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मंत्री सौरभ भारद्वाज के OSD को LG ने किया सस्पेंड, ETV भारत ने उजागर किया था काला सच - Delhi LG suspends Bharadwaj OSD

Saurabh Bhardwaj OSD Suspended: दिल्ली के उपराज्‍यपाल वीके सक्सेना ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन. दास को सस्पेंड कर दिया है. डॉ. दास पर निजी नर्सिंग होम के अनियमित और अवैध तरीके से रज‍िस्‍ट्रेशन द‍िलाने में शामिल होने को लेकर कार्रवाई की गई है.

उपराज्‍यपाल (LG) वीके सक्सेना
उपराज्‍यपाल (LG) वीके सक्सेना. (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 29, 2024, 5:58 PM IST

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में एक बार फिर ETV Bharat के खबर का असर हुआ है. उपराज्‍यपाल (LG) वीके सक्सेना ने द‍िल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन दास के सस्‍पेंड कर दिया है. डॉ. दास को निजी नर्सिंग होम के अनियमित और अवैध तरीके से रज‍िस्‍ट्रेशन द‍िलाने में शामिल होने के लिए 29 मई, 2024 के आदेश के तहत दोषी ठहराया गया है. बता दें, ETV भारत ने 'मंत्री सौरभ भारद्वाज के OSD ने बेबी केयर सेंटर के रजिस्ट्रेशन के लिए दी थी खास दलील!, शीर्षक से आज खबर प्रकाश‍ित की थी. इसके बाद उपराज्‍यपाल ने कार्रवाई की है.

र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, आरएन दास को निलंबित करने का तात्कालिक कारण ज्योति नर्सिंग होम, शाहदरा को वैध पंजीकरण अवधि से परे अनधिकृत और अवैध रूप से चलाने के संबंध में कथित कदाचार है. उस वक्‍त डॉ. दास नर्सिंग होम सेल के चिकित्सा अधीक्षक भी थे. LG की र‍िपोर्ट में यह भी साफ क‍िया गया है कि सभी घटनाएं इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं क‍ि डॉ. आरएन. दास (जो तत्कालीन मंत्री (स्वास्थ्य) सत्येन्द्र जैन और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी भी हैं) ने स्पष्ट रूप से अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है.

पंजीकरण रद्द होने के बावजूद चल रहा था नर्सिंग होम: मामले की उत्पत्ति एक शिकायत थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बी -32, पूर्वी ज्योति नगर में स्थित 'ज्योति क्लिनिक एंड नर्सिंग होम' नामक एक नर्सिंग होम 27 नवंबर, 2018 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की ओर से जारी आदेश के तहत पंजीकरण रद्द होने के बावजूद अवैध और गैरकानूनी तरीके से चलाया जा रहा था.

ETV भारत ने वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन. दास की संलिप्तता के तरफ किया था इशारा.
ETV भारत ने वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन. दास की संलिप्तता के तरफ किया था इशारा. (ETV Bharat)

उक्त शिकायत में इस बात पर भी बल द‍िया गया है क‍ि नर्सिंग होम को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाना चाहिए और अन्य विभाग यानी ईडीएमसी (अब एकीकृत द‍िल्‍ली नगर न‍िगम) जो उक्त नर्सिंग होम की ओर से लागू जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान कर रहा है, उसे नर्सिंग होम के पंजीकरण को रद्द करने के बारे में भी सूचित किया जा सकता है.

शिकायत में आगे आरोप लगाया गया कि नर्सिंग होम प्रबंधन ने वर्ष 2014 में अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अधिकारियों ने लंबे समय तक लंबित रखा और नर्सिंग होम को बिना लाइसेंस/प्रमाणपत्र के अनाधिकृत रूप से चलते रहने में मदद की.

यह भी पढ़ें- हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम हाउस तक बच्चे की एक झलक पाने को दौड़ते रहे पैरेंट्स, पढ़िए- भावुक कर देने वाली ये कहानी

3 साल के लिए जारी होता है लाइसेंस: किसी भी नर्सिंग होम को लाइसेंस 3 साल की अवध‍ि के ल‍िए जारी किया जाता है. नर्सिंग होम के अनाधिकृत रूप से चलने की वजह स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के उपरोक्त अधिकारी की उक्त नर्सिंग होम के प्रबंधन के साथ मिलीभगत को बताया जाता है.

इस मामले में द‍िल्‍ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से जांच की गई, जिसके बाद साफ हुआ क‍ि डॉ. आर.एन. दास, तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक (नर्सिंग होम सेल) और स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी क्लिनिक के पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे. आरोप है कि डॉ. आर.एन. दास ने नर्सिंग होम के प्रबंधन के साथ मिलकर काम किया था और लाइसेंस को अनावश्यक रूप से लंबित रखकर गैरकानूनी तरीके से संरक्षण प्रदान किया था.

ACB के ड‍िटेल्‍ट इन्‍क्‍वायरी में खुलासा: द‍िल्ली सरकार की एंटी करप्‍शन ब्रांच (एसीबी) ने इस शिकायत की जांच की और माना कि प्रथम दृष्टया, यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आने वाला भ्रष्टाचार का मामला है. इसलिए डॉ. आर.एन. दास, तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक (नर्सिंग होम सेल) के खिलाफ ड‍िटेल्‍ट इन्‍क्‍वायरी करने की जरुरत है.

