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बस्तर के नक्सल पीड़ितों का दिल्ली में मौन प्रदर्शन, न्याय और शांति की मांग की बुलंद - Naxal Violence Victims Of Bastar - NAXAL VIOLENCE VICTIMS OF BASTAR

बस्तर में नक्सल हिंसा से पीड़ित लोगों ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया. गुरुवार को बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने दिल्ली में मौन प्रदर्शन निकाला. सभी लोगों ने बस्तर में शांति और न्याय की मांग की.

NAXAL VIOLENCE VICTIMS OF BASTAR
नक्सल पीड़ितों का दिल्ली में प्रदर्शन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 19, 2024, 9:05 PM IST

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल हिंसा से पीड़ित समूह ने गुरुवार को मौन विरोध प्रदर्शन किया. बस्तर में नक्सल हिंसा से प्रभावित हुए ये लोग दिल्ली पहुंचे और बस्तर शांति समिति के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया. गुरुवार को शुरू हुआ यह प्रदर्शन कर्तव्य पथ से शुरू होकर दिल्ली के जंतर मंतर तक पहुंच गया. सभी लोगों ने बस्तर मं शांति और न्याय की मांग की.

"नक्सल हिंसा से हमारा जीवन हुआ तबाह": प्रदर्शन में शामिल होने आए बस्तर शांति समिति के समन्वयक मंगूराम कवाड़े ने बस्तर के नक्सल पीड़ितों की आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि हम दशकों से नक्सली हिंसा से पीड़ित हैं. हमारे गांव तबाह हो गए हैं और हमारा क्षेत्र विकास से वंचित हैं. हम लोग गई दशकों से नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. नक्सली हिंसा में हमारा जीवन तबाह हो चुका है.

"हम मांग करते हैं कि बस्तर की आवाज सुनी जाए और हमारे लोगों को इस निरंतर हिंसा से मुक्ति मिले": मंगूराम कवाड़े, समन्वयक, बस्तर शांति समिति

"आईईडी धमाकों में जीवन हो रहा बर्बाद": नक्सल हिंसा की कहानी बताते हुए बस्तर के गुड्डुराम लेकाम ने अपनी कहानी बयां की. उन्होंने मीडिया को बताया कि" वह खेतों से मिर्च तोड़कर घर लौट रहे थे, तभी जंगल में बारुदी सुरंग ब्लास्ट हुआ और इस घटना में उनका पैर कट गया. मैं नहीं चाहता कि किसी और को भी यही तकलीफ झेलनी पड़े, इसलिए हमारे क्षेत्र से नक्सलवाद को खत्म करना जरूरी है. इसलिए हम आज यहां विरोध प्रदर्शन करने आए हैं

"2015 में एक बम विस्फोट में मेरी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. हमारे गांव की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वे अकेले घर से बाहर भी नहीं निकल सकती हैं और हमारे इलाके की लड़कियों को उचित शिक्षा नहीं मिल पाती है": ममता सोरी, नक्सल हिंसा से पीड़ित महिला

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे बस्तर के लोगों ने मैं चुप हूं बस्तर, लेकिन मैं आज बोलती हूं जैसे नारे लिखे थे. इस तरह बस्तर के नक्सल पीड़ित लोगों ने दिल्ली में अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की है.

सोर्स: पीटीआई

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"नक्सल हिंसा से हमारा जीवन हुआ तबाह": प्रदर्शन में शामिल होने आए बस्तर शांति समिति के समन्वयक मंगूराम कवाड़े ने बस्तर के नक्सल पीड़ितों की आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि हम दशकों से नक्सली हिंसा से पीड़ित हैं. हमारे गांव तबाह हो गए हैं और हमारा क्षेत्र विकास से वंचित हैं. हम लोग गई दशकों से नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. नक्सली हिंसा में हमारा जीवन तबाह हो चुका है.

"हम मांग करते हैं कि बस्तर की आवाज सुनी जाए और हमारे लोगों को इस निरंतर हिंसा से मुक्ति मिले": मंगूराम कवाड़े, समन्वयक, बस्तर शांति समिति

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"2015 में एक बम विस्फोट में मेरी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. हमारे गांव की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वे अकेले घर से बाहर भी नहीं निकल सकती हैं और हमारे इलाके की लड़कियों को उचित शिक्षा नहीं मिल पाती है": ममता सोरी, नक्सल हिंसा से पीड़ित महिला

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे बस्तर के लोगों ने मैं चुप हूं बस्तर, लेकिन मैं आज बोलती हूं जैसे नारे लिखे थे. इस तरह बस्तर के नक्सल पीड़ित लोगों ने दिल्ली में अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की है.

सोर्स: पीटीआई

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