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संदेशखाली हिंसा मामला: जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सुप्रीम कोर्ट राजी - संदेशखाली हिंसा मामले

याचिका में जांच और उसके बाद के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया गया है. इसके अलावा मणिपुर हिंसा मामले की तरह तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा जांच की अपील की गई है.

PIL in Sandeshkhali violence case
संदेशखाली हिंसा मामला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 16, 2024, 1:33 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के संदेशखालि गांव में हुई हिंसा मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए विचार करने पर सहमति जताई है. जनहित याचिका को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, 'क्या आपने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) कोई ईमेल भेजा है ?'

जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जब हां में जवाब दिया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मैं दोपहर में इस पर विचार करूंगा.' श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से यह याचिका दायर की है, जिसमें संदेशखालि हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजे और कर्तव्य में कथित लापरवाही बरते के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

याचिका में जांच और उसके बाद के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया गया है. इसके अलावा मणिपुर हिंसा मामले की तरह तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा जांच की अपील की गई है. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के गांव संदेशखालि में तृणमूल के एक स्थानीय नेता द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. क्षेत्र की कई महिलाओं ने पार्टी के कद्दावर स्थानीय नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने तथा यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.

शाहजहां से जुड़े लोगों ने पांच जनवरी को राशन घोटाले के सिलसिले में छापा मारने गए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर कथित तौर पर हमला कर दिया था, जिसके बाद से शाहजहां फरार हैं.

पढ़ें: प.बंगाल: संदेशखाली जाने से भाजपा को धमखाली में रोका गया

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के संदेशखालि गांव में हुई हिंसा मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए विचार करने पर सहमति जताई है. जनहित याचिका को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, 'क्या आपने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) कोई ईमेल भेजा है ?'

जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जब हां में जवाब दिया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मैं दोपहर में इस पर विचार करूंगा.' श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से यह याचिका दायर की है, जिसमें संदेशखालि हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजे और कर्तव्य में कथित लापरवाही बरते के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

याचिका में जांच और उसके बाद के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया गया है. इसके अलावा मणिपुर हिंसा मामले की तरह तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा जांच की अपील की गई है. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के गांव संदेशखालि में तृणमूल के एक स्थानीय नेता द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. क्षेत्र की कई महिलाओं ने पार्टी के कद्दावर स्थानीय नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने तथा यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.

शाहजहां से जुड़े लोगों ने पांच जनवरी को राशन घोटाले के सिलसिले में छापा मारने गए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर कथित तौर पर हमला कर दिया था, जिसके बाद से शाहजहां फरार हैं.

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