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने पुष्टि की कि डॉ. आर.एन. दास को नर्सिंग होम सेल में 10 जनवरी, 2019 से पदस्थापित किया गया था. 10 जनवरी 2011 से 18 मई 2015, 31 जनवरी 2018 से 2 स‍ितंबर 2022 तक के लंबे कार्यकाल को देखते हुए डॉ. आर.एन. दास नर्सिंग होम सेल में कथित कदाचार के लिए अधिकारी स्पष्ट रूप से जिम्मेदार हैं.

ये भी पढ़ें: लापरवाही ने ली 7 नवजात की जान, मजिस्ट्रेटी जांच होगी; जानिए, बेबी केयर सेंटर में आग लगने की घटना के बारे में सब कुछ

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में एक बार फिर ETV Bharat के खबर का असर हुआ है. उपराज्‍यपाल (LG) वीके सक्सेना ने द‍िल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन दास के सस्‍पेंड कर दिया है. डॉ. दास को निजी नर्सिंग होम के अनियमित और अवैध तरीके से रज‍िस्‍ट्रेशन द‍िलाने में शामिल होने के लिए 29 मई, 2024 के आदेश के तहत दोषी ठहराया गया है. बता दें, ETV भारत ने 'मंत्री सौरभ भारद्वाज के OSD ने बेबी केयर सेंटर के रजिस्ट्रेशन के लिए दी थी खास दलील!, शीर्षक से आज खबर प्रकाश‍ित की थी. इसके बाद उपराज्‍यपाल ने कार्रवाई की है.

र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, आरएन दास को निलंबित करने का तात्कालिक कारण ज्योति नर्सिंग होम, शाहदरा को वैध पंजीकरण अवधि से परे अनधिकृत और अवैध रूप से चलाने के संबंध में कथित कदाचार है. उस वक्‍त डॉ. दास नर्सिंग होम सेल के चिकित्सा अधीक्षक भी थे. LG की र‍िपोर्ट में यह भी साफ क‍िया गया है कि सभी घटनाएं इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं क‍ि डॉ. आरएन. दास (जो तत्कालीन मंत्री (स्वास्थ्य) सत्येन्द्र जैन और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी भी हैं) ने स्पष्ट रूप से अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है.

पंजीकरण रद्द होने के बावजूद चल रहा था नर्सिंग होम: मामले की उत्पत्ति एक शिकायत थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बी -32, पूर्वी ज्योति नगर में स्थित 'ज्योति क्लिनिक एंड नर्सिंग होम' नामक एक नर्सिंग होम 27 नवंबर, 2018 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की ओर से जारी आदेश के तहत पंजीकरण रद्द होने के बावजूद अवैध और गैरकानूनी तरीके से चलाया जा रहा था.

ETV भारत ने वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन. दास की संलिप्तता के तरफ किया था इशारा.
ETV भारत ने वास्‍थ्‍य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी डॉ. आरएन. दास की संलिप्तता के तरफ किया था इशारा. (ETV Bharat)

उक्त शिकायत में इस बात पर भी बल द‍िया गया है क‍ि नर्सिंग होम को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाना चाहिए और अन्य विभाग यानी ईडीएमसी (अब एकीकृत द‍िल्‍ली नगर न‍िगम) जो उक्त नर्सिंग होम की ओर से लागू जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान कर रहा है, उसे नर्सिंग होम के पंजीकरण को रद्द करने के बारे में भी सूचित किया जा सकता है.

शिकायत में आगे आरोप लगाया गया कि नर्सिंग होम प्रबंधन ने वर्ष 2014 में अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अधिकारियों ने लंबे समय तक लंबित रखा और नर्सिंग होम को बिना लाइसेंस/प्रमाणपत्र के अनाधिकृत रूप से चलते रहने में मदद की.

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3 साल के लिए जारी होता है लाइसेंस: किसी भी नर्सिंग होम को लाइसेंस 3 साल की अवध‍ि के ल‍िए जारी किया जाता है. नर्सिंग होम के अनाधिकृत रूप से चलने की वजह स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के उपरोक्त अधिकारी की उक्त नर्सिंग होम के प्रबंधन के साथ मिलीभगत को बताया जाता है.

इस मामले में द‍िल्‍ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से जांच की गई, जिसके बाद साफ हुआ क‍ि डॉ. आर.एन. दास, तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक (नर्सिंग होम सेल) और स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी क्लिनिक के पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे. आरोप है कि डॉ. आर.एन. दास ने नर्सिंग होम के प्रबंधन के साथ मिलकर काम किया था और लाइसेंस को अनावश्यक रूप से लंबित रखकर गैरकानूनी तरीके से संरक्षण प्रदान किया था.

ACB के ड‍िटेल्‍ट इन्‍क्‍वायरी में खुलासा: द‍िल्ली सरकार की एंटी करप्‍शन ब्रांच (एसीबी) ने इस शिकायत की जांच की और माना कि प्रथम दृष्टया, यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आने वाला भ्रष्टाचार का मामला है. इसलिए डॉ. आर.एन. दास, तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक (नर्सिंग होम सेल) के खिलाफ ड‍िटेल्‍ट इन्‍क्‍वायरी करने की जरुरत है.

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने पुष्टि की कि डॉ. आर.एन. दास को नर्सिंग होम सेल में 10 जनवरी, 2019 से पदस्थापित किया गया था. 10 जनवरी 2011 से 18 मई 2015, 31 जनवरी 2018 से 2 स‍ितंबर 2022 तक के लंबे कार्यकाल को देखते हुए डॉ. आर.एन. दास नर्सिंग होम सेल में कथित कदाचार के लिए अधिकारी स्पष्ट रूप से जिम्मेदार हैं.

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