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माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का आखिरी मिशन! इनामी नक्सली कमांडर रडार पर, टारगेट बेस्ड ऑपरेशन के जरिए टॉप नक्सलियों का होगा खात्मा - Operations against Naxalites

झारखंड में इनामी नक्सली कमांडर सुरक्षाबलों के रडार पर हैं. सुरक्षाबलों द्वारा टारगेट बेस्ड ऑपरेशन के जरिए शीर्ष नक्सलियों के खात्मा का प्लान तैयार किया है. कोल्हान में विशेष अभियान चलाया जा रहा है.

Operations against Naxalites
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 26, 2024, 6:33 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस ने अब केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियों के बड़े कमांडरों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. अभियान का एकमात्र उद्देश्य करीब एक दर्जन इनामी नक्सलियों का खात्मा करना है, इसके लिए अब टारगेट बेस्ड नक्सल अभियान शुरू किया गया है. सटीक सूचना और बेहतर रणनीति के आधार पर अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है और पूरा फोकस कोल्हान के सारंडा पर रखा गया है.

सारंडा में बड़े नक्सली नेता मौजूद

फिलहाल भाकपा माओवादियों का सबसे मजबूत ग्रुप सारंडा में कैंप कर रहा है. माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ का इनामी अनल दा, 25-25 लाख के इनामी सैक सदस्य अनमोल, अजय महतो, चमन उर्फ ​​लंबू के अलावा 15 लाख का इनामी रीजनल कमांडर अमित मुंडा भी सारंडा में मौजूद है.

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के मुताबिक अब सारंडा में बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाया जा रहा है, नक्सली कमांडर चाहे वो एक करोड़ का इनामी हो या 25 लाख का, मैन टू मैन टारगेट किया जा रहा है. हर बड़े नक्सली लीडर की गिरफ्तारी या एनकाउंटर के लिए स्मॉल एक्शन टीम को लगाया गया है. इसी रणनीति के तहत झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने 17 जून 2024 को सारंडा में मुठभेड़ में 10 लाख के इनामी सिंहराई उर्फ ​​मनोज, खतरनाक कांडे होनहागा समेत पांच नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दो जिंदा भी दबोचे गए.

Operations against Naxalites
वर्तमान में नक्सलियों की स्थिति (ईटीवी भारत)

वर्तमान में नक्सलियों की स्थिति

झारखंड के सारंडा में इस समय 80 से 90 नक्सली मौजूद हैं. लेकिन इन सभी की सुरक्षा बलों ने घेराबंदी कर रखी है, इसलिए ये चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. जंगल से बाहर निकलते ही या तो पकड़े जा रहे हैं या फिर मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं. इस समय कोल्हान के अलावा दूसरे जिलों में भी नक्सली मौजूद हैं, लेकिन वहां इनकी संख्या काफी कम हो गई है. कोल्हान के अलावा चतरा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, बोकारो और गिरिडीह में इनामी नक्सली सक्रिय हैं.

नेस्तनाबूद हो चुका है भाकपा माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व

झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़ा झटका लग रहा है. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन दा और माओवादियों के थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ ​​कबीर समेत एक दर्जन बड़े नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी और एक दर्जन बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट पैदा कर दिया है. स्थिति ऐसी है कि जब भी संगठन खुद को मजबूत करने की कोशिश करता है, पुलिस उन पर हमला कर देती है. पिछले साल चतरा में मुठभेड़ में एक साथ पांच इनामी नक्सलियों (कुल 65 करोड़ रुपये का इनाम) के मारे जाने के बाद संगठन पूरी तरह से टूट चुका है.

दरअसल, झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट कर अभियान चला रही है. महज ढाई साल में झारखंड पुलिस द्वारा बेहतर रणनीति के आधार पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लग रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई साल में जब भी किसी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़े.

Operations against Naxalites
वर्तमान में सक्रिय नक्सली (ईटीवी भारत)

कब-कब पकड़े गए बड़े नक्सली

झारखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 से मई 2024 तक कुल 1390 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी संगठन के लिए बड़ा झटका है. बड़े नक्सलियों को निशाना बनाने का अभियान 2020 में शुरू हुआ. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार हुए. दूसरी ओर बूढ़ापहाड़, बुलबुल को माओवादियों से छीनने के बाद पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राई जंक्शन पर एक करोड़ के इनामी माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में सफलता हासिल की.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए

प्रशांत बोस, एक करोड़ का इनाम, रूपेश कुमार सिंह (सैक सदस्य), प्रभा दी, 10 लाख का इनाम, सुधीर किस्कू, 10 लाख का इनाम, प्रशांत मांझी, 10 लाख का इनाम, नंद लाल मांझी, 25 लाख का इनाम, बलराम उरांव, 10 लाख का इनाम आदि नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार किया है.

बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भी संगठन को किया कमजोर

झारखंड में भाकपा माओवादियों को मजबूत बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़कर पुलिस की शरण में चले गए हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं.

