नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को संसद परिसर में 'प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन किया, जिसमें अब राष्ट्रीय प्रतीकों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां हैं जो पहले परिसर में विभिन्न स्थानों पर थीं. इससे पहले कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि संसद परिसर के भीतर मूर्तियों को शिफ्ट करने का निर्णय सत्तारूढ़ शासन द्वारा 'एकतरफा' लिया गया था. आरोप लगाया गया कि इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और बी आर अंबेडकर की मूर्तियां नहीं रखना था, जो कि लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के पारंपरिक स्थल रहे हैं.
मूर्तियों को उनके मूल स्थान से हटाने पर कांग्रेस की आलोचना के बीच धनखड़ ने कहा, 'प्रेरणा स्थल' लोगों को प्रेरित करेगा. देश को आकार देने में नेताओं के योगदान का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह 'प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करके महान हस्तियों को इस तरह से श्रद्धांजलि दे पाएंगे.
उन्होंने केंद्र में गठबंधन सरकारों के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि 'भारत के इतिहास में इन महान विभूतियों के योगदान की कल्पना कीजिए. इन महान लोगों को किस काल में याद किया गया? ऐसी स्थिति मैंने सेंट्रल हॉल में देखी. 1989 में मैं सांसद बना, उसके बाद लगातार बदलाव होता गया.' उन्होंने उद्घाटन समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा, '...कल्पना करें कि आजादी के बाद बीआर अंबेडकर को भारत रत्न देने में कितना समय लगा.' धनखड़ ने कहा कि जबकि लोग इन प्रतीक चिन्हों के बारे में जानते हैं, यह स्थान - 'प्रेरणा स्थल' - यहां आने वालों को नए जोश और ऊर्जा से भर देगा.
सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके डिप्टी अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
'मूर्ति को हटाया नहीं, शिफ्ट किया गया' : इससे पहले दिन में बिरला ने कहा था कि किसी भी मूर्ति को हटाया नहीं गया बल्कि शिफ्ट कर दिया गया है. उन्होंने कहा, 'इस पर राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है.' बिरला ने कहा, 'समय-समय पर मैं विभिन्न हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करता रहा हूं. लोगों का विचार था कि इन मूर्तियों को एक ही स्थान पर रखने से उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी बेहतर तरीके से प्रसारित करने में मदद मिलेगी.'
महात्मा गांधी और अंबेडकर की प्रतिमाएं पहले संसद परिसर के भीतर प्रमुख स्थानों पर स्थित थीं. वे स्थान थे जहां विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र होते थे.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि इस स्थानांतरण और इसे भव्य नाम देने का पूरा विचार यह सुनिश्चित करना था कि महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां संसद भवन के ठीक सामने किसी प्रमुख स्थान पर न हों, जहां सांसद शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन कर सकें. वहीं, लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि 'प्रेरणा स्थल' में मूर्तियों के चारों ओर लॉन और बगीचे बनाए गए हैं ताकि आगंतुक उन्हें आसानी से श्रद्धांजलि दे सकें.
संसद परिसर के बाहरी लॉन में अंबेडकर, महात्मा गांधी, महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, हेमू कालानी, महात्मा बसवेश्वर, कित्तूर रानी चन्नम्मा, मोतीलाल नेहरू, महाराज रणजीत सिंह, दुर्गा मल्ल, बिरसा मुंडा, राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज, और चौधरी देवीलाल की मूर्तियां थीं. इन्हें अब नव निर्मित जगह में रखा गया है.