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सुप्रीम कोर्ट ने उधारी सीमा तय करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से मांग जवाब - plea cap imposed on borrowing

SC seeks Centres reply : सुप्रीम कोर्ट ने उधारी सीमा तय करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. मामला केरल से जुड़ा हुआ है. केरल सरकार का कहना है कि राज्य को पैसे की तत्काल जरूरत है और उधार लेने पर लगाई गई सीमा से उसके वित्तीय अनुशासन पर असर पड़ रहा है.

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By PTI

Published : Jan 26, 2024, 8:00 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है. याचिका में राज्य पर शुद्ध उधारी पर सीमा लगाकर राज्य के वित्त को विनियमित करने का प्रयास और उसकी 'विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों' में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि वह मामले के साथ-साथ 'आसन्न वित्तीय संकट' को रोकने के लिए तत्काल आदेश के लिए राज्य की तरफ से दायर एक आवेदन पर भी अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करें.

अटॉर्नी जनरल ने याचिका को विचार किए जाने पर सवाल उठाया. वेंकटरमणी ने तर्क दिया, 'इस मामले में मुकदमा कैसे दायर किया जा सकता है, जब सवाल राज्य की आर्थिक नीति के बारे में है? राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मोर्चे पर विफलता है, जिसे याचिका दायर करके छुपाया जा रहा है.'

केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 'राज्य को पैसे की तत्काल जरूरत है और उधार लेने पर लगाई गई सीमा से उसके वित्तीय अनुशासन पर असर पड़ रहा है.'

दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि बेहतर होगा कि केंद्र मुकदमे पर अपना जवाब दाखिल करे. मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.

ये भी पढ़ें

SC ने सबरीमाला में तीर्थयात्रियों के लिए फ्री परिवहन मामले में केरल सरकार से जवाब मांगा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है. याचिका में राज्य पर शुद्ध उधारी पर सीमा लगाकर राज्य के वित्त को विनियमित करने का प्रयास और उसकी 'विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों' में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि वह मामले के साथ-साथ 'आसन्न वित्तीय संकट' को रोकने के लिए तत्काल आदेश के लिए राज्य की तरफ से दायर एक आवेदन पर भी अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करें.

अटॉर्नी जनरल ने याचिका को विचार किए जाने पर सवाल उठाया. वेंकटरमणी ने तर्क दिया, 'इस मामले में मुकदमा कैसे दायर किया जा सकता है, जब सवाल राज्य की आर्थिक नीति के बारे में है? राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मोर्चे पर विफलता है, जिसे याचिका दायर करके छुपाया जा रहा है.'

केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 'राज्य को पैसे की तत्काल जरूरत है और उधार लेने पर लगाई गई सीमा से उसके वित्तीय अनुशासन पर असर पड़ रहा है.'

दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि बेहतर होगा कि केंद्र मुकदमे पर अपना जवाब दाखिल करे. मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.

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