हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 आखिरी चरण में प्रवेश कर चुका है और सभी दलों ने 1 जून को होने वाले सातवें चरण के मतदान के लिए प्रचार अभियान तेज कर दिया है. छह चरणों में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 486 पर चुनाव पूरा हो गया है. अब आखिरी चरण में सिर्फ 57 सीटों पर चुनाव होना है. अब तक लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के अलग-अलग आकलन और अनुमान सामने आए हैं.
इस बीच जाने-माने निवेशक और लेखक रुचिर शर्मा ने महाराष्ट्र में करीबी मुकाबला होने की भविष्यवाणी की है. उनका कहना है कि यहां असली नुकसान भाजपा के दो सहयोगी दलों- एनसीपी (अजीत पवार गुट) और सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को होगा. उनका मानना है कि आंध्र प्रदेश को छोड़कर बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोगी दल लोकसभा चुनाव में बहुत खराब प्रदर्शन कर रहे हैं.
रुचिर शर्मा पिछले दो दशकों से देश में चुनावों पर करीबी नजर रखने के लिए जाने जाते हैं. एक मीडिया इवेंट में बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से महाराष्ट्र के किसान नाराज थे. यह प्रतिबंध लगभग 6 महीने तक लगा था. शर्मा ने कहा कि सामान्य तौर पर उनका मानना है कि राज्य में भाजपा नीत महायुति और कांग्रेस नीत एमवीए गठबंधन को आधी-आधी सीटें मिल सकती हैं, लेकिन असली नुकसान बीजेपी के सहयोगी दलों एनसीपी और शिवसेना को होगा. प्रसिद्ध निवेशक ने कहा कि औरंगाबाद, नासिक और सोलापुर में पत्रकारों और उद्योगपतियों से मिलने के बाद उन्होंने इसका आकलन किया.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों एनसीपी और शिवसेना में दो फाड़ होने से राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर भविष्यवाणी करना विशेषज्ञों के लिए काफी कठिन हो गया है. ग्राउंड रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एनसीपी और शिवसेना के बागी गुटों के खिलाफ लोगों में गुस्से को देखते हुए एनडीए को राज्य में बड़ा नुकसान हो सकता है. शर्मा ने कहा कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को बढ़त मिल सकती है, लेकिन अन्य राज्यों में एनडीए के सहयोगी दल संकट में दिख रहे हैं.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू, कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की जेडीएस और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के साथ गठबंधन किया है. आंध्र प्रदेश में भाजपा ने 25 में से सिर्फ 6 सीटों पर चुनाव लड़ा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में भाजपा को दो कारणों- अंदरूनी कलह और कैश-ट्रांसफर योजना के कारण महिला मतदाताओं का कांग्रेस के पक्ष में जाने से, झटका लग सकता है.
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