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नक्सलगढ़ के चिंतावागु नदी पर बना रोप वे, जवानों ने ग्रामीणों की दूर की चिंता,अब बारिश में गांव नहीं बनेंगे टापू - Bijapur Police camp achievement

Ropeway built on Chintavagu river बस्तर के धुर नक्सल इलाके पामेड़ में जवानों की मेहनत रंग लाई है. जवानों ने चिंतावागु नदी पर रोपवे पुल बनाया है.जिसके बाद अब बारिश के दिनों में कई गांवों का संपर्क आपस में नहीं कटेगा.Bijapur Police camp achievement

Ropeway built on Chintavagu river
जवानों ने ग्रामीणों की दूर की चिंता (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 14, 2024, 8:05 PM IST

नक्सलगढ़ में हो रहा विकास (ETV BHARAT)

बीजापुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस लगातार बड़ी कार्रवाई कर रही है. नक्सल इलाकों में स्थापित किए गए कैंप के कारण फोर्स तुरंत ही ऐसी जगहों पर पहुंच रही है जहां पर जाना पहले आसान नहीं था.इसी कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ते हुए बीजापुर के चिंतावागु नदी में रोप वे पुल बनकर तैयार हो चुका है.इस पुल की मदद से बारिश के दिनों में ग्रामीण आसानी से नदी को पार कर सकेंगे.इस रोप-वे को बनाने में पुलिस कैंप का बड़ा योगदान है.

सीआरपीएफ और आईटीबीपी ने झोंकी ताकत : आईटीबीपी के 25 इंजीनियर्स और सीआरपीएफ 151वीं बटालियन ने 2 मई को काम शुरू किया.धर्मावराम कैंप और चिंतावागु के बीच नदी पर रोपवे बनाने के लिए सुबह शाम मेहनत की गई. इंजीनियर्स के करीब 33 दिन की कड़ी मेहनत के बाद यह रोपवे तैयार हुआ. जिसका कई बार ट्राइल भी किया गया. पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉक्टर जीतेन्द्र यादव ने ETV भारत को बताया कि पामेड़ के चिंतावागु नदी पर पुल निर्माण कार्य तेजी से काम चल रहा है. बारिश के पहले गडर डल जाएंगे. आठ पिलरों का यहां पुल लगभग 20 मीटर चौड़ा है. लेकिन इससे पहले नदी के ऊपर रोपवे बनाया गया है.

''सीआरपीएफ और आईटीबीपी की तरफ से रोप-वे बना है. इससे जवानों के साथ ग्रमीणों को भी राहत मिलेगी. एक बार में तीन लोग आना जाना कर सकते हैं.'' - डॉ जितेंद्र यादव,एसपी

टापू में तब्दील हो जाता था इलाका : कई वर्षो से चिंतावागु नदी के उस पार के गांव बरसात के दिनों में जिला मुख्यालय से कट जाते थे. इलाका पूरी तरह टापू में तब्दील हो जाता था.इस नदी पर पुल का काम जारी है.लेकिन इसे पूरा होने में अभी और समय लगेगा.ऐसा माना जा रहा है कि बारिश से पहले पुल का बन पाना मुश्किल है.ऐसे में क्षेत्र के लोगों के आवागमन के साधन ना के बराबर हैं.क्योंकि इस इलाके में पहले प्राइवेट बसें चला करती थीं.लेकिन नक्सलियों के खौफ के कारण वो भी बंद हैं.

नक्सलियों की बोलती थी तूती : आपको बता दें कि इस इलाके में नक्सलियों की तूती बोलती थी.कैंप बनने से पहले पामेड़ में केवल जनताना की ही सरकार थी. चिंतावागु नदी के पार नया कैंप खोला गया था.लेकिन बीते 16 जनवरी को इस कैंप में नक्सलियों ने हमला बोला.नक्सली पूरी रात कैंप में हमला करते रहे.इस दौरान कैंप पर बमबारी भी हुई.लेकिन जवानों ने इसका डटकर सामना किया.जिसके बाद नक्सली भाग गए.कैंप के कारण अब गांवों के अंदर फोर्स की पहुंच मुमकिन हो सकी है.यही नहीं ग्रामीणों का भरोसा फोर्स पर बढ़ा है.

जवानों की मेहनत रंग लाई : इलाके में पुल के बन जाने से ग्रामीणों को बारिश के दिनो में बड़ी राहत मिलेगी.रोपवे बनाने के काम में आईटीबीपी और सीआरपीएफ जवानों ने दिन रात एक किया है.चिंतावागु नदी के ऊपर करीब 100 मीटर लंबा रोप वे बना है.इस रोप वे के जरिए ग्रामीण बारिश के दिनों में भी नदी पार कर सकेंगे.इस रोप वे को कैंप के जवान ही ऑपरेट करेंगे.आपको बता दें कि बारिश के दिनों में उसूर ब्लॉक के धर्मावरम, पेद्दा धर्मावरम, सापेड़, जीड़पल्ली, रावतपारा, गादीगुड़ा, भाटीगुड़ा, कंचाल, कुंवरगट्टा समेत कई गांवों का संपर्क आपस में टूट जाता था. ऐसे में अब इन इलाकों के लोगों को इसका फायदा मिलेगा. तेज बारिश में ग्रामीणों को नदी पार करने में आसानी होगी.

