शहडोल। एमपी का शहडोल जिला भले ही आदिवासी बहुल जिला है. यहां भले ही बहुत ज्यादा संसाधन नहीं है, लेकिन यहां की लड़कियां देश दुनिया में कमाल कर रही हैं. क्रिकेट में जहां पूजा वस्त्रकार इंटरनेशनल लेवल पर धूम मचा रही हैं, और भारतीय क्रिकेट टीम की जान बनी हुई हैं. वहीं अब कराटे में शहडोल की आरती तिवारी विदेश में भी मेडल पर निशाना लगा रही है. अभी हाल ही में आरती ने मलेशिया में ऐसा कमाल किया है. जिसके बाद एक बार फिर से देश का नाम रोशन हो गया है. लगभग 13 साल से आरती ने जो कराटे का सफर शुरू किया था, अब वो इंटरनेशनल लेवल तक पहुंच गया है.
शहडोल की बेटी का कमाल, मलेशिया में मेडल
आरती तिवारी शहडोल के एक छोटे से गांव गोरतारा की रहने वाली है. महज 13 साल की उम्र से आरती तिवारी ने कराटे सीखने का जो सफर शुरू किया था. अब शहडोल से बाहर निकलकर वो सात समुंदर पार मलेशिया तक पहुंच गया है. वहां भी आरती तिवारी कमाल कर रही हैं. अभी हाल ही में एक इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए आरती तिवारी मलेशिया गई हुई थीं. जहां आरती तिवारी बताती हैं कि 'उन्होंने 13वें साइलेंट नाइट कराटे कप टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. जो की कुआलालंपुर मलेशिया में खेला गया. जहां सीनियर वर्ग 18 प्लस के टूर्नामेंट में आरती तिवारी ने 55 किलोग्राम के वजन वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके साथ ही महिला टीम ने भी इस टूर्नामेंट में श्रीलंका, जापान और यमन जैसे देशों को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता.'
आरती तिवारी ने सेमीफाइनल तक शानदार खेल दिखाया. टूर्नामेंट में आरती आपने मुकाबले लगातार जीत रही थीं, लेकिन सेमीफाइनल में उनका मुकाबला मलेशिया की ही संसू नाम के खिलाड़ी से हुआ. जहां आरती तिवारी को हार का सामना करना पड़ा और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से ही संतुष्ट होना पड़ा. भले ही आरती तिवारी ने मलेशिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता, लेकिन अपने खेल से उन्होंने बता दिया है कि शहडोल जैसी छोटी जगह से निकलकर वो जब मलेशिया तक अपने खेल के दम पर पहुंच सकती हैं, तो आगे देश के लिए अभी वह कई और बड़े मेडल जीतेंगी.
जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में ले चुकी हैं हिस्सा
बता दें की आरती तिवारी लगातार अपने खेल से सुर्खियां बटोर रही हैं. कराटे के खेल में तरक्की की राह पर चल रही हैं. आरती तिवारी ने लगभग 15 नेशनल खेले हैं. जिसमें से 12 नेशनल में गोल्ड मेडल जीता है. इतना ही नहीं जूनियर एशियाई चैंपियनशिप 2022 में भी आरती तिवारी हिस्सा ले चुकी हैं. जहां वो सेमीफाइनल में हार गई थीं और ब्रॉन्ज मेडल राउंड तक पहुंच चुकी थी. उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनका वो पहला ही इंटरनेशनल टूर्नामेंट था. उस हार के बाद भी आरती तिवारी लगातार मजबूत होती गईं और अब मलेशिया जैसे देश में अपने खेल का जौहर दिखाना शुरू कर चुकी हैं.
पिता ड्राइवर, बेटी कराटे प्लेयर
कहते हैं बड़ा खिलाड़ी भी काफी संघर्ष के बाद ही निकलता है. आरती तिवारी के साथ भी कुछ वैसा ही है. पिता ड्राइवर हैं और बेटी कराटे की खिलाड़ी. उनके परिवार की कहानी भी काफी संघर्ष भरी है. आरती तिवारी के पिता कहते हैं कि 'उनकी बेटी कराटे में खेल रही है और उनको बस यही उम्मीद है कि वो देश के लिए कुछ करे. देश के लिए मेडल लाए, तब तो बात है.' आरती तिवारी के पिता का नाम सत्येंद्र नाथ तिवारी है. माता आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता हैं.
