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पूरे देश में फैल रही है इस जंगल के चंदन की खुशबू, कभी तस्करों ने कर दिया था वीरान, ऐसे हुआ कमाल - Seoni High Quality Sandalwood

सिवनी के जंगल एक बार फिर चंदन की खुशबू बिखेरने लगे हैं, जिसकी पूरे देश में डिमांड है. 600 हेक्टेयर में फैले चंदन के जंगल को कभी तस्करों ने वीरान कर दिया था, लेकिन वन विभाग और स्थानीय लोगों की पहल पर ये एक बार फिर महक उठा है. चंदन को बेचकर वन विभाग करीब 10 लाख की कमाई कर चुका है.

Seoni Sandalwood Plantation
सिवनी के जंगल में चंदन के पौधे (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 6:55 AM IST

सिवनी/छिंदवाड़ा: चंदन की खुशबू से देश को महकाने वाला सिवनी तस्करों की चंगुल में फंसकर वीरान हो गया था, लेकिन एक बार फिर यहां के जंगल में पनप रहे चंदन के पेड़ देश में अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं. वहीं, सिवनी वन विभाग के सीसीएफ एस एस उद्दे ने ईटीवी भारत को फोन पर चर्चा में बताया "डेढ़ सौ एकड़ में वन विभाग ने चंदन का प्लांटेशन कराया है और करीब डेढ़ सौ एकड़ नेचुरल तरीके से जंगलों में पौधे पाए गए हैं जिनकी देखरेख की जा रही है सिवनी एक बार फिर से चंदन की पहचान वापस पाएगा."

Seoni Sandalwood Plantation
सिवनी के जंगल में चंदन के पौधे (ETV Bharat)

1980 में सलैया के जंगलों में लगाए थे चंदन के पौधे

सिवनी के जंगलों में हाई क्वालिटी का चंदन हुआ करता था जिसकी डिमांड देश भर में होती थी इसी को देखते हुए वन विभाग में 1980 में सलैया और नागनदेवरी के जंगलों में 5000 चंदन के पौधे लगाए थे जिसमें से कई पौधे तो खराब हो गये, लेकिन वन विभाग में उनकी लगातार देखरेख की और इसकी कटाई शुरू की करीब 10 लाख रुपए का चंदन भी बेचा गया है.

Seoni High Quality Sandalwood Demand
सिवनी के चंदन की पूरे देश में डिमांड (ETV Bharat)

तस्करी से वीरान हुए आमागढ़ में फिर अंकुरित हो रहे चंदन

साल 2000 में तस्करों ने सिवनी के जंगलों को चंदन से वीरान कर दिया था. सबसे ज्यादा चंदन आमागढ़ के जंगलों में हुआ करता था. चंदन काटे जाने के बाद बचे ठूंठ को वन विभाग ने देखरेख किया और भी फिर से अंकुरित हो गए करीब 500 पेड़ चंदन के अब 10 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पार कर चुके हैं.

चंदन को फैलाने में पक्षी कर रहे मदद, गुलजार हो रहे जंगल

चंदन के पेड़ जंगल में लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है कई जंगल ऐसे हैं जहां पर प्राकृतिक रूप से चंदन के पेड़ तैयार हो गए हैं. इन जंगलों को बढ़ाने में पक्षी अहम भूमिका निभा रहे हैं. चंदन के बीज को पक्षी इधर से उधर बिखेर कर सिवनी की चंदन वाली पहचान वापस ला रहे हैं. धूमा और लखनादौन के बीच शेड नदी के किनारे सबसे ज्यादा चंदन के पेड़ प्रकृतिक रूप से तैयार हो रहे हैं.

चंदन को पकने में लगते हैं 30 से 40 साल

सिवनी के सीसीएफ एसएस उद्दे ने बताया कि "अभी फिलहाल चंदन के पेड़ों की गणना तो नहीं कराई गई है, लेकिन सलैया के जंगलों में 1980 में चंदन के पौधे लगाए गए थे जो परिपक्व हो गए थे. डेढ़ साल पहले कटवाकर नीलाम किया गया था इसके साथ ही आमागढ़ के जंगलों में चंदन फिर से अंकुरित हो रहे हैं. 2018 में 5 हेक्टेयर जमीन में चंदन के पेड़ लगाए गए थे जो अब अपनी खुशबू में बिखेर रहे हैं. चंदन के पेड़ को पकने में करीब 30 से 40 साल लगते हैं. चंदन की देखरेख के लिए चैन फैंसिंग भी कराई जा रही है."