नक्सल सप्लायर करने वाला था बड़ा कांड, अनहोनी से पहले ही पुलिस ने अर्बन नेटवर्क की तोड़ी कमर

दंतेवाड़ा और नारायणपुर बार्डर पर मारे गए 7 हार्डकोर नक्सली, 1000 जवानों ने दिया ऑपरेशन को अंजाम

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बीजापुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस लगातार बड़ी कार्रवाई कर रही है. नक्सल इलाकों में स्थापित किए गए कैंप के कारण फोर्स तुरंत ही ऐसी जगहों पर पहुंच रही है जहां पर जाना पहले आसान नहीं था.इसी कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ते हुए बीजापुर के चिंतावागु नदी में रोप वे पुल बनकर तैयार हो चुका है.इस पुल की मदद से बारिश के दिनों में ग्रामीण आसानी से नदी को पार कर सकेंगे.इस रोप-वे को बनाने में पुलिस कैंप का बड़ा योगदान है.

सीआरपीएफ और आईटीबीपी ने झोंकी ताकत : आईटीबीपी के 25 इंजीनियर्स और सीआरपीएफ 151वीं बटालियन ने 2 मई को काम शुरू किया.धर्मावराम कैंप और चिंतावागु के बीच नदी पर रोपवे बनाने के लिए सुबह शाम मेहनत की गई. इंजीनियर्स के करीब 33 दिन की कड़ी मेहनत के बाद यह रोपवे तैयार हुआ. जिसका कई बार ट्राइल भी किया गया. पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉक्टर जीतेन्द्र यादव ने ETV भारत को बताया कि पामेड़ के चिंतावागु नदी पर पुल निर्माण कार्य तेजी से काम चल रहा है. बारिश के पहले गडर डल जाएंगे. आठ पिलरों का यहां पुल लगभग 20 मीटर चौड़ा है. लेकिन इससे पहले नदी के ऊपर रोपवे बनाया गया है.

''सीआरपीएफ और आईटीबीपी की तरफ से रोप-वे बना है. इससे जवानों के साथ ग्रमीणों को भी राहत मिलेगी. एक बार में तीन लोग आना जाना कर सकते हैं.'' - डॉ जितेंद्र यादव,एसपी

टापू में तब्दील हो जाता था इलाका : कई वर्षो से चिंतावागु नदी के उस पार के गांव बरसात के दिनों में जिला मुख्यालय से कट जाते थे. इलाका पूरी तरह टापू में तब्दील हो जाता था.इस नदी पर पुल का काम जारी है.लेकिन इसे पूरा होने में अभी और समय लगेगा.ऐसा माना जा रहा है कि बारिश से पहले पुल का बन पाना मुश्किल है.ऐसे में क्षेत्र के लोगों के आवागमन के साधन ना के बराबर हैं.क्योंकि इस इलाके में पहले प्राइवेट बसें चला करती थीं.लेकिन नक्सलियों के खौफ के कारण वो भी बंद हैं.

नक्सलियों की बोलती थी तूती : आपको बता दें कि इस इलाके में नक्सलियों की तूती बोलती थी.कैंप बनने से पहले पामेड़ में केवल जनताना की ही सरकार थी. चिंतावागु नदी के पार नया कैंप खोला गया था.लेकिन बीते 16 जनवरी को इस कैंप में नक्सलियों ने हमला बोला.नक्सली पूरी रात कैंप में हमला करते रहे.इस दौरान कैंप पर बमबारी भी हुई.लेकिन जवानों ने इसका डटकर सामना किया.जिसके बाद नक्सली भाग गए.कैंप के कारण अब गांवों के अंदर फोर्स की पहुंच मुमकिन हो सकी है.यही नहीं ग्रामीणों का भरोसा फोर्स पर बढ़ा है.

जवानों की मेहनत रंग लाई : इलाके में पुल के बन जाने से ग्रामीणों को बारिश के दिनो में बड़ी राहत मिलेगी.रोपवे बनाने के काम में आईटीबीपी और सीआरपीएफ जवानों ने दिन रात एक किया है.चिंतावागु नदी के ऊपर करीब 100 मीटर लंबा रोप वे बना है.इस रोप वे के जरिए ग्रामीण बारिश के दिनों में भी नदी पार कर सकेंगे.इस रोप वे को कैंप के जवान ही ऑपरेट करेंगे.आपको बता दें कि बारिश के दिनों में उसूर ब्लॉक के धर्मावरम, पेद्दा धर्मावरम, सापेड़, जीड़पल्ली, रावतपारा, गादीगुड़ा, भाटीगुड़ा, कंचाल, कुंवरगट्टा समेत कई गांवों का संपर्क आपस में टूट जाता था. ऐसे में अब इन इलाकों के लोगों को इसका फायदा मिलेगा. तेज बारिश में ग्रामीणों को नदी पार करने में आसानी होगी.

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