जयपुर : RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारी के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को केंद्र सरकार की ओर से हटाया गया है. इस फैसले के बाद एक वीडियो जारी करते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बीते 99 सालों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज की सेवा में संलग्न है. आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की… pic.twitter.com/MxRelxOyU4
— RSS (@RSSorg) July 22, 2024
उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार की तरफ से शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था. शासन का वर्तमान फैसला समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.
The Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) has been continuously engaged in the reconstruction of the nation and the service of society for the past 99 years. Due to the RSS’s contributions in times of national security, unity-integrity, and natural disasters, the various types of…
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इस तरह बदला फैसला : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर 58 साल पहले तत्कालीन सरकार ने प्रतिबंध लगाया था. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से प्रतिबंध हटाने की नोटिफिकेशन के बाद, अब सरकारी कर्मी RSS की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे. इस आदेश में कहा गया है, "उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए."
1947 में आज ही के दिन भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। RSS ने तिरंगे का विरोध किया था और सरदार पटेल ने उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी दी थी।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) July 22, 2024
4 फरवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मोदी जी ने 58 साल बाद, सरकारी कर्मचारियों पर RSS…
कांग्रेस ने उठाए थे सवाल : केंद्र सरकार की हालियां फैसले पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं. राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की पोस्ट को अपने एक अकाउंट पर शेयर किया. जूली ने विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि संघ के कार्यक्रम में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी को दूर रखा जाए, सरकारी कर्मचारियों का राजनीतिककरण करना गलत है.
फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024
इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।
1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया… pic.twitter.com/17vGKJmt3n
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 1966 के आदेश की फोटो भी शेयर की और नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि यह समस्या महात्मा गांधी की हत्या के बाद से ही शुरू हुई थी और 1975 और 1992 में फिर से बैन लगाया गया था. कई सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस से जुड़े होने पर नौकरी से निकाला भी गया था. उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.