रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): अंग्रेजों के बसाये मिनी स्विट्जरलैंड चोपता में पर्यटकों की आमद बढ़ गई है. देश-विदेश से पर्यटक चोपता पहुंच रहे हैं. बर्फबारी के बाद सैलानियों के पहुंचने से स्थानीय व्यापारी खुश हैं. वाहन चालकों को भी पर्यटकों के आने से रोजगार मिला है.
चोपता में बर्फबारी से खिले चेहरे: बर्फबारी देखने से पर्यटकों की खुशी का ठिकाना नहीं है. पर्यटक चोपता आकर बर्फबारी का लुत्फ उठा रहे हैं. साथ ही प्रकृति के सौन्दर्य का दीदार भी कर रहे हैं. देश के साथ ही विदेशों के सैलानी भी चोपता पहुंच रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने से मुरझाए चेहरों पर भी मुस्कान देखने को मिल रही है.
मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है चोपता: मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से विख्यात चोपता-दुगलबिट्टा को अंग्रेजों की देन माना जाता है. साल 1925 में अंग्रेजों ने यहां पर डाक बंगला बना दिया था, जो आज भी मौजूद है. ब्रिटिश शासकों ने भारत की गर्मी से बचने के लिए ऊंचाई पर इन पहाड़ी जगहों को चिन्हित किया था. इस बार जनवरी माह में बर्फबारी नहीं हुई, जिस कारण चोपता की खूबसूरत वादियां वीरान दिखाई दे रही थी. फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में चोपता में बर्फ गिर रही है.
चोपता पहुंच रहे पर्यटक: बर्फबारी का आनंद उठाने के लिए देश के विभिन्न कोनों से पर्यटक पहुंच रहे हैं. विदेशी पर्यटक भी चोपता का रुख कर रहे हैं. ऐसे में स्थानीय ढाबा, टेंट, रेस्टोरेंट संचालकों को रोजगार मिलने से उनके मुरझाए चेहरों पर मुस्कान देखने को मिल रही है. वाहन चालकों को भी रोजगार मिल रहा है. दुगलबिट्टा में सड़क मार्ग पर बर्फ गिरने से पर्यटक थोड़ा परेशान भी हो रहे हैं. दरअसल जमी हुई बर्फ में पर्यटकों के वाहन जगह-जगह फिसल रहे हैं. इस कारण स्थानीय लोग अपने वाहनों के जरिये पर्यटकों को चोपता की खूबसूरती का दीदार करवा रहे हैं.
चोपता आकर खुश दिख रहे पर्यटक: वैसे चोपता में इस बार पिछले साल के मुकाबले कम ही बर्फ देखने को मिल रही है. दिल्ली से आये पर्यटक मयंक शर्मा ने कहा कि मिनी स्विट्जरलैंड चोपता किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां आकर मन को अपार शांति की अनुभूति होती है. उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों में जहां प्रदूषण से लोग परेशान रहते हैं. वहीं पहाड़ के लोग शुद्ध आबोहवा में रहते हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी में भारी बर्फबारी, पुलिस ने सुक्की से आगे वाहनों पर लगाई रोक, खरसाली में पानी की किल्लत