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16 साल पहले सड़क दुर्घटना में पति की हुई थी मौत, अब पत्नी को मिला 11 लाख 40 हजार का चेक - Road accident compensation

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 30, 2024, 9:59 PM IST

Aurangabad Lok Adalat : कहते हैं इंसाफ मिलने में देर तो होती है, पर यह मिलता जरूर है. कुछ ऐसा ही अंजू कुंवर के साथ हुआ है. औरंगाबाद से यह पूरा मामला जुड़ा हुआ है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

अशोक राज अंजू कुंवर को चेक देते हुए.
अशोक राज अंजू कुंवर को चेक देते हुए. (Etv Bharat)

औरंगाबाद : साल 2008 में ट्रक के धक्के से एक व्यक्ति की मौत हुई थी. मामले में मुआवजा राशि के लिए विधवा पत्नी को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. बीमा कंपनी द्वारा आनाकानी करने के बाद महिला ने परिवाद दाखिल किया. जिसके बाद उन्हें 16 साल के बाद मुआवजा राशि दी गई. मामला बिहार के औरंगाबाद जिले के नगर थाना क्षेत्र के क्लब रोड का है. मामले में मृतक की विधवा को 11 लाख 40 हजार रुपए की मुआवजा राशि के चेक का भुगतान किया गया.

क्या हुआ था..? : दरअसल, 14 जनवरी 2008 को औरंगाबाद के क्लब रोड के रहने वाले रत्नेश कुमार की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. राजस्थान नंबर की ट्रक से यह हादसा महाराणा प्रताप चौक के पास जीटी रोड पर हुआ था. इस मामले में बीमा कम्पनी ने मुआवजा देने में अनाकानी शुरू कर दी. आखिरकार इस मामले का राष्ट्रीय लोक अदालत सेटलमेंट हुआ.

राष्ट्रीय लोक अदालत में हुआ था सुलह : जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष अशोक राज के द्वारा रत्नेश कुमार की पत्नी अंजू कुंवर को 11 लाख 40 हजार का मुआवजा चेक प्रदान किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सुकुल राम ने बताया कि, इसी वर्ष 13 जुलाई को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना वाद संख्या 20 /08 को समझौते के आधार पर निस्तारण कराया गया था.

रुपये का सही इस्तेमाल करें : चेक प्रदान करते समय जिला जज के द्वारा पीड़िता को बताया गया कि, इस राशि को परिवार के कल्याण में लगायें और इसका ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करें. जिससे कि परिवार का भविष्य संवारने में किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

क्यों होता है राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन ? : दरअसल, राष्ट्रीय लोक अदालत वादों का निस्तारण सुलह के आधार पर कराने का एक सशक्त माध्यम है. जिसमें सम्बन्धित को त्वरित न्याय प्राप्त होता है और बीमा कम्पनी या पक्षकार से समझौते के उपरान्त प्राप्त चेक को पीड़ित को तत्काल प्रदान किया जाता है.

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क्या हुआ था..? : दरअसल, 14 जनवरी 2008 को औरंगाबाद के क्लब रोड के रहने वाले रत्नेश कुमार की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. राजस्थान नंबर की ट्रक से यह हादसा महाराणा प्रताप चौक के पास जीटी रोड पर हुआ था. इस मामले में बीमा कम्पनी ने मुआवजा देने में अनाकानी शुरू कर दी. आखिरकार इस मामले का राष्ट्रीय लोक अदालत सेटलमेंट हुआ.

राष्ट्रीय लोक अदालत में हुआ था सुलह : जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष अशोक राज के द्वारा रत्नेश कुमार की पत्नी अंजू कुंवर को 11 लाख 40 हजार का मुआवजा चेक प्रदान किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सुकुल राम ने बताया कि, इसी वर्ष 13 जुलाई को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना वाद संख्या 20 /08 को समझौते के आधार पर निस्तारण कराया गया था.

रुपये का सही इस्तेमाल करें : चेक प्रदान करते समय जिला जज के द्वारा पीड़िता को बताया गया कि, इस राशि को परिवार के कल्याण में लगायें और इसका ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करें. जिससे कि परिवार का भविष्य संवारने में किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

क्यों होता है राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन ? : दरअसल, राष्ट्रीय लोक अदालत वादों का निस्तारण सुलह के आधार पर कराने का एक सशक्त माध्यम है. जिसमें सम्बन्धित को त्वरित न्याय प्राप्त होता है और बीमा कम्पनी या पक्षकार से समझौते के उपरान्त प्राप्त चेक को पीड़ित को तत्काल प्रदान किया जाता है.

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