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विधानसभाध्यक्ष के आदेश के खिलाफ ठाकरे गुट की याचिका पर SC का शिंदे, विधायकों को नोटिस

Supreme Court : सर्वोच्च न्यायालय ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर महाराष्ट्र सीएम और कुछ विधायकों को नोटिस जारी किया है. ठाकरे गुट ने आरोप लगाया है कि शिंदे ने असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली है. पढ़िए पूरी खबर... plea against Speakers order

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By PTI

Published : Jan 22, 2024, 6:21 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की एक याचिका पर सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायकों को नोटिस जारी किया. याचिका में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें जून 2022 में विभाजन के बाद शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को 'असली शिवसेना' घोषित किया गया था.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया तथा मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों से दो सप्ताह में जवाब मांगा. शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय भी सुनवाई कर सकता है. हालांकि, ठाकरे गुट के वरिष्ठ वकीलों ने इस विचार का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई के लिए ज्यादा उपयुक्त है.

ठाकरे गुट ने आरोप लगाया है कि शिंदे ने 'असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली' और असंवैधानिक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने 10 जनवरी को सुनाए गए अपने आदेश में शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था.

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सुनाए गए आदेशों को चुनौती देते हुए ठाकरे गुट ने इसे स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और गलत बताया और कहा कि दल-बदल के कृत्य को दंडित करने के बजाय दल-बदलुओं को पुरस्कृत किया गया है.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- जब तेजस्वी यादव ने बयान वापस ले लिया है तो मुकदमा क्यों जारी रहे

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की एक याचिका पर सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायकों को नोटिस जारी किया. याचिका में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें जून 2022 में विभाजन के बाद शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को 'असली शिवसेना' घोषित किया गया था.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया तथा मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों से दो सप्ताह में जवाब मांगा. शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय भी सुनवाई कर सकता है. हालांकि, ठाकरे गुट के वरिष्ठ वकीलों ने इस विचार का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई के लिए ज्यादा उपयुक्त है.

ठाकरे गुट ने आरोप लगाया है कि शिंदे ने 'असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली' और असंवैधानिक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने 10 जनवरी को सुनाए गए अपने आदेश में शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था.

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सुनाए गए आदेशों को चुनौती देते हुए ठाकरे गुट ने इसे स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और गलत बताया और कहा कि दल-बदल के कृत्य को दंडित करने के बजाय दल-बदलुओं को पुरस्कृत किया गया है.

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