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एमपी में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी, गिद्धों को बचाने सागर का नौरादेही टाइगर रिजर्व कर रहा पहल - टाइगर रिजर्व में वल्चर रेस्टोरेंट

Vultures Restaurant in Nauradehi Tiger Reserve:देश में गिद्धों की संख्या लगातार कम रही है.इन्हें बचाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं.ऐसे में एमपी के नौरादेही टाइगर रिजर्व सागर में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी की जा रही है.

Vultures Restaurant in Tiger Reserve
गिद्धों को बचाने 'वल्चर रेस्टोरेंट'
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 3, 2024, 6:55 PM IST

एमपी के नौरादेही टाइगर रिजर्व सागर में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी

सागर। लगातार कम हो रही गिद्धों की संख्या ईकोसिस्टम के लिए काफी चिंताजनक है, क्योंकि गिद्धों को प्रकृति का सफाई कर्मी कहा जाता है.आमतौर पर गिद्धों का भोजन मरे हुए मवेशी होते हैं और मवेशियों के कारण ही गिद्धों की संख्या में लगातार कमी आई है. गिद्धों की संख्या में कमी को देखते हुए इनके संरक्षण के प्रयास तेज हो गए हैं. बाकायदा बाघ और दूसरे जानवरों जैसी गिद्धों की गणना भी शुरू हो चुकी है. गिद्धों की कम होती संख्या के लिए मवेशियों में उपयोग होने वाली दवाएं सबसे बड़ी वजह है. ऐसी कुछ दवाओं पर तो प्रतिबंध लग चुका है लेकिन कई दवाएं अभी भी ऐसी हैं, जो गिद्धों की मौत की वजह बन रही हैं. एमपी के सागर में नौरादेही टाइगर रिजर्व में गिद्धों को सुरक्षित भोजन के लिए "वल्चर रेस्टोरेंट" की शुरुआत करने की तैयारी चल रही है.

rani durgavati tiger reserve
गिद्ध संरक्षण के लिए पहल

गिद्धों को बचाने 'वल्चर रेस्टोरेंट'

गिद्धों को बचाने के लिए वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व सागर में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी की जा रही है. इसे नौरादेही टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है. यहां गिद्धों को सुरक्षित भोजन मुहैया कराया जाएगा. इसके लिए टाइगर रिजर्व ऐसी गौशालाओं से संपर्क कर रहा है जो मवेशियों में गिद्धों को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं. कोशिश ये की जाएगी कि गिद्ध भोजन की तलाश में ना भटके और उन्हें टाइगर रिजर्व में ही सुरक्षित भोजन मिल जाए.

rani durgavati tiger reserve
गिद्धों को बचाने वल्चर रेस्टोरेंट

गिद्धों के लिए कौन सी दवाएं हैं जानलेवा

गिद्धों की कम होती जनसंख्या की सबसे बड़ी वजह मवेशियों में उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं. वैसे तो सरकार ने कुछ दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन विभिन्न अध्ययनों और शोध के अनुसार मवेशियों में उपयोग की जाने वाली डाइक्लोफेनाक, केटोप्रोफेन, फ्लुनिक्सिन, एसेक्लोफेनाक, निमेसुलाइड और फेनिलबुटाज़ोन दवाएं गिद्धों के लिए नुकसानदायक हैं. सरकार डाइक्लोफेनाक पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है. कई खतरनाक दवाएं अभी भी बाजार में हैं, जिनका पशुपालक उपयोग कर रहे हैं. यही दवाएं गिद्धों की मौत की वजह बन रही हैं.

Vultures restaurant in Nauradehi
नौरादेही टाइगर रिजर्व में खुलेगा वल्चर रेस्टोरेंट

कौन-कौन सी दवाएं हो चुकी हैं प्रतिबंधित

पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन रही गिद्धों की कम होती संख्या को देखते हुए सरकार ने 2006 में डाइक्लोफेनाक को प्रतिबंधित कर दिया था. 2023 में केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बावजूद अभी भी कुछ ऐसी दवाएं मौजूद हैं जिनका उपयोग पशुपालक कर रहे हैं. पर्यावरण प्रेमी लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन दवाओं को भी प्रतिबंधित किया जाए.अभी भी फ्लुनिक्सिन और निमेसुलाइड जैसी दवाएं बाजार में हैं जो गिद्धों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं.

Vultures restaurant in Nauradehi
लगातार कम हो रही गिद्धों की संख्या

गिद्धों को क्यों कहते हैं प्रकृति का सफाईकर्मी

गिद्ध हमारे ईकोसिस्टम की महत्वपूर्ण कड़ी हैं. इसी महत्व के कारण गिद्ध के लिए प्रकृति के सफाई कर्मी के रूप में जाना जाता है. क्योंकि गिद्ध मृत जानवरों को खाकर हमारे ईकोसिस्टम को होने वाले नुकसान और मानव जाति को कई तरह की बीमारियों से बचाता है. गिद्ध खासकर मरे पड़े मवेशियों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है और मृत शरीर से उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है. जिससे अन्य जानवर और मानवों के लिए कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

ये भी पढ़ें:

Vultures restaurant in Nauradehi
गिद्धों को बचाने लगातार हो रहा प्रयास

क्या कहना है टाइगर रिजर्व प्रबंधन का

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी कहते हैं कि गिद्ध का एरिया बहुत विस्तृत होता है. इसके खाने की आदत हमारे ईकोसिस्टम के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पिछले कुछ सालों से इनकी संख्या में कमी आई है. इसका कारण पशुओं में लगाई जाने वाली दवाएं हैं. सरकार 2006 में डाइक्लोफेनाक और 2023 में केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक को प्रतिबंधित कर चुकी है. अभी भी कुछ दवाएं ऐसी हैं जो गिद्धों के लिए नुकसानदायक हैं. गिद्धों को सुरक्षित भोजन के लिए टाइगर रिजर्व में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने के लिए तैयारी की जा रही है जिसके लिए गौशालाओं से संपर्क किया जा रहा है.

