सागर. कोरोना लॉकडाउन के बाद से देश ही नहीं पूरी दुनिया में शराब पीने वालों की संख्या बढ़ी है. वहीं एक ताजा रिसर्च में दावा किया गया है कि शराब के सेवन के बाद पैरासिटामोल जैसी दवा लेने से लोगों का लिवर पूरी तरह से खराब हो रहा है. सागर यूनिवर्सिटी की रिसर्च में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के बाद ज्यादा शराब के सेवन और फिर बुखार आने पर पैरासिटामोल के इस्तेमाल से लिवर सिरोसिस के मरीजों की संख्या में तेजी देखी गई है. इन हालातों में सागर यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च ने ना सिर्फ लिवर सिरोसिस के होम्योपैथी इलाज को मान्यता दिलाई है. बल्कि अमेरिका और चीन जैसे देश द्वारा होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को प्लेसिबो कहने के भ्रामक प्रचार की भी पोल खोलने का काम किया है.
होम्योपैथी से लिवर सिरोसिस का इलाज
सागर यूनिवर्सिटी के जूलॉजी के शोध छात्र देवव्रत दास ने कमाल कर दिखाया है. उनकी रिसर्च की बदौलत लिवर सिरोसिस के होम्योपैथी इलाज को पहली बार मान्यता मिली है. उनकी रिसर्च के लिए आईसीएमआर ने फेलोशिप भी प्रदान की है. दरअसल, रिसर्च के जरिए लिवर सिरोसिस के इलाज के लिए होम्योपैथी दवाओं को चूहों पर प्रयोग करके ये सिद्ध किया गया है कि होम्योपैथिक दवाईयां किस तरह लिवर सिरोसिस जैसी घातक बीमारी के इलाज के लिए कारगर हैं.
कोरोना के बाद 20 से 30 गुना बढ़े लिवर सिरोसिस के मामले
2020 में कोरोना के कारण लाॅकडाउन लगाया गया था और लाॅकडाउन में लोग घरों में सिमट कर रह गए थे. ऐसे में देश में करीब 40% एल्कोहॉल की खपत बढ़ गई थी. दूसरी ओर कोरोना के डर से लोगों को तनाव व नींद न आने की समस्या होने लगी थी, ऐसे में बुखार आने पर लोग पैरासिटामोल भी ज्यादा उपयोग कर रहे थे. 2021 में एक रिसर्च में सामने आया कि कोरोना के कारण पूरी दुनिया में लिवर सिरोसिस के मामले 20 से 30 गुना ज्यादा बढ़ गए हैं. कारण ये सामने आया कि शराब के सेवन के साथ 6 घंटे के अंदर पैरासिटामोल लेने से लिवर सिरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. अगर एक-दो साल तक ऐसे ही एल्कोहॉल और पैरासिटामोल का उपयोग करते रहे, तो खतरनाक लिवर डिसीज का खतरा बढ़ जाता है.
एक गलती लिवर को कर सकती है बर्बाद
रिसर्च के मुताबिक लिवर की बीमारी को पहले स्टेज पर आसानी से ठीक किया जा सकता है. वहीं दूसरे स्टेज को फाइब्रोसिस कहा जाता है, जो एल्कोहॉल के उपयोग के कारण होता है और अगर एल्कोहॉल के साथ पैरासिटामाॅल ले रहे हैं, तो बीमारी स्टेज 3 की तरफ बढ़ जाती है. स्टेज 3 में सही समय पर दवाओं और परहेज से लिवर ठीक किया जा सकता है. ऐसा ना करने पर स्टेज 4 यानी लिवर सिरोसिस हो जाता है, जो बिना सर्जरी के ठीक नहीं हो सकता है.
लिवर सिरोसिस के होम्योपैथी इलाज की मान्यता पर सवाल
कई बीमारियों के इलाज में होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग लंबे समय से हो रहा है. लेकिन ये दवाएं कैसे काम करती है, इस पर कभी रिसर्च और स्टडी नहीं की जाती है. जर्मनी के अलावा होम्यौपैथिक दवाओं के इलाज पर कहीं रिसर्च नहीं किया जाता है. अमेरिका और चीन जैसे देश तो होम्योपैथी इलाज के लिए placebo कहते हैं. प्लेसिबो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ 'आई विल प्लीज' है. प्लेसिबो का उपयोग ऐसे इलाज के लिए किया जाता है, जो इलाज जैसा प्रतीत होता है, लेकिन कोई फायदा नहीं होता है. इसमें चीनी की गोली, सेलाइन वॉटर का इंजेक्शन शामिल है.
रिसर्च के जरिए होम्योपैथी इलाज को मान्यता
सागर के डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के जूलॉजी डिपार्टमेंट के शोध छात्र देवव्रत दास ने एल्कोहॉल और पेरासिटामोल द्वारा चूहे के लिवर और ब्रेन पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है. इसके साथ ही उन्होंने होम्योपैथी दवाइयां का उपयोग कर उनका सकारात्मक प्रभाव अपने शोध में दिखाया है. देवव्रत दास बताते हैं कि लिवर सिरोसिस को ठीक करने के लिए होम्यौपैथिक दवाई नेट्रम सल्फ्यूरिकम और नेट्रम फास्फोरिकम का उपयोग किया गया. होम्योपैथी डाॅक्टर नैट्रम सल्फ्यूरिकम लिवर और नेट्रम फास्फोरिकम दिमाग के लिए देते है. इसलिए एल्कोहॉल और पैरासिटामोल के जरिए होने वाले लिवरसिरोसिस के लिए इन दवाओं का उपयोग किया था.
शोध छात्र देवव्रत दास ने कहा, ' नैट्रम सल्फ्यूरिकम में सोडियम और सल्फेट पाया जाता है. इन दोनों की मात्रा कम होने पर लिवर से संबंधित बीमारियां ज्यादा घातक हो जाती हैं.हमने पहली बार इस इलाज को रिसर्च के जरिए सिद्ध किया है. परिणाम ये सामने आया कि लिवर सिरोसिस के कारण शरीर में ऐसे प्रोटीन बढ़ गए थे, जो शरीर के लिए घातक थे.जब हमनें नेट्रम सल्फ्यूरिकम और नेट्रम फास्फोरिकम का उपयोग किया, तो इन घातक प्रोटीन का लेवल कम हो गया था'
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होम्योपैथी इलाज के नहीं हैं साइड इफेक्ट्स
शोध छात्र देवव्रत दास कहते हैं, ' ये एक बहुत बड़ा शोध है. इसके जरिए पहली बार किसी होम्योपैथी इलाज के लिए मान्यता मिली है कि ये दवाएं लिवर सिरोसिस में काफी कारगर हैं और इसका उपयोग किया जा सकता है. इसके किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं हैं. ये दवाइयां सालों से लिवर सिरोसिस के लिए उपयोग में लाई जा रही थी, लेकिन आज तक रिसर्च नहीं की गई थी कि यह कैसे काम करती हैं. हमने मानव शरीर के पाथवे के जरिए रिसर्च कर इस होम्योपैथी इलाज को मान्यता दिलाई है. होम्योपैथी इलाज प्लेसिबो नहीं है, जो अमेरिका और चीन दावा करता है.'