पटना : झारखंड विधानसभा चुनाव इसी साल होना है. बिहार का पड़ोसी राज्य होने के कारण बिहार के प्रमुख क्षेत्रीय दल भी वहां किस्मत आजमाते रहे हैं. पिछले दो चुनाव से जदयू को सफलता नहीं मिली है, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने बीजेपी से तालमेल कर झारखंड में अपनी उपस्थिति दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी से तालमेल के लिए नीतीश ने अपने सबसे खास संजय झा को लगाया है.
'संजय झा हुए हैं अधिकृत' : जदयू झारखंड प्रभारी सब मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को इसके लिए अधिकृत किया है. एनडीए झारखंड में मजबूती से चुनाव लड़ेगा. कुछ होमवर्क के साथ हमलोग आगे बढ़ रहे हैं. इसका फल जल्द ही देखने को मिलेगा. हालांकि संजय झा फिलहाल झारखंड में बीजेपी से तालमेल मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
''हम लोगों की बातचीत चल रही है. मजबूती से हम लोग चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी से बातचीत के लिए संजय झा को जिम्मेदारी दी गई है. संजय झा बातचीत भी कर रहे हैं.''- अशोक चौधरी, जदयू झारखंड प्रभारी
'CM नीतीश ने सही चयन किया' : वहीं विशेषज्ञ का कहना है कि संजय झा का भाजपा नेताओं के साथ भी बेहतर संबंध रहा है, इसलिए नीतीश कुमार ने बीजेपी से तालमेल के लिए इस बार सही आदमी का चुनाव किया है. राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पाण्डेय का कहना है कि संजय झा पहले बीजेपी में ही थे. बीजेपी के लोगों में उनकी अभी भी अच्छी पैठ है. ऐसे में नीतीश कुमार ने सही चयन किया है.
'BJP के लिए भी होगा फायदेमंद' : वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ का कहना है कि सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं. भाजपा यदि झारखंड में जदयू के साथ तालमेल करती है, तो नीतीश कुमार, सरयू राय और अन्य घटक दलों के साथ सरकार बनाने के लिए बेहतर परफॉर्मेंस कर सकते हैं.
दिल्ली में करा चुके हैं तालमेल : अब जरा आपको पीछे लिए चलते हैं. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद संजय झा जदयू का बीजेपी के साथ पहले भी तालमेल करा चुके हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर यह तालमेल हुआ था. हालांकि नीतीश कुमार दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बंगाल और दूसरे राज्यों में भी बीजेपी के साथ तालमेल करने की कोशिश की. अपने खास लोगों को भी लगाया लेकिन सफलता नहीं मिली.
UP से बंगाल तक हाथ लगी थी निराशा : नीतीश कुमार इससे पहले उत्तर प्रदेश में जो विधानसभा का चुनाव हो रहा था, 2022 में बीजेपी से तालमेल के लिए अपने उस समय के खास आरसीपी सिंह को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन आरसीपी सिंह तालमेल नहीं करा पाए. बाद में आरसीपी सिंह का नीतीश कुमार के साथ दूरियां भी बढ़ने लगी और उन्हें पार्टी भी छोड़ना पड़ा. नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी से तालमेल करना चाहते थे लेकिन बीजेपी वहां भी तैयार नहीं हुई. झारखंड और अन्य राज्यों में भी नीतीश कुमार ने काफी प्रयास किया लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली.
संजय झा के लिए पहली परीक्षा : बीजेपी बिहार से बाहर जदयू से कहीं तालमेल के लिए तैयार नहीं होती रही है. भाजपा नेताओं का साफ कहना है कि जदयू के साथ बिहार में ही गठबंधन है. दिल्ली एक्सेप्शनल है. 15 सालों में जहां जदयू का बीजेपी से तालमेल हुआ है और उसमें संजय झा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी. इसलिए नीतीश कुमार ने इस बार भी संजय झा को जिम्मेदारी दी है. संजय झा अभी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और राज्यसभा के सदस्य भी हैं. इसलिए पार्टी के विस्तार की जिम्मेवारी भी उनके कंधों पर है, पहली परीक्षा झारखंड से ही होने वाली है.
झारखंड में अब तक JDU का प्रदर्शन :बिहार से अलग होने के बाद झारखंड में 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 18 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 6 सीटों पर जीत मिली थी. वोट प्रतिशत 4 फीसदी रहा. एनडीए सरकार में जदयू की भी हिस्सेदारी थी. हालांकि, 2009 में वोट प्रतिशत और सीटों में भी गिरावट आई. भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू को 14 सीटें मिली, जिस पर मात्र 2 सीटों पर पार्टी जीत दर्ज कर सकी, वोट भी घटकर 4 से 2.78 प्रतिशत रह गया. 2005 में जदयू को देवघर, तमाड़, बाघमारा, छतरपुर डाल्टेनगंज, मांडू विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल हुई थी. वहीं 2009 में छतरपुर, दमोह विधानसभा में जीत हासिल हुई, लेकिन उसके बाद जदयू का खाता नहीं खुला है. जदयू 2014 और 2019 में अकेले चुनाव लड़ी थी.
कुर्मी बहुत सीटों पर JDU की नजर : वैसे झारखंड में कुर्मी जाति की बड़ी आबादी है. झारखंड जदयू के तरफ से 11 विधानसभा सीटों का चयन भी किया गया है, जो कुर्मी बहुल हैं. वैसे बीजेपी सुदेश महतो के साथ वहां तालमेल करती रही है. झारखंड में 16% के करीब कुर्मी आबादी है और इसी वोट बैंक के सहारे नीतीश कुमार बीजेपी के साथ तालमेल करना चाहते हैं. केंद्र सरकार में भी इस बार जदयू महत्वपूर्ण भूमिका में है तो बिहार में भी नीतीश कुमार लंबे समय से बीजेपी के साथ सरकार चलाते रहे हैं. अब कोशिश है कि झारखंड में भी जदयू की मजबूत उपस्थिति हो जाए और इसके लिए संजय झा के ऊपर जिम्मेदारी है. अब देखना है संजय झा नीतीश कुमार की उम्मीद पर कितना खड़ा उतर पाते हैं.
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