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सपनों की उड़ान, एक आईएएस की पहल से नक्सली इलाके की बच्चियां बनेंगी इंजीनियर और डॉक्टर! - Sapno Ki Udaan - SAPNO KI UDAAN

Sapno Ki Udaan project. एक जिला का अधिकारी अपने जिला की बेहतरी के लिए काफी कुछ करता है. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के अलावा कुछ ऐसी सार्थक सोच और पहल से भी वे इसे नया आयाम देने की कोशिश करते हैं. पलामू डीसी की एक ऐसी ही पहल है सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट.

Sapno Ki Udaan project started initiative of Palamu DC Shashi Ranjan
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 3, 2024, 1:18 PM IST

पलामूः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 220 किलोमीटर दूर नौडीहा बाजार के खैरादोहर की रहने वाली बबीता कुमारी के पिता इस दुनिया में नहीं है. मां घर संभालती है जबकि भाई दुकान में नौकरी कर पूरे परिवार को संभाल रहा है. बबीता इंजीनियर बनना चाहती है और फिलहाल छतरपुर के कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में पढ़ाई कर रही है. बबीता का सपना है कि वह इंजीनियर बने और परिवार की तकदीर को संवार सके.

सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट से संवरती छात्राओं की किस्मत (ETV Bharat)

बबीता की तरह ही सैकड़ों लड़कियां हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहती हैं लेकिन उनके समक्ष आर्थिक कमी एक बड़ी बाधा है. इन लड़कियों की तरह एक आईएएस अधिकारी ने भी सपना देखा है कि ग्रामीण एवं नक्सल इलाके के लड़कियां डॉक्टर और इंजीनियर बने. लड़कियों के इस सपने को पूरा करने के लिए आईएएस अधिकारी शशि रंजन ने जान लगा दी है. आईएएस अधिकारी शशि रंजन पलामू डीसी के पद पर तैनात हैं. पलामू डीसी शशि रंजन ने सपनों की उड़ान नाम से एक प्रोजेक्ट को शुरू किया है.

क्या है सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट?

पलामू डीसी शशि रंजन की पहल पर सपनों की उड़ान नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के 150 छात्राओं को जोड़ा गया है. इस प्रोजेक्ट उद्देश्य है कि पलामू के ग्रामीण एवं नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाया जाए. इसकी शुरुआत कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के 150 छात्राओं के साथ की गयी है. चयनित छात्राओं को निजी क्षेत्र के एक संस्थान के माध्यम से कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. यह कोचिंग कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में ही संचालित है जहां चयनित छात्राएं रह कर पढ़ाई कर रही हैं. छात्राओं को 75-75 की संख्या में दो समूहों में बांटा गया है. 75 छात्राएं इंजीनियर जबकि 75 छात्राएं मेडिकल की तैयारी कर रही हैं. इंजीनियरिंग की कोचिंग करने वाले छात्राओं को सदर कस्तूरबा जबकि मेडिकल की कोचिंग करने वाली छात्राओं को चैनपुर कस्तूरबा में रखा गया है.

आईएएस अधिकारी शशिरंजन का ड्रीम प्रोजेक्ट

आईएएस अधिकारी सह पलामू डीसी शशि रंजन का सपनों की उड़ान एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. पलामू डीसी शशि रंजन डॉक्टर एवं इंजीनियर लड़कियों की एक चेन तैयार करना चाहते हैं. शिक्षा की ये चेन नक्सली एवं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त बनाएंगे और सभी बदलाव की वाहक बनेंगी. पलामू डीसी शशि रंजन ने ईटीवी भारत को बताया कि कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के कई छात्रों के साथ उन्होंने बातचीत की थी. इस बातचीत क्रम में यह बात सामने आई कि कई छात्राएं इंजीनियर एवं डॉक्टर बनना चाहती हैं. इसकी तैयारी के लिए उन्हें एक बेहतर प्लेटफार्म की चाहिए था. जिला प्रशासन ने पहल करते हुए सभी को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया है. डीसी ने बताया कि लड़कियों की कोचिंग के लिए टेंडर के माध्यम से एक निजी कोचिंग संस्थान को हायर किया गया है. डीसी शशि रंजन ने बताया कि यह प्रतिभा को निखराने की एक कोशिश है, ऐसी बच्चियों जो गरीबों के अभाव में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की तैयारी नहीं कर पा रही हैं, उनकी मदद की जा रही है. उनका सपना है कि पलामू के ग्रामीण इलाके से भी बड़ी संख्या में लड़कियां डॉक्टर एवं इंजीनियर बने.

छात्राओं ने कहा पूरे हो रहे हैं उनके सपने

सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद छात्राएं बेहद खुश हैं. छात्राओं के सपने हकीकत में बदल रहे हैं. पांकी की रहने वाली छात्रा रूपांजलि कुमारी ने बताया कि वह मेहनत कर रहीं है ताकि परिवार और गांव का नाम आगे बढ़ा सके. उनके सपने पूरा हो रहे हैं वह इंजीनियर बनना चाहती हैं. वहीं छात्रा अंजलि कुमारी ने बताया कि शुरुआत में जब वह कोचिंग के लिए सदर कस्तूरबा में आई थी तो उसे ठीक नहीं लग रहा था. जब बाद में पढ़ाई शुरू हुई तो अब उसे बेहतर महसूस होने लगा है, अब वह अपने सपने को पूरा करना चाहती है.