Operations against Naxalites
नक्सलियों के कमजोर होने की वजह (ईटीवी भारत)

अरविंद जी के मौत के बाद स्थिति हुई खराब

पुलिस की दबिश के कारण झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी अब अपने प्रभाव वाले इलाकों में बिखरने को मजबूर हो गया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव वाला एक बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार तक फैला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाकों में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है.

गौरतलब है कि वर्ष 2018 के पहले सीसी सदस्य देवकुमार सिंह उर्फ ​​अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था, बीमारी के कारण देवकुमार सिंह की मौत के बाद यहां तेलंगाना के सुधाकरण को प्रमुख बनाया गया था, लेकिन वर्ष 2019 में सुधाकरण ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को संभाला, इसके बाद मिथलेश महतो को बिहार जेल से रिहा करने के बाद बूढ़ा पहाड़ भेजा गया, तब से वह यहां का प्रमुख था, लेकिन मिथलेश की भी गिरफ्तारी बिहार में हो गई, नतीजतन अब नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व सिर्फ कोल्हान क्षेत्र में ही रह गया है.

आईजी अभियान लगातार कर रहे मॉनिटर

आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार सारंडा में अभियान पर विशेष फोकस किया गया है, लेकिन अन्य जगहों पर भी कड़ी निगरानी है. अमोल वी होमकर पिछले साढ़े तीन साल से आईजी अभियान के पद पर हैं. इन साढ़े तीन साल में सबसे बड़ी सफलता बूढ़ा पहाड़ की मिली. अब सारंडा होमकर के रडार पर है. आईजी होमकर और उनकी टीम पिछले डेढ़ साल से सारंडा में कड़ी मेहनत कर रही है, जिसकी सफलता अब सामने आ रही है.

स्थानीय नेतृत्व में नाराजगी

स्थानीय माओवादी नेतृत्व हमेशा से ही भाकपा माओवादियों में बाहरी नेताओं को दी जाने वाली तवज्जो से नाखुश रहा है. यही वजह है कि हाल के दिनों में झारखंड के स्थानीय माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और कई नेता आत्मसमर्पण करने के लिए एजेंसियों के संपर्क में हैं. सुधाकरण को झारखंड छोड़ना पड़ा क्योंकि वह बाहरी था. अभी भी झारखंड में सक्रिय दो शीर्ष नक्सली पश्चिम बंगाल से हैं, कई नक्सली कैडर उनके नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं हैं, आने वाले दिनों में आंतरिक संघर्ष भी भाकपा माओवादियों के लिए महंगा साबित होगा.

यह भी पढ़ें: लेवी के पैसों से बड़े नक्सली कमांडर्स के बच्चे बन रहे डॉक्टर-इंजीनियर, छोटे कैडर ढो इनके रहे हथियार! - Naxal organization in Jharkhand

यह भी पढ़ें: हजारों अभियान, एनकाउंटर, ताबड़तोड़ सरेंडर और ग्रामीणों का विश्वास बना सारंडा में सफलता की राह - Security forces in Saranda

यह भी पढ़ें: आईईडी का मकड़जाल तोड़ सुरक्षाबल कर रहे सारंडा फतेह, अभियान में चुकानी पड़ी है बड़ी कीमत! - Security forces Campaign in Saranda

रांची: झारखंड पुलिस ने अब केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियों के बड़े कमांडरों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. अभियान का एकमात्र उद्देश्य करीब एक दर्जन इनामी नक्सलियों का खात्मा करना है, इसके लिए अब टारगेट बेस्ड नक्सल अभियान शुरू किया गया है. सटीक सूचना और बेहतर रणनीति के आधार पर अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है और पूरा फोकस कोल्हान के सारंडा पर रखा गया है.

सारंडा में बड़े नक्सली नेता मौजूद

फिलहाल भाकपा माओवादियों का सबसे मजबूत ग्रुप सारंडा में कैंप कर रहा है. माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ का इनामी अनल दा, 25-25 लाख के इनामी सैक सदस्य अनमोल, अजय महतो, चमन उर्फ ​​लंबू के अलावा 15 लाख का इनामी रीजनल कमांडर अमित मुंडा भी सारंडा में मौजूद है.

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के मुताबिक अब सारंडा में बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाया जा रहा है, नक्सली कमांडर चाहे वो एक करोड़ का इनामी हो या 25 लाख का, मैन टू मैन टारगेट किया जा रहा है. हर बड़े नक्सली लीडर की गिरफ्तारी या एनकाउंटर के लिए स्मॉल एक्शन टीम को लगाया गया है. इसी रणनीति के तहत झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने 17 जून 2024 को सारंडा में मुठभेड़ में 10 लाख के इनामी सिंहराई उर्फ ​​मनोज, खतरनाक कांडे होनहागा समेत पांच नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दो जिंदा भी दबोचे गए.

Operations against Naxalites
वर्तमान में नक्सलियों की स्थिति (ईटीवी भारत)

वर्तमान में नक्सलियों की स्थिति

झारखंड के सारंडा में इस समय 80 से 90 नक्सली मौजूद हैं. लेकिन इन सभी की सुरक्षा बलों ने घेराबंदी कर रखी है, इसलिए ये चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. जंगल से बाहर निकलते ही या तो पकड़े जा रहे हैं या फिर मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं. इस समय कोल्हान के अलावा दूसरे जिलों में भी नक्सली मौजूद हैं, लेकिन वहां इनकी संख्या काफी कम हो गई है. कोल्हान के अलावा चतरा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, बोकारो और गिरिडीह में इनामी नक्सली सक्रिय हैं.

