बक्सर : ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार को महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली बक्सर पहुंचे, रात्रि विश्राम के बाद आज उन्होंने अहले सुबह अपनी गौ ध्वज स्थापना भारता यात्रा की शुरूआत की. उन्होंने मांग की गायों को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए. साथ ही देश में गऊ हत्या पर पूरी तरह से सख्त कानून बनाकर पाबंदी लगाया जाय. उन्होंने तिरुपति में मिलावटी लड्डू बांटे जाने को साजिश बताया.
'तिरुपति लड्डू विवाद हिन्दुओं के खिलाफ साजिश' : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि तिरुपति बालाजी में जो हुआ वो हिन्दुओं के साजिश है. सनातन धर्म को खत्म किया जा रहा है. ऐसे षड़यंत्रकारियों को गिरफ्तार कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए. उन्होंने बिना केंद्र सरकार का नाम लिए जमकर निशाना भी साधा. शंकराचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार गौ रक्षा के नाम पर राजनीति तो करती है, लेकिन कानून नहीं बना रही है.
"तिरुपति बालाजी में जो हुआ वो सनातन धर्म को, हिन्दुओं को खत्म करने की साजिश है. जिन्होंने ये कृत्य किया है उनको गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देना चाहिए."- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य, ज्योतिर्मठ
क्या है मामला : दरअसल आंध्र प्रदेश के तत्तकालीन जगन सरकार में तिरुपति बालाजी मंदिर में बनने वाले लड्डूओं के प्रसाद में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की बात सामने आई थी. वहीं एनडीडीबी काल्फ लैब की रिपोर्ट में वाईएसआरसीपी शासन के दौरान इस्तेमाल किए गए घी में पशु चर्बी की पुष्टि हुई है. इस आधार पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने दावा किया कि 'लड्डू घटिया क्वालिटी और मानक के विपरीत थे. मुख्यमंत्री की ओर से दावा किया गया कि 'तिरुमाला के लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे. उस दौरान घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया.'
चर्चा में रहते हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद : आपको बता दें कि आधे-अधूरे राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर भी उन्होंने प्रश्न खड़े किए थे. केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना गायब होने का संगीन आरोप जिसे उन्होंने सोना घोटाला कहा था, बयान से बवाल मच गया था. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी गंगा और गाय की रक्षा के लिए सक्रिय रहे हैं. वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए जिस समय मंदिर तोड़े जा रहे थे इस पर भी उन्होंने कड़ा विरोध किया था.
कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद : अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे. पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में पैदा हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का पहले उमाशंकर उपाध्याय नाम हुआ करता था. वाराणसी के मशहूर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उन्होंने शास्त्री और आचार्य की शिक्षा प्राप्त की. छात्र राजनीति में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहे. इस तरह जब साल 1994 में छात्रसंघ का चुनाव हुआ तो उनकी जीत हुई.
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य : अविमुक्तेश्वरानंद के गुरु जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जब सितंबर 2022 में उनका स्वर्गवास हुआ तो उनके दोनों पीठों के नए शंकराचार्य के नाम की घोषणा कर दी गई. इसी के तहत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य घोषित किया गया. वहीं शारदा पीठ द्वारका का स्वामी सदानंद सरस्वती को शंकराचार्य घोषित किया गया.
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