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यमुनानगर में स्टोन क्रशर संचालकों को बड़ी राहत, हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे - YAMUNANAGAR STONE CRUSHER CASE

सुप्रीम कोर्ट से यमुनानगर के स्टोन क्रशर संचालकों को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है.

YAMUNANAGAR STONE CRUSHER CASE
यमुनानगर में स्टोन क्रशर संचालकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 11, 2025, 9:22 PM IST

यमुनानगरः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यमुनानगर जिले के स्टोन क्रशर संचालकों के चेहरे पर खुशी वापस आ आई है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से झटका खाने के बाद स्टोन क्रशर संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

क्या है मामलाः आपको बता दें कि साल 2016 में 92 स्टोन संचालकों को हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि 3 साल के भीतर सभी स्टोन क्रशर यहां से शिफ्ट कर दें. इसके बाद से ही यमुनानगर के कई विभाग स्टोन क्रशर पर कार्रवाई की तैयारी में थे. इस फैसले के विरोध में स्टोन क्रशर संचालकों ने दोबारा हाईकोर्ट का रुख किया. 29 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट ने स्टोन क्रशर संचालकों की याचिका को खारिज कर दिया और प्रदूषण विभाग को एक महीने के भीतर स्टोन क्रशर को हटाने के आदेश दे दिए. इसके बाद स्टोर क्रशर संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट से स्टोन क्रशर संचालकों को तत्काल राहत (Etv Bharat)

"यमुनानगर जिले में 450 से ज्यादा स्टोन क्रशर हैं. इनमें ज्यादातर स्टोन क्रशर डोईवाला, बल्लेवाला गांव में ही है. यह सभी 92 स्टोन क्रशर संचालक तय दूरी मानक पूरी नहीं कर रहे थे. नियमों के मुताबिक स्टोन क्रशर वन विभाग और गांव की आबादी से करीब 1 किलोमीटर दूर होने चाहिए लेकिन ये स्टोन क्रशर नियमों के अनुरूप नहीं है. हाईकोर्ट ने अपने पहले के आदेश को रद्द कर इन्हें मानकों का पालन करने तक बंद कराने का आदेश दिया था. इसके बाद ये लोग हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये थे. सुप्रीम कोर्ट से इन्हें तत्काल स्टे मिला है."-वीरेंद्र पूनिया, रीजनल ऑफिसर, यमुनानगर

क्यों परेशान हैं क्रशर संंचालकः स्टोन क्रशर संंचालन के लिए एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तय मानकों के आधार पर इजाजत मिलती है. इसमें घोषित वन क्षेत्र, आम लोगों की आबादी से दूरी सहित कई मानक हैं. यमुनानगर के मामले में कुछ स्टोन क्रशर आबादी से तय दूरी के मानक का पालन नहीं कर रहे हैं. कई वन क्षेत्र से दूरी के मानक का पालन नहीं कर रहे हैं. कुछ तो दोनों मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं. इनमें से कुछ का मामला एनजीटी में भी लंबित है. कुछ का सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है.

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क्या है मामलाः आपको बता दें कि साल 2016 में 92 स्टोन संचालकों को हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि 3 साल के भीतर सभी स्टोन क्रशर यहां से शिफ्ट कर दें. इसके बाद से ही यमुनानगर के कई विभाग स्टोन क्रशर पर कार्रवाई की तैयारी में थे. इस फैसले के विरोध में स्टोन क्रशर संचालकों ने दोबारा हाईकोर्ट का रुख किया. 29 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट ने स्टोन क्रशर संचालकों की याचिका को खारिज कर दिया और प्रदूषण विभाग को एक महीने के भीतर स्टोन क्रशर को हटाने के आदेश दे दिए. इसके बाद स्टोर क्रशर संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट से स्टोन क्रशर संचालकों को तत्काल राहत (Etv Bharat)

"यमुनानगर जिले में 450 से ज्यादा स्टोन क्रशर हैं. इनमें ज्यादातर स्टोन क्रशर डोईवाला, बल्लेवाला गांव में ही है. यह सभी 92 स्टोन क्रशर संचालक तय दूरी मानक पूरी नहीं कर रहे थे. नियमों के मुताबिक स्टोन क्रशर वन विभाग और गांव की आबादी से करीब 1 किलोमीटर दूर होने चाहिए लेकिन ये स्टोन क्रशर नियमों के अनुरूप नहीं है. हाईकोर्ट ने अपने पहले के आदेश को रद्द कर इन्हें मानकों का पालन करने तक बंद कराने का आदेश दिया था. इसके बाद ये लोग हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये थे. सुप्रीम कोर्ट से इन्हें तत्काल स्टे मिला है."-वीरेंद्र पूनिया, रीजनल ऑफिसर, यमुनानगर

क्यों परेशान हैं क्रशर संंचालकः स्टोन क्रशर संंचालन के लिए एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तय मानकों के आधार पर इजाजत मिलती है. इसमें घोषित वन क्षेत्र, आम लोगों की आबादी से दूरी सहित कई मानक हैं. यमुनानगर के मामले में कुछ स्टोन क्रशर आबादी से तय दूरी के मानक का पालन नहीं कर रहे हैं. कई वन क्षेत्र से दूरी के मानक का पालन नहीं कर रहे हैं. कुछ तो दोनों मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं. इनमें से कुछ का मामला एनजीटी में भी लंबित है. कुछ का सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है.

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