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भारत पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी चेतावनी पर जयशंकर ने दिया जवाब, जानें क्या बोले विदेश मंत्री? - S Jaishankar - S JAISHANKAR

S Jaishankar Reacts On US warning: भारत पर संभावित प्रतिबंधों की यूएस की इस चेतावनी पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर किसी को संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए. इससे सभी को फायदा होगा.

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एस जयशंकर (फाइल फोटो ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 12:19 PM IST

नई दिल्ली: ईरान में चाबहार बंदरगाह को चलाने के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिका ने भारत को प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. भारत पर संभावित प्रतिबंधों की यूएस की इस चेतावनी पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लोगों को संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इस परियोजना से सबको लाभ होगा.

जयशंकर ने मंगलवार को कोलकाता में अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल की टिप्पणियों का खंडन करते हुए कहा, 'मैंने कुछ टिप्पणियां देखी हैं'. विदेश मंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह लोगों को संवाद करने, समझाने और यह समझाने का सवाल है कि यह (चाबहार बंदरगाह) वास्तव में सभी के लाभ के लिए है. इसको लेकर किसी को संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए.'

'अमेरिका ने अतीत में नहीं रखा नकारात्मक दृष्टिकोण'
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अतीत में चाबहार के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रखा और उसने स्वयं चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना की है. उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना के साथ लंबे समय से जुड़े रहने के बावजूद भारत पहले लॉन्ग-टर्म समझौते पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कर सका.

'बंदरगाह के संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा'
उन्होंने कहा कि एग्रीमेंट को लेकर ईरान की ओर से कई समस्याएं थीं. इनमें ज्वाइंट वेंचर पार्टनर में बदलाव, शर्तें आदि शामिल थी. अंत में हम इसे सुलझाने और लॉन्ग टर्म समझौता करने में सफल हुए. यह डील बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके बिना, आप बंदरगाह के ओपरेशन में सुधार नहीं कर सकते. हमारा मानना है कि इसके संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा.

भारत-ईरान ने लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए
बता दें कि इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPCL) और ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (PMO) के बीच सोमवार को द्विपक्षीय लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए. चाबहार अफगानिस्तान और मध्य एशिया में लैंड लॉक देशों के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है. अनुबंध के तहत भारत सरकार ने ओमान की खाड़ी में इस रणनीतिक सुविधा के आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर के कर्ज की पेशकश की है.

संतुलन बनाने का काम करेगी चाबहार बंदरगाह
चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और व्यापक यूरेशियन विस्तार के लिए भारत की महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के प्रति संतुलन के रूप में काम करने की संभावना है.

चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के साथ एकीकृत करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे पाकिस्तान पर भरोसा किए बिना अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच आसान हो जाएगी. ईरान में चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की कनेक्टिविटी के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है.

यह भी पढ़ें- जयशंकर का कटाक्ष, बोले-जो देश चुनाव परिणाम तय करने के लिए अदालत जाते हैं वे हमें 'ज्ञान' देते हैं

नई दिल्ली: ईरान में चाबहार बंदरगाह को चलाने के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिका ने भारत को प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. भारत पर संभावित प्रतिबंधों की यूएस की इस चेतावनी पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लोगों को संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इस परियोजना से सबको लाभ होगा.

जयशंकर ने मंगलवार को कोलकाता में अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल की टिप्पणियों का खंडन करते हुए कहा, 'मैंने कुछ टिप्पणियां देखी हैं'. विदेश मंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह लोगों को संवाद करने, समझाने और यह समझाने का सवाल है कि यह (चाबहार बंदरगाह) वास्तव में सभी के लाभ के लिए है. इसको लेकर किसी को संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए.'

'अमेरिका ने अतीत में नहीं रखा नकारात्मक दृष्टिकोण'
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अतीत में चाबहार के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रखा और उसने स्वयं चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना की है. उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना के साथ लंबे समय से जुड़े रहने के बावजूद भारत पहले लॉन्ग-टर्म समझौते पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कर सका.

'बंदरगाह के संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा'
उन्होंने कहा कि एग्रीमेंट को लेकर ईरान की ओर से कई समस्याएं थीं. इनमें ज्वाइंट वेंचर पार्टनर में बदलाव, शर्तें आदि शामिल थी. अंत में हम इसे सुलझाने और लॉन्ग टर्म समझौता करने में सफल हुए. यह डील बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके बिना, आप बंदरगाह के ओपरेशन में सुधार नहीं कर सकते. हमारा मानना है कि इसके संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा.

भारत-ईरान ने लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए
बता दें कि इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPCL) और ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (PMO) के बीच सोमवार को द्विपक्षीय लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए. चाबहार अफगानिस्तान और मध्य एशिया में लैंड लॉक देशों के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है. अनुबंध के तहत भारत सरकार ने ओमान की खाड़ी में इस रणनीतिक सुविधा के आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर के कर्ज की पेशकश की है.

संतुलन बनाने का काम करेगी चाबहार बंदरगाह
चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और व्यापक यूरेशियन विस्तार के लिए भारत की महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के प्रति संतुलन के रूप में काम करने की संभावना है.

चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के साथ एकीकृत करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे पाकिस्तान पर भरोसा किए बिना अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच आसान हो जाएगी. ईरान में चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की कनेक्टिविटी के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है.

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