आरती के पिता कहते हैं कि वह ड्राइवरी का काम इन दिनों करते हैं. अगर उन्हें कोई बुला लिया तो गाड़ी चलाने के लिए वो चले जाते हैं और उसी से उनका घर चल रहा है. सत्येंद्र नाथ कहते हैं कि उनके परिवार की स्थिति कुछ ठीक नहीं है. पहले वो एक दूध डेयरी पर काम किया करते थे. अब ड्राइवरी का काम कर रहे हैं, लेकिन बेटी को कराटे खिलाना उनके लिए भी जुनून है. उनकी दिली इच्छा है कि उनकी बेटी और उनका यह संघर्ष देश के काम आए और उनकी बेटी देश के लिए ओलिम्पिक जैसे टूर्नामेन्ट में मेडल जीते और बेटी भी इसीलिए दिन-रात मेहनत कर रही है.
13 साल की उम्र से 15 किलोमीटर साइकल
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां लड़कियों के लिए कितना संघर्ष होता होगा, लेकिन आरती तिवारी बचपन से ही अलग प्रतिभा की धनी रही हैं. उनके पिता कहते हैं की आरती 13 साल की उम्र से ही कराटे सीखने जाती थी. उन्होंने भी कभी नहीं रोका. उनके गांव से और जहां वह खेलने जाती थी, उसकी दूरी लगभग 7 से 8 किलोमीटर के करीब थी. इस तरह से आने और जाने में आरती तिवारी महज 13 साल की उम्र से ही 14 से 15 किलोमीटर साइकिल चलाती थी और दिन-रात मेहनत करती थी. तब जाकर कहीं वह वहां तक पहुंची है, लेकिन उनके पिता का कहना है कि अभी मंजिल बहुत दूर है. आरती जब देश के लिए ओलंपिक और कॉमनवेल्थ जैसे गेम्स में मेडल जीत कर लाएगी. तब तो कोई बात होगी. उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी यह कमाल जरूर करेगी. अगर उन्हें इसी तरह सपोर्ट मिलता रहा तो उनकी बेटी आगे चलकर देश का नाम रोशन करेगी.
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शहडोल की लड़कियां कर रहीं कमाल
बता दें की शहडोल की लड़कियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देश का नाम रोशन कर रही है. क्रिकेट में जहां शहडोल जिले की लड़कियां लगातार अपनी प्रतिभा से सभी को चौंका रही हैं. पूजा वस्त्रकार वर्तमान में इंडियन महिला क्रिकेट टीम की परमानेंट खिलाड़ी हैं. क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में वो खेलती हैं. इन दिनों इंडियन प्रीमियर वीमेन्स लीग में वो हिस्सा ले रही हैं. मुंबई की टीम से खेल रही हैं. इतना ही नहीं क्रिकेट में और कई ऐसी लड़कियां हैं. जो मध्य प्रदेश की अलग-अलग एज ग्रुप की टीम में खेल रही हैं.
इसके अलावा आरती जैसी प्लेयर जो क्रिकेट के अलावा दूसरे गेम्स में लगातार संघर्ष कर रही हैं, और विदेशों में शहडोल का नाम रोशन कर रही है. आरती तिवारी कराटे जैसे खेल में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं और मलेशिया में भले ही उन्होंने अभी ब्रोंज पदक जीता है, लेकिन उनका कहना है कि आगे उन्हें कई बड़े टूर्नामेंट खेलने हैं. जिसमें उनका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ गोल्ड मेडल जीतना है. आरती कहती हैं कि अभी संघर्ष बड़ा है मेहनत भी बहुत करनी है और लक्ष्य भी दूर है, लेकिन उनका हौसला इन सबसे बड़ा है.