मेरठ : चौधरी अजित सिंह की जयंती के अवसर पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने तमाम कयासों से पर्दा उठा दिया है. रालोद अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब एनडीए का हिस्सा हैं. जयंत ने यह भी कहा है कि उन्होंने कोई बड़ी प्लानिंग करके ऐसा नहीं किया है.
विधायकों-कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद लिया फैसला
राष्ट्रीय राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो जयंत चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह इंडिया गठबंधन से दूर हैं और अब एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं. इसको लेकर उन्होंने सोमवार को दिल्ली में बयान भी जारी किया है. जहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी बड़ी प्लानिंग के बाद एनडीए का हिस्सा नहीं बने हैं. उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी के सभी विधायकों और कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद यह फैसला लिया है. जयंत ने कहा कि इस फैसले के पीछे कोई बड़ी प्लानिंग नहीं थी. हमें थोड़े समय में ही यह फैसला लेना पड़ा है, हम लोगों के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं.
बहरहाल अब इसके बाद तस्वीर पूरी तरह से साफ हो चुकी है. हालांकि, अभी सीटों की अगर बात करें तो यह तय होना बाकी है कि आखिर आरएलडी कितनी सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी. जब से चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा पीएम मोदी ने की है, तभी से यह मान लिया गया था कि रालोद एनडीए के साथ हो जाएंगे. अपने पिता की जयंती के अवसर पर मीडिया से बातचीत के दौरान अब सस्पेंस खत्म हो चुका है.
ऐलान करना जयंत की मजबूरी
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि जयंत के लिए यह ऐलान करना मजबूरी बन गया था. क्योंकि रालोद के चार विधायक रामलला के दर्शन के लिए सीएम योगी की अगुवाई में अयोध्या नहीं गए थे. उनमें से दो विधायक मुस्लिम थे. इससे यह सियासी चर्चा फ़ैल गई थी कि कहीं रालोद में टूट तो नहीं हो गई है. इसलिए रालोद अध्यक्ष ने यह स्पष्ट करने के लिए मीडिया के सामने आकर यह स्वीकार किया है कि वह एनडीए का हिस्सा हैं.
भाजपा को होगा इस गठबंधन का फायदा
शादाब रिजवी कहते हैं कि इस गठबंधन का भाजपा को पश्चिमी यूपी में बड़ा फायदा होगा. जाट मतदाताओं का एक वर्ग पहले से ही भाजपा के साथ जा रहा था, अब रालोद के साथ गठबंधन होने से स्थिति और मजबूत हो जाएगी.
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