नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संकेत दिया कि वह कथित शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर शुक्रवार को आदेश पारित कर सकता है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीएम केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इस समय वह तिहाड़ जेल में बंद हैं. केजरीवाल ने ईडी द्वारा गिरफ्तारी की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है.
जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू से कहा कि केजरीवाल के मामले में अंतरिम आदेश शुक्रवार 10 मई को आने की उम्मीद है. जस्टिस खन्ना ने जीएसटी से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान राजू से कहा कि वह गुरुवार को अपनी दलीलें शुरू कर सकते हैं. राजू ने कहा कि केजरीवाल से जुड़े मामले की सुनवाई कल के लिए निर्धारित है. जस्टिस खन्ना ने कहा, नहीं, यह अगले दिन है. जहां तक अंतरिम आदेश आदि का सवाल है, हम शुक्रवार को वह आदेश पारित कर सकते हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मंगलवार को केजरीवाल और ईडी की पैरवी करने वाले वकीलों से कहा था कि अदालत इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए गुरुवार या अगले सप्ताह फिर से सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम राहत देने का संकेत देते हुए कहा था कि वह आदतन अपराधी नहीं हैं या किसी अन्य मामले में शामिल नहीं हैं, और चुनाव भी चल रहे हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह शर्त रखी कि केजरीवाल अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे, क्योंकि इससे समस्या पैदा होगी और इसका व्यापक प्रभाव भी पड़ेगा.
अदालत ने केजरीवाल के वकील से कहा, हम यह स्पष्ट करते हैं कि अगर हम आपको अंतरिम जमानत पर रिहा करते हैं तो हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें. इस दौरान केजरीवाल की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने अदालत को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अंतरिम जमानत पर रिहा होने पर किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करने का वचन देने को तैयार हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है और वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो इससे टकराव की स्थिति पैदा होगी और अगर वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद पर काम करते हैं तो वह दूसरों को निर्देश जारी करेंगे.
वहीं, केजरीवाल को अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए ईडी की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कोई विभाग नहीं है और उन्होंने किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री भी उस पोर्टफोलियो या मंत्रालय की फाइलों पर हस्ताक्षर करते हैं, जिसका वह जिम्मेदारी संभालते हैं.
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