नेस्तनाबूद हो चुका है भाकपा माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व

झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़ा झटका लग रहा है. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन दा और माओवादियों के थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ ​​कबीर समेत एक दर्जन बड़े नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी और एक दर्जन बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट पैदा कर दिया है. स्थिति ऐसी है कि जब भी संगठन खुद को मजबूत करने की कोशिश करता है, पुलिस उन पर हमला कर देती है. पिछले साल चतरा में मुठभेड़ में एक साथ पांच इनामी नक्सलियों (कुल 65 करोड़ रुपये का इनाम) के मारे जाने के बाद संगठन पूरी तरह से टूट चुका है.

दरअसल, झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट कर अभियान चला रही है. महज ढाई साल में झारखंड पुलिस द्वारा बेहतर रणनीति के आधार पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लग रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई साल में जब भी किसी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़े.

Operations against Naxalites
वर्तमान में सक्रिय नक्सली (ईटीवी भारत)

कब-कब पकड़े गए बड़े नक्सली

झारखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 से मई 2024 तक कुल 1390 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी संगठन के लिए बड़ा झटका है. बड़े नक्सलियों को निशाना बनाने का अभियान 2020 में शुरू हुआ. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार हुए. दूसरी ओर बूढ़ापहाड़, बुलबुल को माओवादियों से छीनने के बाद पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राई जंक्शन पर एक करोड़ के इनामी माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में सफलता हासिल की.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए

प्रशांत बोस, एक करोड़ का इनाम, रूपेश कुमार सिंह (सैक सदस्य), प्रभा दी, 10 लाख का इनाम, सुधीर किस्कू, 10 लाख का इनाम, प्रशांत मांझी, 10 लाख का इनाम, नंद लाल मांझी, 25 लाख का इनाम, बलराम उरांव, 10 लाख का इनाम आदि नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार किया है.

बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने भी संगठन को किया कमजोर

झारखंड में भाकपा माओवादियों को मजबूत बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़कर पुलिस की शरण में चले गए हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं.

Operations against Naxalites
नक्सलियों के कमजोर होने की वजह (ईटीवी भारत)

अरविंद जी के मौत के बाद स्थिति हुई खराब

पुलिस की दबिश के कारण झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी अब अपने प्रभाव वाले इलाकों में बिखरने को मजबूर हो गया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव वाला एक बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार तक फैला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाकों में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है.

गौरतलब है कि वर्ष 2018 के पहले सीसी सदस्य देवकुमार सिंह उर्फ ​​अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था, बीमारी के कारण देवकुमार सिंह की मौत के बाद यहां तेलंगाना के सुधाकरण को प्रमुख बनाया गया था, लेकिन वर्ष 2019 में सुधाकरण ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को संभाला, इसके बाद मिथलेश महतो को बिहार जेल से रिहा करने के बाद बूढ़ा पहाड़ भेजा गया, तब से वह यहां का प्रमुख था, लेकिन मिथलेश की भी गिरफ्तारी बिहार में हो गई, नतीजतन अब नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व सिर्फ कोल्हान क्षेत्र में ही रह गया है.

आईजी अभियान लगातार कर रहे मॉनिटर

आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार सारंडा में अभियान पर विशेष फोकस किया गया है, लेकिन अन्य जगहों पर भी कड़ी निगरानी है. अमोल वी होमकर पिछले साढ़े तीन साल से आईजी अभियान के पद पर हैं. इन साढ़े तीन साल में सबसे बड़ी सफलता बूढ़ा पहाड़ की मिली. अब सारंडा होमकर के रडार पर है. आईजी होमकर और उनकी टीम पिछले डेढ़ साल से सारंडा में कड़ी मेहनत कर रही है, जिसकी सफलता अब सामने आ रही है.

स्थानीय नेतृत्व में नाराजगी

स्थानीय माओवादी नेतृत्व हमेशा से ही भाकपा माओवादियों में बाहरी नेताओं को दी जाने वाली तवज्जो से नाखुश रहा है. यही वजह है कि हाल के दिनों में झारखंड के स्थानीय माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और कई नेता आत्मसमर्पण करने के लिए एजेंसियों के संपर्क में हैं. सुधाकरण को झारखंड छोड़ना पड़ा क्योंकि वह बाहरी था. अभी भी झारखंड में सक्रिय दो शीर्ष नक्सली पश्चिम बंगाल से हैं, कई नक्सली कैडर उनके नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं हैं, आने वाले दिनों में आंतरिक संघर्ष भी भाकपा माओवादियों के लिए महंगा साबित होगा.

यह भी पढ़ें: लेवी के पैसों से बड़े नक्सली कमांडर्स के बच्चे बन रहे डॉक्टर-इंजीनियर, छोटे कैडर ढो इनके रहे हथियार! - Naxal organization in Jharkhand

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