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SC का रजिस्ट्री को निर्देश, 'ट्रायल कोर्ट' को 'निचली अदालत' कहना बंद करें

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By PTI

Published : Feb 11, 2024, 2:20 PM IST

Updated : Feb 11, 2024, 2:25 PM IST

SC lower courts refer trial courts: ट्रायल कोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. रजिस्ट्री को अपने निर्देश में शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत कहकर संबोधित ना करें.

SC asks its registry to stop referring trial courts as lower courts
न्यायालय ने रजिस्ट्री को दिया निर्देश: 'ट्रायल कोर्ट' को निचली अदालतों के तौर पर संदर्भित न करे

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री से कहा है कि वह 'ट्रायल कोर्ट' को निचली अदालत कहना बंद करे. शीर्ष अदालत ने कहा कि 'ट्रायल कोर्ट' के रिकॉर्ड को भी 'निचली अदालत का रिकॉर्ड' नहीं कहा जाना चाहिए. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली दो व्यक्तियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.

उच्च न्यायालय ने 1981 के हत्या के एक मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. पीठ ने आठ फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, 'यह उचित होगा यदि इस न्यायालय की रजिस्ट्री 'ट्रायल कोर्ट' को निचली अदालत के रूप में संदर्भित करना बंद कर दे.

यहां तक कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को निचली अदालत का रिकॉर्ड (एलसीआर) भी नहीं कहा जाना चाहिए. इसके बजाय, इसे ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (टीसीआर) के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए. रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस आदेश का संज्ञान लें.' शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री से संबंधित मामले के ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड की डिजिटल प्रति मंगाने को कहा और मामले की सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की.

दोनों याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने उनकी अपील खारिज कर दी थी और उन्हें शेष सजा काटने के लिए संबंधित अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था. उन्होंने मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

ये भी पढ़ें- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी याचिका पर विचार नहीं कर सकते: SC

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री से कहा है कि वह 'ट्रायल कोर्ट' को निचली अदालत कहना बंद करे. शीर्ष अदालत ने कहा कि 'ट्रायल कोर्ट' के रिकॉर्ड को भी 'निचली अदालत का रिकॉर्ड' नहीं कहा जाना चाहिए. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली दो व्यक्तियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.

उच्च न्यायालय ने 1981 के हत्या के एक मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. पीठ ने आठ फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, 'यह उचित होगा यदि इस न्यायालय की रजिस्ट्री 'ट्रायल कोर्ट' को निचली अदालत के रूप में संदर्भित करना बंद कर दे.

यहां तक कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को निचली अदालत का रिकॉर्ड (एलसीआर) भी नहीं कहा जाना चाहिए. इसके बजाय, इसे ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (टीसीआर) के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए. रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस आदेश का संज्ञान लें.' शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री से संबंधित मामले के ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड की डिजिटल प्रति मंगाने को कहा और मामले की सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की.

दोनों याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने उनकी अपील खारिज कर दी थी और उन्हें शेष सजा काटने के लिए संबंधित अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था. उन्होंने मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

ये भी पढ़ें- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी याचिका पर विचार नहीं कर सकते: SC
Last Updated : Feb 11, 2024, 2:25 PM IST
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