी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ हिसार और अंबाला लोकसभा क्षेत्र भी साधने की कोशिश की कई है.
  8. संजय सिंह, राज्य मंत्री: गुड़गांव लोकसभा सीटे में आने वाली सोहना से विधायक संजय सिंह को भी कैबिनेट विस्तार करके मंत्री बनाया गया है. संजय सिंह भी सरकार में नया चेहरा हैं और पहली बार मंत्री बने हैं. वो राजपूत समुदाय से आते हैं. और गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव है. राजनीतिक के जानकार मानते हैं कि इसी को देखते हुए उन्हें सरकार में जगह दी गई है.
  9. विशंबर वाल्मीकि, बनवारी लाल: हरियाणा में करीब 20 प्रतिशत दलित मतदाता हैं. शायद इसलिए हर पार्टी अपने टिकट वितरण और मंत्रीमंडल में इस समीकरण का ध्यान रखती है. नायब सैनी की सरकार में भी दो दलित नेताओं को जगह मिली है. भिवानी की बवानीखेड़ा से विधायक विशंबर वाल्मीकि को कैबिनेट विस्तार के बाद पहली बार मंत्री बनाया गया है. वहीं मनोहर सरकार में मंत्री रहे बनवारी लाल भी हैं. रेवाड़ी की बावल सीट से विधायक हैं. बावल गुड़गांव लोकसभा सीट का हिस्सा है.
  10. मूलचंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री: मूलचंद शर्मा नायब सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. मनोहर लाल की सरकार में भी मूलचंद शर्मा शामिल रहे हैं. वो फरीदाबाद की बल्लभगढ़ हलके से विधायक हैं. मूलचंद शर्मा सरकार में इकलौते ब्राह्मण चेहरा हैं. उनकी विधानसभा फरीदाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. इसलिए उनके मंत्री बने रहने के पीछे क्षेत्रीय और जातीय समीकरण भी अहम कारण है.

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हरियाणा कैबिनेट विस्तार में बीजेपी की जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग.

चंडीगढ़: देश में लोकसभा का चुनाव का ऐलान हो चुका है. हरियाणा में 25 मई को वोटिंग है. इसी साल हरियाणा का विधानसभा चुनाव भी होना है, इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने नये मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है. माना जा रहा है कि क्षेत्र और जातिवार समीकरण को देखते हुए ही नये नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

चुनाव से ठीक पहले बीजेपी आलाकमान ने हरियाणा में सरकार का पूरा चेहरा बदल दिया. अचानक सीएम मनोहर लाल का इस्तीफा और नायब सैनी की शपथ ने सबको चौंका दिया. लेकिन राजनीति के जानकार समझते हैं कि बीजेपी ने ये बदलाव सियासी समीकरण और वोट बैंक को साधने के लिए किया है. लोकसभा चुनाव से पहले ये परिवर्तन करके बीजेपी ने विरोधी पार्टियों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. नायब सैनी की पूरी कैबिनेट को देखा जाए तो लोकसभा चुनाव के नजरिए से क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है.