एमपी के नौरादेही टाइगर रिजर्व सागर में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी

सागर। लगातार कम हो रही गिद्धों की संख्या ईकोसिस्टम के लिए काफी चिंताजनक है, क्योंकि गिद्धों को प्रकृति का सफाई कर्मी कहा जाता है.आमतौर पर गिद्धों का भोजन मरे हुए मवेशी होते हैं और मवेशियों के कारण ही गिद्धों की संख्या में लगातार कमी आई है. गिद्धों की संख्या में कमी को देखते हुए इनके संरक्षण के प्रयास तेज हो गए हैं. बाकायदा बाघ और दूसरे जानवरों जैसी गिद्धों की गणना भी शुरू हो चुकी है. गिद्धों की कम होती संख्या के लिए मवेशियों में उपयोग होने वाली दवाएं सबसे बड़ी वजह है. ऐसी कुछ दवाओं पर तो प्रतिबंध लग चुका है लेकिन कई दवाएं अभी भी ऐसी हैं, जो गिद्धों की मौत की वजह बन रही हैं. एमपी के सागर में नौरादेही टाइगर रिजर्व में गिद्धों को सुरक्षित भोजन के लिए "वल्चर रेस्टोरेंट" की शुरुआत करने की तैयारी चल रही है.

rani durgavati tiger reserve
गिद्ध संरक्षण के लिए पहल

गिद्धों को बचाने 'वल्चर रेस्टोरेंट'

गिद्धों को बचाने के लिए वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व सागर में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की तैयारी की जा रही है. इसे नौरादेही टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है. यहां गिद्धों को सुरक्षित भोजन मुहैया कराया जाएगा. इसके लिए टाइगर रिजर्व ऐसी गौशालाओं से संपर्क कर रहा है जो मवेशियों में गिद्धों को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं. कोशिश ये की जाएगी कि गिद्ध भोजन की तलाश में ना भटके और उन्हें टाइगर रिजर्व में ही सुरक्षित भोजन मिल जाए.

rani durgavati tiger reserve
गिद्धों को बचाने वल्चर रेस्टोरेंट

गिद्धों के लिए कौन सी दवाएं हैं जानलेवा

गिद्धों की कम होती जनसंख्या की सबसे बड़ी वजह मवेशियों में उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं. वैसे तो सरकार ने कुछ दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन विभिन्न अध्ययनों और शोध के अनुसार मवेशियों में उपयोग की जाने वाली डाइक्लोफेनाक, केटोप्रोफेन, फ्लुनिक्सिन, एसेक्लोफेनाक, निमेसुलाइड और फेनिलबुटाज़ोन दवाएं गिद्धों के लिए नुकसानदायक हैं. सरकार डाइक्लोफेनाक पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है. कई खतरनाक दवाएं अभी भी बाजार में हैं, जिनका पशुपालक उपयोग कर रहे हैं. यही दवाएं गिद्धों की मौत की वजह बन रही हैं.

Vultures restaurant in Nauradehi
नौरादेही टाइगर रिजर्व में खुलेगा वल्चर रेस्टोरेंट

कौन-कौन सी दवाएं हो चुकी हैं प्रतिबंधित

पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन रही गिद्धों की कम होती संख्या को देखते हुए सरकार ने 2006 में डाइक्लोफेनाक को प्रतिबंधित कर दिया था. 2023 में केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बावजूद अभी भी कुछ ऐसी दवाएं मौजूद हैं जिनका उपयोग पशुपालक कर रहे हैं. पर्यावरण प्रेमी लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन दवाओं को भी प्रतिबंधित किया जाए.अभी भी फ्लुनिक्सिन और निमेसुलाइड जैसी दवाएं बाजार में हैं जो गिद्धों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं.

Vultures restaurant in Nauradehi
लगातार कम हो रही गिद्धों की संख्या

गिद्धों को क्यों कहते हैं प्रकृति का सफाईकर्मी

गिद्ध हमारे ईकोसिस्टम की महत्वपूर्ण कड़ी हैं. इसी महत्व के कारण गिद्ध के लिए प्रकृति के सफाई कर्मी के रूप में जाना जाता है. क्योंकि गिद्ध मृत जानवरों को खाकर हमारे ईकोसिस्टम को होने वाले नुकसान और मानव जाति को कई तरह की बीमारियों से बचाता है. गिद्ध खासकर मरे पड़े मवेशियों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है और मृत शरीर से उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है. जिससे अन्य जानवर और मानवों के लिए कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

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Vultures restaurant in Nauradehi
गिद्धों को बचाने लगातार हो रहा प्रयास

क्या कहना है टाइगर रिजर्व प्रबंधन का

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी कहते हैं कि गिद्ध का एरिया बहुत विस्तृत होता है. इसके खाने की आदत हमारे ईकोसिस्टम के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पिछले कुछ सालों से इनकी संख्या में कमी आई है. इसका कारण पशुओं में लगाई जाने वाली दवाएं हैं. सरकार 2006 में डाइक्लोफेनाक और 2023 में केटोप्रोफेन और एसिक्लोफेनाक को प्रतिबंधित कर चुकी है. अभी भी कुछ दवाएं ऐसी हैं जो गिद्धों के लिए नुकसानदायक हैं. गिद्धों को सुरक्षित भोजन के लिए टाइगर रिजर्व में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने के लिए तैयारी की जा रही है जिसके लिए गौशालाओं से संपर्क किया जा रहा है.

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