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600 हेक्टेयर में था चंदन का जंगल, तस्करों कर दिया था वीरान

सीसीएफ एसएस उद्दे ने बताया कि "साल 2000 के पहले जिले में करीब 600 हेक्टेयर में चंदन के जंगल हुआ करते थे यहां के चंदन की डिमांड पूरे देश में थी लेकिन उस पर तस्करों की नजर पड़ गई थी. साल 2000 के पहले चंदन पूरी तरह खत्म हो गया था, लेकिन एक बार फिर अब चंदन से सिवनी गुलजार हो रहा है."

सिवनी/छिंदवाड़ा: चंदन की खुशबू से देश को महकाने वाला सिवनी तस्करों की चंगुल में फंसकर वीरान हो गया था, लेकिन एक बार फिर यहां के जंगल में पनप रहे चंदन के पेड़ देश में अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं. वहीं, सिवनी वन विभाग के सीसीएफ एस एस उद्दे ने ईटीवी भारत को फोन पर चर्चा में बताया "डेढ़ सौ एकड़ में वन विभाग ने चंदन का प्लांटेशन कराया है और करीब डेढ़ सौ एकड़ नेचुरल तरीके से जंगलों में पौधे पाए गए हैं जिनकी देखरेख की जा रही है सिवनी एक बार फिर से चंदन की पहचान वापस पाएगा."

Seoni Sandalwood Plantation
सिवनी के जंगल में चंदन के पौधे (ETV Bharat)

1980 में सलैया के जंगलों में लगाए थे चंदन के पौधे

सिवनी के जंगलों में हाई क्वालिटी का चंदन हुआ करता था जिसकी डिमांड देश भर में होती थी इसी को देखते हुए वन विभाग में 1980 में सलैया और नागनदेवरी के जंगलों में 5000 चंदन के पौधे लगाए थे जिसमें से कई पौधे तो खराब हो गये, लेकिन वन विभाग में उनकी लगातार देखरेख की और इसकी कटाई शुरू की करीब 10 लाख रुपए का चंदन भी बेचा गया है.

Seoni High Quality Sandalwood Demand
सिवनी के चंदन की पूरे देश में डिमांड (ETV Bharat)

तस्करी से वीरान हुए आमागढ़ में फिर अंकुरित हो रहे चंदन

साल 2000 में तस्करों ने सिवनी के जंगलों को चंदन से वीरान कर दिया था. सबसे ज्यादा चंदन आमागढ़ के जंगलों में हुआ करता था. चंदन काटे जाने के बाद बचे ठूंठ को वन विभाग ने देखरेख किया और भी फिर से अंकुरित हो गए करीब 500 पेड़ चंदन के अब 10 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पार कर चुके हैं.

चंदन को फैलाने में पक्षी कर रहे मदद, गुलजार हो रहे जंगल

चंदन के पेड़ जंगल में लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है कई जंगल ऐसे हैं जहां पर प्राकृतिक रूप से चंदन के पेड़ तैयार हो गए हैं. इन जंगलों को बढ़ाने में पक्षी अहम भूमिका निभा रहे हैं. चंदन के बीज को पक्षी इधर से उधर बिखेर कर सिवनी की चंदन वाली पहचान वापस ला रहे हैं. धूमा और लखनादौन के बीच शेड नदी के किनारे सबसे ज्यादा चंदन के पेड़ प्रकृतिक रूप से तैयार हो रहे हैं.

चंदन को पकने में लगते हैं 30 से 40 साल

सिवनी के सीसीएफ एसएस उद्दे ने बताया कि "अभी फिलहाल चंदन के पेड़ों की गणना तो नहीं कराई गई है, लेकिन सलैया के जंगलों में 1980 में चंदन के पौधे लगाए गए थे जो परिपक्व हो गए थे. डेढ़ साल पहले कटवाकर नीलाम किया गया था इसके साथ ही आमागढ़ के जंगलों में चंदन फिर से अंकुरित हो रहे हैं. 2018 में 5 हेक्टेयर जमीन में चंदन के पेड़ लगाए गए थे जो अब अपनी खुशबू में बिखेर रहे हैं. चंदन के पेड़ को पकने में करीब 30 से 40 साल लगते हैं. चंदन की देखरेख के लिए चैन फैंसिंग भी कराई जा रही है."

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600 हेक्टेयर में था चंदन का जंगल, तस्करों कर दिया था वीरान

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