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पलामूः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 220 किलोमीटर दूर नौडीहा बाजार के खैरादोहर की रहने वाली बबीता कुमारी के पिता इस दुनिया में नहीं है. मां घर संभालती है जबकि भाई दुकान में नौकरी कर पूरे परिवार को संभाल रहा है. बबीता इंजीनियर बनना चाहती है और फिलहाल छतरपुर के कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में पढ़ाई कर रही है. बबीता का सपना है कि वह इंजीनियर बने और परिवार की तकदीर को संवार सके.

सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट से संवरती छात्राओं की किस्मत (ETV Bharat)

बबीता की तरह ही सैकड़ों लड़कियां हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहती हैं लेकिन उनके समक्ष आर्थिक कमी एक बड़ी बाधा है. इन लड़कियों की तरह एक आईएएस अधिकारी ने भी सपना देखा है कि ग्रामीण एवं नक्सल इलाके के लड़कियां डॉक्टर और इंजीनियर बने. लड़कियों के इस सपने को पूरा करने के लिए आईएएस अधिकारी शशि रंजन ने जान लगा दी है. आईएएस अधिकारी शशि रंजन पलामू डीसी के पद पर तैनात हैं. पलामू डीसी शशि रंजन ने सपनों की उड़ान नाम से एक प्रोजेक्ट को शुरू किया है.

क्या है सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट?

पलामू डीसी शशि रंजन की पहल पर सपनों की उड़ान नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के 150 छात्राओं को जोड़ा गया है. इस प्रोजेक्ट उद्देश्य है कि पलामू के ग्रामीण एवं नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाया जाए. इसकी शुरुआत कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के 150 छात्राओं के साथ की गयी है. चयनित छात्राओं को निजी क्षेत्र के एक संस्थान के माध्यम से कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. यह कोचिंग कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में ही संचालित है जहां चयनित छात्राएं रह कर पढ़ाई कर रही हैं. छात्राओं को 75-75 की संख्या में दो समूहों में बांटा गया है. 75 छात्राएं इंजीनियर जबकि 75 छात्राएं मेडिकल की तैयारी कर रही हैं. इंजीनियरिंग की कोचिंग करने वाले छात्राओं को सदर कस्तूरबा जबकि मेडिकल की कोचिंग करने वाली छात्राओं को चैनपुर कस्तूरबा में रखा गया है.

आईएएस अधिकारी शशिरंजन का ड्रीम प्रोजेक्ट

आईएएस अधिकारी सह पलामू डीसी शशि रंजन का सपनों की उड़ान एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. पलामू डीसी शशि रंजन डॉक्टर एवं इंजीनियर लड़कियों की एक चेन तैयार करना चाहते हैं. शिक्षा की ये चेन नक्सली एवं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त बनाएंगे और सभी बदलाव की वाहक बनेंगी. पलामू डीसी शशि रंजन ने ईटीवी भारत को बताया कि कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल के कई छात्रों के साथ उन्होंने बातचीत की थी. इस बातचीत क्रम में यह बात सामने आई कि कई छात्राएं इंजीनियर एवं डॉक्टर बनना चाहती हैं. इसकी तैयारी के लिए उन्हें एक बेहतर प्लेटफार्म की चाहिए था. जिला प्रशासन ने पहल करते हुए सभी को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया है. डीसी ने बताया कि लड़कियों की कोचिंग के लिए टेंडर के माध्यम से एक निजी कोचिंग संस्थान को हायर किया गया है. डीसी शशि रंजन ने बताया कि यह प्रतिभा को निखराने की एक कोशिश है, ऐसी बच्चियों जो गरीबों के अभाव में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की तैयारी नहीं कर पा रही हैं, उनकी मदद की जा रही है. उनका सपना है कि पलामू के ग्रामीण इलाके से भी बड़ी संख्या में लड़कियां डॉक्टर एवं इंजीनियर बने.

छात्राओं ने कहा पूरे हो रहे हैं उनके सपने

सपनों की उड़ान प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद छात्राएं बेहद खुश हैं. छात्राओं के सपने हकीकत में बदल रहे हैं. पांकी की रहने वाली छात्रा रूपांजलि कुमारी ने बताया कि वह मेहनत कर रहीं है ताकि परिवार और गांव का नाम आगे बढ़ा सके. उनके सपने पूरा हो रहे हैं वह इंजीनियर बनना चाहती हैं. वहीं छात्रा अंजलि कुमारी ने बताया कि शुरुआत में जब वह कोचिंग के लिए सदर कस्तूरबा में आई थी तो उसे ठीक नहीं लग रहा था. जब बाद में पढ़ाई शुरू हुई तो अब उसे बेहतर महसूस होने लगा है, अब वह अपने सपने को पूरा करना चाहती है.

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