  1. नायब सैनी, मुख्यमंत्री: हरियाणा में नई सरकार की बात करें तो मुख्यमंत्री नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं. बीजेपी के पुराने नेता है. हरियाणा में बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा कुरुक्षेत्र सीट से वो लोकसभा सांसद हैं. नायब सैनी अंबाला की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उन्हें अचानक सीएम की कुर्सी पर बैठाने का फैसला चुनावी नजरिए से ही लिया गया है.
  2. कंवर पाल गुर्जर: मुख्यमंत्री नायब सैनी के अलावा सरकार में पुराने चेहरे कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया है. कंवरपाल गुर्जर यमुनानगर की जगाधरी विधानसभा सीट से विधायक हैं और गुर्जर समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. शायद इसीलिए उन्हें सरकार में बरकरार रखा गया है. यमुनानगर अंबाला लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.
  3. रणजीत सिंह चौटाला: मनोहर लाल की सरकार में बिजली और जेल मंत्री रहे रणजीत चौटाला को भी नायब सैनी ने अपनी कैबिनेट में बरकरार रखा है. रणजीत चौटाला जाट समुदाय से आते हैं और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं. शायद यही वजह है कि उन्हें पार्टी ने तवज्जो दी है. रणजीत चौटाला सरकार में इकलौते निर्दलीय विधायक हैं, जिन्हें मंत्री बनाया गया है. रणजीत चौटाला रानिया विधानसभा सीट से विधायक हैं, जो सिरसा लोकसभा सीट में आती है.
  4. महिपाल ढांडा, जेपी दलाल: नायब सैनी की सरकार में रणजीत चौटाला के अलावा महिपाल ढांडा और जेपी दलाल को भी मंत्री बनाया गया है. जेपी दलाल मनोहर लाल की सरकार में भी मंत्री थे लेकिन महिपाल ढांडा जाट नेता हैं और पहली बार मंत्री बने हैं. पानीपत ग्राणीण सीट से वो विधायक हैं. पानीपत करनाल लोकसभा सीट का हिस्सा है. करनाल से मनोहर लाल लोकसभा उम्मीदवार हैं. इसके अलावा पानीपत जीटी रोड बेल्ट में आती है. वहीं भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से जेपी दलाल आते हैं. भिवानी में जाट मतदाता बड़ी संख्या में हैं.
  5. सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा: कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र की थानसेर सीट से विधायक सुभाष सुधा को पहली बार मंत्री बनाया गया है. वहीं फरीदाबाद के बड़खल से एमएलए सीमा त्रिखा को भी मंत्रिंडल में जगह दी गई है. सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा दोनों पंजाबी समुदाय से आते हैं. सीमा त्रिखा की विधानसभा सीट बड़खल फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.
  6. अभय सिंह यादव: अभय यादव महेंद्रगढ़ की नांगल चौधरी विधानसभा सीट से विधायक हैं. महेंद्रगढ़ अहीरवाल का हिस्सा है. यहां यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुरुग्राम तक फैले अहीरवाल से अभय यादव को मंत्री बनाकर बीजेपी ने कई समीकरण साधने की कोशिश की है. माना जा रहा है कि बीजेपी ने गुड़गांव सांसद राव इंद्रजीत से ज्यादा तवज्जो अभय यादव को दिया है. राजनीतिक के जानकार अभय यादव को अहीरवाल में बीजेपी के अंदर राव इंद्रजीत का विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. अभय यादव को राव इंद्रजीत के विरोधी खेमे का माना जाता है. एक तरफ भिवानी से जेपी दलाल के रूप में जाट मंत्री तो महेंद्रगढ़ से यादव नेता को कैबिनेट में जगह देकर बीजेपी ने दोनों समीकरण साधने की कोशिश की है.
  7. असीम गोयल, कमल गुप्ता: अनिल विज की नाराजगी के चर्चा के बीच आखिरकार उन्हें नायब सैनी की सरकार में जगह नहीं मिली. शायद इसीलिए उनके विकल्प के तौर पर अंबाला सिटी से विधायक असीम गोयल को मंत्री बनाया गया है. असीम गोयल बनिया समुदाय से आते हैं. वहीं हिसार से कमल गुप्ता की कैबिनेट स्तर बरकरार है. कमल गुप्ता भी समाजिक तौर पर व्यवसायी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ हिसार और अंबाला लोकसभा क्षेत्र भी साधने की कोशिश की कई है.
  8. संजय सिंह, राज्य मंत्री: गुड़गांव लोकसभा सीटे में आने वाली सोहना से विधायक संजय सिंह को भी कैबिनेट विस्तार करके मंत्री बनाया गया है. संजय सिंह भी सरकार में नया चेहरा हैं और पहली बार मंत्री बने हैं. वो राजपूत समुदाय से आते हैं. और गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव है. राजनीतिक के जानकार मानते हैं कि इसी को देखते हुए उन्हें सरकार में जगह दी गई है.
  9. विशंबर वाल्मीकि, बनवारी लाल: हरियाणा में करीब 20 प्रतिशत दलित मतदाता हैं. शायद इसलिए हर पार्टी अपने टिकट वितरण और मंत्रीमंडल में इस समीकरण का ध्यान रखती है. नायब सैनी की सरकार में भी दो दलित नेताओं को जगह मिली है. भिवानी की बवानीखेड़ा से विधायक विशंबर वाल्मीकि को कैबिनेट विस्तार के बाद पहली बार मंत्री बनाया गया है. वहीं मनोहर सरकार में मंत्री रहे बनवारी लाल भी हैं. रेवाड़ी की बावल सीट से विधायक हैं. बावल गुड़गांव लोकसभा सीट का हिस्सा है.
  10. मूलचंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री: मूलचंद शर्मा नायब सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. मनोहर लाल की सरकार में भी मूलचंद शर्मा शामिल रहे हैं. वो फरीदाबाद की बल्लभगढ़ हलके से विधायक हैं. मूलचंद शर्मा सरकार में इकलौते ब्राह्मण चेहरा हैं. उनकी विधानसभा फरीदाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. इसलिए उनके मंत्री बने रहने के पीछे क्षेत्रीय और जातीय समीकरण भी अहम कारण है.

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Last Updated : Mar 19, 2024, 9:13 PM IST
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